For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

Afsos Ghazipuri
  • Male
  • Varanasi, U.P. (India)
  • India
Share on Facebook MySpace

Afsos Ghazipuri's Friends

  • Gyanendra Nath Tripathi
  • Shyam Bihari Shyamal
  • Abhinav Arun
  • Saurabh Pandey
  • आशीष यादव

Afsos Ghazipuri's Discussions

क्या कवि या शायर गढ़े जा सकते है ?
11 Replies

यह निर्विवादित सत्य है कि जिस प्रकार कोयले के हर टुकड़े मे हीरा नही होता उसी तरह हर बुद्धिजीवी मे कवि भी नही होता ? बहुत प्रयास के बाद हीरा मिलने पर जैसे कारीगर अपने कौशल से तराश कर ‘‘हीरा’’ बनाता है,…Continue

Started this discussion. Last reply by Abhinav Arun Dec 13, 2011.

वास्तविक कवि और शायर
19 Replies

वास्तविक कवि और शायर  हम किसे कहेंगे, उन्हे जो मंचों पर बार-बार दिखाई देते हैं या उन्हें जो मंचों पर दिखने के लिए संघर्ष करते रहते हैं, या उन्हें जिन्हे मंचों पर न आने देने के लिए प्रयास करते हैं…Continue

Started this discussion. Last reply by Pallav Pancholi Nov 22, 2011.

 

Afsos Ghazipuri's Page

Profile Information

Gender
Male
City State
Varanasi Uttar Pradesh
Native Place
Ghazipur (U.P.)
Profession
Social but Literary Works
About me
Was Producer/Writer/Director of Motion Pictures and Now founder & Mahaamantree of 'Saahityik Sansthaa PARIWARTAN (Regd)', regular writer of Ghazals, collection of 51 Ghazals are self-published entitled "Deewaan-e-Afsos".

Afsos Ghazipuri's Photos

  • Add Photos
  • View All

Afsos Ghazipuri's Videos

  • Add Videos
  • View All

Afsos Ghazipuri's Blog

आज भी बदक़िस्मती का वो ज़माना याद है...

आज भी बदक़िस्मती का वो ज़माना याद है ।

एक ज़वा बेटे का दरया डूब जाना याद है ।



क्या सुनाए कोई नग़मा क्या पढ़ें अब हम ग़ज़ल,

ग़म में डूबा ज़िन्दगी का बस फसाना याद है ।



जश्ने-होली खो गई दीवाली फीक़ी पड़ गई,

अब फ़क़त हर साल इनका आना-जाना याद है ।



सोचते थे अब तलक़ वो छुप गया होगा कहीं,

लौट कर  आया नहीं उसका बहाना याद है ।



कर रहे थे बाग़बानी हम बड़े ही प्यार से,

आज भी…

Continue

Posted on November 26, 2011 at 8:08am — 2 Comments

छत पे उगे जो चाँद निहारा न कीजिए

छत पे उगे जो चाँद निहारा न कीजिए

सूरजमुखी का दिन में नज़ारा न कीजिए



महफ़ूज़ रह न पायेगी आँखों की रौशनी

दीदार हुस्ने-बर्क़ खुदारा न कीजिए



शरमा के मुँह न फेर ले आईना, इसलिये

ज़ुल्फ़ों को आइने में संवारा न कीजिए



ऐसा न हो कि ख़ुद को भुला दें हुज़ूर आप

इतना भी अब ख़याल हमारा न कीजिए



एहसा किसी पे कर के, किसी को तमाम रात

ताने ख़ोदा के वासते मारा न कीजिए



दिल जिस से चौक जाये किसी राहगीर का

अब उसका नाम ले…

Continue

Posted on November 25, 2011 at 9:14am — 6 Comments

आपका यूँ मुस्कुराना क्यों मुझे अच्छा लगा...

एक ग़ज़ल

आपका यूँ मुस्कुराना क्यों मुझे अच्छा लगा ?

एक होना, डूब जाना क्यों मुझे अच्छा लगा ?

 

जब अकेले हैं मिले, दीवानगी बढ़ती गई,

सिर हिलाना, भाग जाना क्यों मुझे अच्छा लगा ?

 

हाथ में मेरे, कलाई जब…

Continue

Posted on November 9, 2011 at 12:30am — 4 Comments

Comment Wall

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

  • No comments yet!
 
 
 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Admin added a discussion to the group चित्र से काव्य तक
Thumbnail

'ओबीओ चित्र से काव्य तक छंदोत्सव’ अंक 146

आदरणीय काव्य-रसिको !सादर अभिवादन !! ’चित्र से काव्य तक’ छन्दोत्सव का यह एक सौ छियालिसवाँ आयोजन है.…See More
10 hours ago
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-152

आदरणीय साहित्य प्रेमियो, जैसाकि आप सभी को ज्ञात ही है, महा-उत्सव आयोजन दरअसल रचनाकारों, विशेषकर…See More
10 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Dr. Ashok Goyal's blog post ग़ज़ल :-
"आ. भाई अशोक जी, सादर अभिवादन। अच्छी गजल हुई है। हार्दिक बधाई।"
yesterday
AMAN SINHA posted a blog post

पुकार

कैसी ये पुकार है? कैसा ये अंधकार है मन के भाव से दबा हुआ क्यों कर रहा गुहार है? क्यों है तू फंसा…See More
Saturday
Nisha updated their profile
Friday
Nisha shared Admin's discussion on Facebook
Friday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Chetan Prakash's blog post कुकुभ छंद आधारित सरस्वती गीत-वन्दनाः
"आ. भाई चेतन जी, सादर अभिवादन। सुन्दर रचना हुई है। हार्दिक बधाई।"
Friday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post दोहा सप्तक- लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'
"आ. भाई चेतन जी, सादर अभिवादन। दोहों पर उपस्थिति और उत्साहवर्धन के लिए आभार। दोहे के बारे में सुझाव…"
Thursday
Chetan Prakash commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post दोहा सप्तक- लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'
"सार्थक दोहे हुए, भाई मुसाफिर साहब ! हाँ, चौथे दोहे तीसरे चरण में, संशोधन अपेक्षित है, 'उसके…"
Thursday
Chetan Prakash posted a blog post

कुकुभ छंद आधारित सरस्वती गीत-वन्दनाः

दुर्दशा हुई मातृ भूमि जो, गंगा ...हुई... .पुरानी है पावन देवि सरस्वती तुझे, कविता-कथा सुनानी है…See More
Thursday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

दोहा सप्तक- लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'

जलते दीपक कर रहे, नित्य नये पड्यंत्र।फूँका उन के  कान  में, तम ने कैसा मंत्र।१।*जीवनभर  बैठे  रहे,…See More
Thursday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-98 (विषय: अवसर)
"सादर नमस्कार। रचना पटल पर उपस्थितिभाव.पक्ष की कमी बताते हुए मार्गदर्शक टिप्पणी हेतु हार्दिक…"
Wednesday

© 2023   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service