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Pratibha Sharma
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Saarthi Baidyanath commented on Pratibha Sharma's blog post ग़ज़ल
"Very Nice"
Mar 22, 2021
Pratibha Sharma posted a blog post

ग़ज़ल - रखे जो मां के क़दमों में हर ख़ुशी अपनी

1212 1122 1212 112करेगा इश्क़ जो सच्चा कभी जफ़ा न करे,अगर हो हाथ में किस्मत कोई दगा न करे।जुदा हो कर कोई भी रब्त फिर रखा न करे,उसे कहो मेरे घर का वो रास्ता न करे।उसूल कुछ तो अदावत में भी ज़रूरी है,बना के दोस्त कोई फिर दगा किया न करे।गिला नही है कि बस ज़िंदगी में दर्द मिले,भले हैं दर्द ही झूठी ख़ुशी मिला न करे।हमें तो इश्क़ ही ज़ख्मों से हो गया है सनम,है इल्तिज़ा कि कोई इनकी अब दवा न करे।निसार करती है औलाद पर सभी खुशियां,कि अपनी मां को कभी भी कोई खफ़ा न करे।जो रख दे मां के ही क़दमों में हर ख़ुशी…See More
Mar 20, 2021
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Pratibha Sharma's blog post ग़ज़ल
"आ. भाई समर जी, सादर आभार.."
Mar 16, 2021
Samar kabeer commented on Pratibha Sharma's blog post ग़ज़ल
"//बह्र के हिसाब से '" कि इनमें आज भी सपने कई सुनहरे है।" मिसरे के रदीफ के बार शंशय सा है । मेरे संशय को दूर करने का कष्ट करे// कि इनमें आ--1212 ज भी सपने--1122 कई सुनह--1212 रे हैं--22"
Mar 16, 2021
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Pratibha Sharma's blog post ग़ज़ल
"आ. प्रतिभा जी, अभिवादन । अच्छी गजल हुइ है । हार्दिक बधाई ।  बह्र के हिसाब से '" कि इनमें आज भी सपने कई सुनहरे है।" मिसरे के रदीफ के बार शंशय सा है । मेरे संशय को दूर करने का कष्ट करे । सादर.."
Mar 16, 2021
Pratibha Sharma posted a blog post

ग़ज़ल

1212 1122 1212 22निहाँ दिलों में यहां कितने राज़ गहरे हैं, कि चश्म-ए-तर पे तबस्सुम के देखो पहरे हैं।मिलो किसी से अगर फासला ज़रा रखना,यहां मुखौटे लगाए हज़ार चहरे हैं।ये इंतिजार हमें है सुने वो ख़ामोशी, मगर ये इल्म नहीं था वो दिल से बहरे हैंlग़ज़ब का हौसला है देख मेरी आंखों का, कि इनमें आज भी सपने कई सुनहरे है।तुम्हारी याद जो महफ़िल में दफ़अतन आई,इसी सबब से मेरे बहते अश्क ठहरे हैं।मौलिक एवं अप्रकाशितSee More
Mar 16, 2021
Samar kabeer commented on Pratibha Sharma's blog post ग़ज़ल
"मुहतरमा प्रतिभा शर्मा जी आदाब, ग़ज़ल का अच्छा प्रयास है, बधाई स्वीकार करें । 'मुखौटे भी कई दफ़्हा लगे कि चेहरे हैं' इस मिसरे को यूँ कर लें:- 'यहाँ मुखौटे लगाये हज़ार चहरे हैं' 'ये इंतज़ार हमें है सुने वो ख़ामोशीहमें ये…"
Mar 15, 2021
Pratibha Sharma posted blog posts
Mar 14, 2021
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी commented on Pratibha Sharma's blog post ग़ज़ल
"मुहतरमा प्रतिभा शर्मा जी आदाब, ग़ज़ल का अच्छा प्रयास है, बधाई स्वीकार करें । आपने बह्र के अरकान नहीं लिखे हैं, कृपया लिख दिया करें इससे टिप्पणी करने वालों और सीखने वालों को आसानी होती है। ग़ालिबन आपकी ग़ज़ल के अरकान ये हैं।  1212 / 1122 / 1212…"
Mar 13, 2021
Pratibha Sharma left a comment for Pratibha Sharma
"बहुत बहुत शुक्रिया आपका"
Jun 4, 2020
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी left a comment for Pratibha Sharma
"सुश्री प्रतिभा शर्मा जी, आदाब। ओबी ओ के मंच पर आपका हार्दिक स्वागत करते हैं। "
Jun 4, 2020
Pratibha Sharma is now a member of Open Books Online
Jun 4, 2020

Profile Information

Gender
Female
City State
Assam
Native Place
Assam
Profession
House wife
About me
Interested in writing. Written some quotes and poetry.

Pratibha Sharma's Blog

ग़ज़ल - रखे जो मां के क़दमों में हर ख़ुशी अपनी

1212 1122 1212 112

करेगा इश्क़ जो सच्चा कभी जफ़ा न करे,

अगर हो हाथ में किस्मत कोई दगा न करे।

जुदा हो कर कोई भी रब्त फिर रखा न करे,

उसे कहो मेरे घर का वो रास्ता न करे।

उसूल कुछ तो अदावत में भी ज़रूरी है,

बना के दोस्त कोई फिर दगा किया न करे।

गिला नही है कि बस ज़िंदगी में दर्द मिले,

भले हैं दर्द ही झूठी ख़ुशी मिला न करे।

हमें तो इश्क़ ही ज़ख्मों से हो गया है सनम,

है इल्तिज़ा कि कोई इनकी अब दवा न…

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Posted on March 20, 2021 at 5:02pm

ग़ज़ल

1212 1122 1212 22

निहाँ दिलों में यहां कितने राज़ गहरे हैं,

कि चश्म-ए-तर पे तबस्सुम के देखो पहरे हैं।

मिलो किसी से अगर फासला ज़रा रखना,

यहां मुखौटे लगाए हज़ार चहरे हैं।

ये इंतिजार हमें है सुने वो ख़ामोशी,

मगर ये इल्म नहीं था वो दिल से बहरे हैंl

ग़ज़ब का हौसला है देख मेरी आंखों का,

कि इनमें आज भी सपने कई सुनहरे है।

तुम्हारी याद जो महफ़िल में दफ़अतन आई,

इसी सबब से मेरे बहते अश्क ठहरे…

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Posted on March 13, 2021 at 11:30am — 7 Comments

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At 5:27pm on June 4, 2020, Pratibha Sharma said…
बहुत बहुत शुक्रिया आपका
At 5:07pm on June 4, 2020, अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी said…

सुश्री प्रतिभा शर्मा जी, आदाब। ओबी ओ के मंच पर आपका हार्दिक स्वागत करते हैं। 

 
 
 

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Dr.Prachi Singh commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post घाव भले भर पीर न कोई मरने दे - लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"बहुत सुंदर ग़ज़ल ... सभी अशआर अच्छे हैं और रदीफ़ भी बेहद सुंदर  बधाई सृजन पर "
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