For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

It's भरत तिवारी (Bharat Tiwari)'s birthday today!

भरत तिवारी (Bharat Tiwari)
  • Male
  • नई दिल्ली (New Delhi)
  • India
Share on Facebook MySpace

भरत तिवारी (Bharat Tiwari)'s Friends

  • raj jalan
  • Azeez Belgaumi
  • Anita Maurya
  • Veerendra Jain
  • Dr Nutan
  • Jogendra Singh जोगेन्द्र सिंह
  • Manoj Kumar Jha
  • Rana Pratap Singh
  • asha pandey ojha
 

भरत तिवारी (Bharat Tiwari)'s Page

Profile Information

Gender
Male
City State
नई दिल्ली (New Delhi)
Native Place
फैज़ाबाद (Faizabad) (U.P.)
Profession
Interior Architect
About me
I Exist Cause I Love ░ A Writer trying to learn art direction, designing, Photography and everything left ░OSR░ fb.com/bharat.tiwari ░ twitter.com/BharatTiwari

भरत तिवारी (Bharat Tiwari)'s Blog

जियरा धड़के जर के पिया जी

जियरा धड़के जर के पिया जी

देखो हैं खेलत होरी पिया जी...

घेरे हैं उनको सखियाँ हमारी 

रंग हैं लगावें जम के पिया जी...

करत है लीला रास मैं जानू 

जियरा…

Continue

Posted on March 30, 2011 at 6:30pm — 1 Comment

आगोश...

हमसफर हूँ उम्मीद जगा दी उसने,

खुदा से तामील भी करा दी उसने...



मेरे एक शेर को भी ना दाद दी उसने,

मालूम हो के गजल बना दी उसने...



इतना गहरा आगोश मेरे यार तेरा,

ख्वाबों से मुलाकात करा दी उसने...



दामन है या के मैखाना-ए-जन्नत,

रूह को भी शराब पिला दी उसने...



अब तो मीरा बनी नाचती है रूह,

इश्क की वो धुन लगा दी उसने...



सर्द तासीर दिखाती वो मुलाकातें,

आग सी जहन में लगा दी उसने...



रखी मखमल में रूह उसने… Continue

Posted on August 15, 2010 at 8:58pm — 2 Comments

इनकार तू करता नहीं ... Inkaar Tuu Karta Nahin

इनकार तू करता नहीं...

मांगता मैं भी नहीं...|



हर बात तू समझ के...

कुछ बताता भी नहीं |



खुद को तनहा क्यों करूँ...

फ़िक्र करके बेवजह |



है रोम रोम में तू बसा ...

करूँ ख्वाहिशें किस के लिए |





मैं आया हूँ...

दो घड़ी के तेरे साथ के लिए ... |



भीड़ में भी मिलते...

तेरे अहसास के लिए... |



गुफ्तगू करता रहा...

शोर से कहीं बेखबर... |



बस तू ही काफी है,

इस रूह-ए-परेशां के… Continue

Posted on August 15, 2010 at 8:50pm

लहरा के तिरंगे को गुमान करूँ

मन तो करता है के सलाम करूँ | लहरा के तिरंगे को गुमान करूँ ||

चोर हैं देश का भेष है सिपाही का|

इन सफ़ेदपोशों का काम तमाम करूँ ||



घर बना कैद ये कैसी है आज़ादी |

जश्न तो तब जो सर-ए-आम करूँ ||



गान है राष्ट्र का साज हैं विदेशी |

सुनूँ कैसे क्या खुद को गुलाम करूँ ||



कहीं छपा के खबर अभी मत छापो |

क्या मज़ाक है देश को नीलाम करूँ ||



देश का हूँ तो क्यों ना लिखूँ ये आखिर |

कहते है भरत ना बोले तो आराम करूँ…
Continue

Posted on August 15, 2010 at 12:30pm — 1 Comment

Comment Wall (6 comments)

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

At 11:37pm on August 17, 2010,
मुख्य प्रबंधक
Er. Ganesh Jee "Bagi"
said…

At 9:27pm on August 15, 2010, PREETAM TIWARY(PREET) said…
hello
At 5:20pm on August 15, 2010,
सदस्य टीम प्रबंधन
Rana Pratap Singh
said…

At 1:05pm on August 15, 2010, Admin said…
भरत तिवारी जी, जय हिंद,
अभी अभी आपका एक पोस्ट "लहरा के तिरंगे को गुमान करूँ" प्राप्त हुआ है जिसे अनुमोदन किया जा चूका है, मैने देखा कि आप ने इस पोस्ट को moderate कर दिया है मतलब कि इस पर कमेंट्स केवल आपके मित्र सूची मे जो है वो ही दे सकते है, यदि आप ने जान बुझकर किया है तो कोई बात नहीं, किन्तु यदि अनजाने मे हुई है तो आप इस पोस्ट को खोल ले और Edit Post मे जाकर

Who can comment on this post? मे

Everyone को क्लिक कर दीजिये,
यदि जानबूझकर सेट्टिंग ऐसा किये हो तो इस massage को Ignore कर दे ,
सादर,
आपका
एडमिन
OBO
At 9:51am on August 15, 2010, Admin said…

At 8:35am on August 15, 2010, PREETAM TIWARY(PREET) said…

 
 
 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"खुद को चाहा तो जग बुरा क्या है ये बुरा है  तो  फिर  भला क्या है।१। * इस सियासत को…"
1 hour ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"सादर अभिवादन, आदरणीय।"
1 hour ago
Euphonic Amit replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"ग़ज़ल~2122 1212 22/112 इस तकल्लुफ़ में अब रखा क्या है हाल-ए-दिल कह दे सोचता क्या है ये झिझक कैसी ये…"
5 hours ago
Admin replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"स्वागतम"
5 hours ago
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा पंचक. . . . .

दोहा पंचक  . . . .( अपवाद के चलते उर्दू शब्दों में नुक्ते नहीं लगाये गये  )टूटे प्यालों में नहीं,…See More
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर updated their profile
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीया प्रतिभा जी, मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार.. बहुत बहुत धन्यवाद.. सादर "
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"हार्दिक धन्यवाद, आदरणीय। "
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आपका हार्दिक आभार, आदरणीय"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय दयाराम जी मेरे प्रयास को मान देने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद। हार्दिक आभार। सादर।"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय सौरभ पांडेय सर, बहुत दिनों बाद छंद का प्रयास किया है। आपको यह प्रयास पसंद आया, जानकर खुशी…"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय आदरणीय चेतन प्रकाशजी मेरे प्रयास को मान देने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद। हार्दिक आभार। सादर।"
Sunday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service