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धार्मिक साहित्य Discussions (167)

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चामर छन्द "मुरलीधर छवि"

चामर छन्द "मुरलीधर छवि" गोप-नार संग नन्दलालजू बिराजते।मोर पंख माथ पीत वस्त्र गात साजते।रास के सुरम्य गीत गौ रँभा रँभा कहे।कोकिला मयूर कीर…

Started by बासुदेव अग्रवाल 'नमन'

0 May 9, 2021

लावणी छन्द (ईश गरिमा)

लावणी छन्द (ईश गरिमा) तेरी ईश सृष्टि की महिमा, अद्भुत बड़ी निराली है;कहीं शीत है कहीं ग्रीष्म है, या बसन्त की लाली है।जग के जड़ चेतन जितने भ…

Started by बासुदेव अग्रवाल 'नमन'

1 May 3, 2021
Reply by शुचिता अग्रवाल "शुचिसंदीप"

पञ्चचामर छन्द, श्री हनुमान वंदना

उपासना करें सभी,महाबली कपीश की,विराट दिव्य रूप की,दयानिधान ईश की।कराल काल जाल से, प्रभो उबार लीजिये,अपार भक्ति दान की,कृपा सदैव कीजिये। प्…

Started by शुचिता अग्रवाल "शुचिसंदीप"

2 May 3, 2021
Reply by शुचिता अग्रवाल "शुचिसंदीप"

मरहठा छंद "कृष्ण लीलामृत"

मरहठा छंद "कृष्ण लीलामृत" धरती जब व्याकुल, हरि भी आकुल, हो कर लें अवतार।कर कृपा भक्त पर, दुख जग के हर, दूर करें भू भार।।द्वापर युग में जब,…

Started by बासुदेव अग्रवाल 'नमन'

0 Apr 26, 2021

भक्तिरस के दोहे :

भक्तिरस के दोहे : देना हो तो दीजिए, प्रभु ऐसा वरदान। मुख से निकले राम जब, प्राण करें प्रस्थान।1। पाना हो जो राम तो , बन जाओ हनुमान। अंतर्…

Started by Sushil Sarna

2 Aug 13, 2020
Reply by Sushil Sarna

गणपति वंदना

गणपति महाराजा, पूर्ण करो काजा, दयावंत, दयाधारी. गौरी नंदन , दूर करो क्रंदन, जाऊँ मैं  बलिहारी. रिद्धि-सिद्धि के स्वामी, अंतर्यामी, तुम हो…

Started by Anita Sharma

0 Oct 5, 2018

तुलसी : एक सच्चे गुरु

तुलसी :एक सच्चे गुरु 'उमा कहेउ मैं अनुभव अपना. सत हरि भजन जगत सब सपना.' इस एक चौपाई में संतकवि तुलसी जीवन के उस परम सत्य से साक्षात् कराते…

Started by Ganga Dhar Sharma 'Hindustan'

0 Aug 25, 2018

जपत रटत राम नाम, तरना है दुनिया

(छंद-उड़ियाना पद, विधान- उड़ियाना-12, 10 अंत में एक गुरू, उड़ियाना पद 12,12,12,10 अंत में एक गुरू) जपत रटत राम नाम, तरना है दुनिया जपत रटत रा…

Started by रमेश कुमार चौहान

0 May 31, 2018

हरो बाधा सभी हनुमन........

हरो बाधा सभी हनुमन..... विधाता छंद हरो बाधा सभी हनुमन.........शरण मैं आपकी आया। करो मुझपर कृपा ऐसी,....विमल हो बुद्धि मन काया।। नमन करता सद…

Started by Satyanarayan Singh

0 Apr 1, 2018

अनुष्टुप छंद

अनुष्टुप छंद यह छन्द न पूर्णतयः मात्रिक है, न ही पूर्णतयः वार्णिक। इसमें चार चरण होते हैं। हर चरण में आठ वर्ण होते हैं - पर मात्राएँ सबमें…

Started by SANDEEP KUMAR PATEL

2 Dec 30, 2017
Reply by SANDEEP KUMAR PATEL

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सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Saurabh Pandey's discussion पटल पर सदस्य-विशेष का भाषायी एवं पारस्परिक व्यवहार चिंतनीय
"आदरणीय अमीरुद्दीन जी, किसी को किसी के प्रति कोई दुराग्रह नहीं है. दुराग्रह छोड़िए, दुराव तक नहीं…"
20 minutes ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी's blog post ग़ज़ल (जो उठते धुएँ को ही पहचान लेते)
"अपने आपको विकट परिस्थितियों में ढाल कर आत्म मंथन के लिए सुप्रेरित करती इस गजल के लिए जितनी बार दाद…"
49 minutes ago

सदस्य कार्यकारिणी
शिज्जु "शकूर" commented on Ashok Kumar Raktale's blog post मनहरण घनाक्षरी
"आदरणीय सौरभ सर, अवश्य इस बार चित्र से काव्य तक छंदोत्सव के लिए कुछ कहने की कोशिश करूँगा।"
51 minutes ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Ashok Kumar Raktale's blog post मनहरण घनाक्षरी
"शिज्जू भाई, आप चित्र से काव्य तक छंदोत्सव के आयोजन में शिरकत कीजिए. इस माह का छंद दोहा ही होने वाला…"
1 hour ago
Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - गुनाह कर के भी उतरा नहीं ख़ुमार मेरा
"धन्यवाद आ. अमीरुद्दीन अमीर साहब "
1 hour ago
Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - गुनाह कर के भी उतरा नहीं ख़ुमार मेरा
"धन्यवाद आ. सौरभ सर,आप हमेशा वहीँ ऊँगली रखते हैं जहाँ मैं आपसे अपेक्षा करता हूँ.ग़ज़ल तक आने, पढने और…"
1 hour ago
Nilesh Shevgaonkar commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post मौत खुशियों की कहाँ पर टल रही है-लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'
"आ. लक्ष्मण धामी जी,अच्छी ग़ज़ल हुई है ..दो तीन सुझाव हैं,.वह सियासत भी कभी निश्छल रही है.लाख…"
1 hour ago
Nilesh Shevgaonkar commented on अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी's blog post ग़ज़ल (जो उठते धुएँ को ही पहचान लेते)
"आ. अमीरुद्दीन अमीर साहब,अच्छी ग़ज़ल हुई है ..बधाई स्वीकार करें ..सही को मैं तो सही लेना और पढना…"
1 hour ago

सदस्य कार्यकारिणी
शिज्जु "शकूर" commented on अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी's blog post ग़ज़ल (जो उठते धुएँ को ही पहचान लेते)
"मोहतरम अमीरुद्दीन अमीर बागपतवी साहिब, अच्छी ग़ज़ल हुई है, सादर बधाई"
1 hour ago

सदस्य कार्यकारिणी
शिज्जु "शकूर" commented on Ashok Kumar Raktale's blog post मनहरण घनाक्षरी
"आदरणीय सौरभ सर, हार्दिक आभार, मेरा लहजा ग़जलों वाला है, इसके अतिरिक्त मैं दौहा ही ठीक-ठाक पढ़ लिख…"
2 hours ago
Sushil Sarna posted blog posts
3 hours ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी posted a blog post

ग़ज़ल (जो उठते धुएँ को ही पहचान लेते)

122 - 122 - 122 - 122 जो उठते धुएँ को ही पहचान लेतेतो क्यूँ हम सरों पे ये ख़लजान लेते*न तिनके जलाते…See More
3 hours ago

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