हमने सवैया  के विभिन्न रूपों पर चर्चा करने के क्रम में मत्तगयंद सवैया के विषय में जाना है. जिसमें भगण की सात आवृति के पश्चात् दो गुरु का होना तय माना गया है. 
इसी सवैये में थोड़ा सा परिवर्तन करते हुए हम पद के अंत से एक गुरु कम कर दें तो एक विशेष सवैया सामने आता है. इसी सवैया को मदिरा सवैया कहते हैं.
अर्थात, मदिरा सवैया = भगण X 7 + गुरु
मदिरा सवैया = भानस भानस भानस भानस भानस भानस भानस + गुरु
चूँकि, सवैया के विषय में हम समझते हैं कि गेयता के अनुसार यति निर्धारित हो जाती है. फिरभी, मत्तगयंद सवैया के अनुसार मदिरा सवैया के पदों में भी 12-10 या 10-12 वर्णों पर यति मान्य है.
उदाहरण स्वरूप आज हम नवोदित रचनाकार कुमार गौरव अजीतेन्दु द्वारा रचित मदिरा सवैया को लेते हैं --
भारत के हम शेर, रखें मन-प्राण सुरक्षित कानन को ।
 मेट रहे बल-पौरुष से, दिखते हर संकट कारण को ॥
 भाग चला हर शत्रु लिए तन-मोह ढके निज आनन को ।
 विश्व कहे, हम वीर बड़े दिल से रखते वसुधा-मन को ॥
पहला पद - 
 भारत (गुरु लघु लघु) / के हम (गुरु लघु लघु) / शेर र (गुरु लघु लघु) / खें मन (गुरु लघु लघु) / 
 <--------1-------------> <------------2-----------> <----------3-----------> <------------4------------->
 प्राण सु (गुरु लघु लघु) / रक्षित (गुरु लघु लघु) / कानन (गुरु लघु लघु) / को (गुरु)
 <------------5-----------> <----------6------------> <-----------7-----------> <---8--->
 
 यहाँ पदों के विन्यास पर विशेष व्याख्या की आवश्यकता प्रतीत नहीं हो रही है. पद का निर्वहन अत्यंत कशलता से हुआ है.
 
ज्ञातव्य :
 प्रस्तुत आलेख प्राप्त जानकारी और उपलब्ध साहित्य पर आधारित है.
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सादर, बिलकुल मत्तगयन्द कि ही तरह है एक गुरु अंत में कम है किन्तु पूरी तरह लयबद्ध हो रहा है.यातियाँ भी स्वतः निर्धारित हो रही है.आभार.
आदरणीय अशोकभाई, आपकी संलग्नता और लेखों के प्रति आपकी गंभीरता मेरे प्रयास को अर्थवान बना रही है. मैं भी संप्रेषण के लिहाज से और स्पष्ट होने की कोशिश करूँगा.
सादर
हार्दिक धन्यवाद भाई अजीतेन्दुजी. मूल छंद-रचना आपकी है और मेरे इस कहे पर किसी को आपत्ति नहीं होगी. दूसरे, आपका उक्त प्रयास शुद्ध खड़ी हिन्दी में हुआ है. एक बात और ध्यान देने योग्य तथ्य यह है कि आपके उपरोक्त छंद में आंचलिक शब्दों का सहयोग नहीं लिया गया है. यह उन रचनाकारों और अभ्यासकर्ताओं के लिए उदाहरण स्वरूप है जो आजकी खड़ी हिन्दी में सवैया छंद रचना करना चाहते हैं.
शुभेच्छाएँ
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