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भोजपुरी साहित्य Discussions (245)

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बतकही ( गपसप ) अंक ४

बतकही ( गपसप ) अंक ४  हम जइसे लछुमन भाई के चाय दुकान पर पहुचनी लछुमन भाई फटाक से पेपर हमारा के देदेले , लागत रहे जइसे उ हमार इंतजार करत रहू…

Started by Rash Bihari Ravi

4 Jun 1, 2011
Reply by Rash Bihari Ravi

बतकही ( गपसप ) अंक ३

  बतकही ( गपसप ) अंक ३   हमके बस से उतरत देख लछुमन भाई जोर से आवाज लगवले प्रणाम गुरु जी, इ का रउआ बाइक से आइल गइल बंद क देनी का ? त हम कहनी…

Started by Rash Bihari Ravi

2 May 23, 2011
Reply by Rash Bihari Ravi

चंदवा डांसर बन गइल "(भोजपुरी कहानी)

" चंदवा डांसर बन गइल "(भोजपुरी कहानी)                            - बृज भूषण चौबे " जब तक पूरा मांग  के पइसा  ना मिली इ बियाह ना होई "  मडवा…

Started by Brij bhushan choubey

2 May 22, 2011
Reply by Rash Bihari Ravi

बतकही ( गपसप ) अंक २

बतकही (2) ( गपसप ) लछुमन भाई के चाय के दुकान पर बईठ के हम चाय के चुस्की ले ले के पेपर पढ़त रहनी ह, पेपर में सब जगे दीदी के चर्चा बा , पेपर…

Started by Rash Bihari Ravi

8 May 21, 2011
Reply by Rash Bihari Ravi

" जानत बानी हम "

जानत बानी कि हम मंजिल ना हई तोहारजानत बानी की हम रास्ता भी ना हई तोहारपर कुछ देर त साथ चलल रहनी जा हम-तुकुछ देर त एक दुसरा के सुख-दुख  बँटल…

Started by Raju

0 May 20, 2011

हम सोचिला कभी

Started by R. K. PANDEY "RAJ"

1 May 20, 2011
Reply by Raju

भोजपुरी में पहिलका कार्टून मूवी : "पंडित अउर तीन ठग"

सभे सदस्यगण के प्रणाम, का करीं दिमाग में कुछ ना कुछ घुमात रहेला, कभी कुछ करे के ता कभी कुछ करे के, भोजपुरी खातिर जेतना भी करीला ओकरा से सं…

Started by R. K. PANDEY "RAJ"

2 May 20, 2011
Reply by Raju

छोड़ के पिजरवा पराय गईलू चिरई|

छोड़ के पिजरवा पराय गईलू चिरई | सबहीं के सनेहिया भूलाय गईलू चिरई | निक नाही लागे अब त घरवा अंगनवा, तोहई के खोजे घूमि चारो और मनवा | कवनी खो…

Started by आशीष यादव

6 May 20, 2011
Reply by Raju

ई ह भोजपुरिया पुड़ी. . . . . . . . . . . . . . . . .

ई ह भोजपुरिया पुड़ी, एकर अकार 12 इंच के डायमीटर के होला. खाए में बहुत ही मोलायम होला आ एह पुड़ी के मोकबला कवनो पुड़ी ना कर सकस. गरम गरम खाय…

Started by R. K. PANDEY "RAJ"

7 May 20, 2011
Reply by Raju

मुख्य प्रबंधक

हल्की फुल्की हँसी की बात (भाग-६ ) / गनेश जी "बागी"

गुरु जी आज कोलकत्ता से घरे आवत रहलन ह,त छपरा स्टेशन पर मुसाफिर खाना मे बईठ एकमा जाये वाली गाडी के ईन्तजार करत रहलन, बगल मे एक आदमी अउर बईठल…

Started by Er. Ganesh Jee "Bagi"

3 May 20, 2011
Reply by Raju

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