For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

भोजपुरी साहित्य Discussions (246)

← Back to भोजपुरी साहित्य
Discussions Replies Latest Activity

हो गइनी मजबूर हजूर जब मालिक किनले गाड़ी ,

हो गइनी मजबूर हजूर जब मालिक किनले गाड़ी , बन गइनी बंजारा छुट गइल हमार घर बाड़ी , आज इहा कल उहा रहिले जब ले चक्का घुमेला , हो जाला ख़राब गा…

Started by Rash Bihari Ravi

4 Jul 6, 2011
Reply by आशीष यादव

बतकही ( गपसप ) अंक ७

बतकही ( गपसप ) अंक ७ हम एक हप्ता खातिर नासिक का गइनी कि लछुमन भाई के चाय दोकान पर के बईठका एक दमे ख़तम, आदत के मोताबिक हम सुबेरे पहुच गइनी,…

Started by Rash Bihari Ravi

5 Jun 23, 2011
Reply by Shakur Khan

बतकही ( गपसप ) अंक 6

बतकही ( गपसप ) अंक 6 लछुमन भाई के चाय दुकान पर गहमा गहमी रहुऐ बाकिर लछुमन भाई के चेहरा उतरल रहुऐ, हमरा के देख के उ ब़ोलुअन प्रणाम गुरु जी ब…

Started by Rash Bihari Ravi

1 Jun 13, 2011
Reply by Saurabh Pandey

भक्त अपने भगवान से.

भक्त अपने भगवान से. खेल खेलिला राउर नज़ारा रहल, हम नाचीं ला राउर इशारा रहल. चाहे प्यारा रहल या किनारा रहल, जे बा आईल राउरे सहारा रहल. चाहे…

Started by R N Tiwari

0 Jun 10, 2011

बतकही ( गपसप ) अंक 5

 बतकही ( गपसप ) अंक 5 लछुमन भाई के चाय दुकान बंद रहे उनकर दुकान के सामने रोज के अपेक्षा लोग कम रहे, आदत के अनुसार हम उहा पहुच गईनी हमरा…

Started by Rash Bihari Ravi

6 Jun 8, 2011
Reply by Neelam Upadhyaya

फूट फूट के रोवत बाड़ी महतारी भारती,

फूट फूट के रोवत बाड़ी महतारी भारती, कईसन कुलछना के माई हम कहइनी, बे शरमा इ मूंग दरत बा माई के हो छाती, हमरा त इ लागत बाटे होगइल कुल घाती…

Started by Rash Bihari Ravi

1 Jun 6, 2011
Reply by Er. Ganesh Jee "Bagi"

दुधवा के जगे जहा, मरवा पिआवे ली,

दुधवा के जगहां जहा, मड़वा पियावे ली, वोकरा के गरीब कही, मति दुत्करीह |   अपने ना खाली कुछु, बचवा ला धरी देली, माई के मनवा के , जनि तू टटोलिह…

Started by Rash Bihari Ravi

0 Jun 6, 2011

तू इ कईसन फसवलsss

बाबा हो बाबा , तू इ कईसन फसवलs, चोर से कहत बाड़, चोरी ना करे खातिर, अगर चोरी कर लिहलस, चाही कानून सजा देबे खातिर, दुबिधा में डाल के, माथा घ…

Started by Rash Bihari Ravi

5 Jun 5, 2011
Reply by Rash Bihari Ravi

सुरु बा अनशन आज से ,

सरकार से वार्ता बेनतीजा , सुरु बा अनशन आज से , सोचे के इ बात बाटे , का मिली ये आगाज से , फिर सरकार के कोई मंत्री , झूठा  वादा  कर जईहन , मि…

Started by Rash Bihari Ravi

0 Jun 4, 2011

हमरा देशवा के बड़ाई हमके निक लागेला,

निक लागेला हमके निक लगेला , हमरा देशवा के बड़ाई हमके निक लागेला, सुनले बानी लोग कहेला इ रहे सोना के चिड़िया, पहिले मुग़ल फिर अंग्रेज एके मिटव…

Started by Rash Bihari Ravi

0 Jun 3, 2011

RSS

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179

आदरणीय साहित्य प्रेमियो, जैसाकि आप सभी को ज्ञात ही है, महा-उत्सव आयोजन दरअसल रचनाकारों, विशेषकर…See More
13 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर left a comment for लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी, ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार की ओर से आपको जन्मदिन की हार्दिक शुभकामनाएं।"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: मिथिलेश वामनकर
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक धन्यवाद। बहुत-बहुत आभार। सादर"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल - ( औपचारिकता न खा जाये सरलता ) गिरिराज भंडारी
"आदरणीय गिरिराज भंडारी सर वाह वाह क्या ही खूब गजल कही है इस बेहतरीन ग़ज़ल पर शेर दर शेर  दाद और…"
yesterday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .इसरार
" आदरणीय मिथिलेश वामनकर जी सृजन आपकी मनोहारी प्रतिक्रिया से समृद्ध हुआ । हार्दिक आभार आदरणीय जी…"
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post बाल बच्चो को आँगन मिले सोचकर -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी, आपकी प्रस्तुति में केवल तथ्य ही नहीं हैं, बल्कि कहन को लेकर प्रयोग भी हुए…"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .इसरार
"आदरणीय सुशील सरना जी, आपने क्या ही खूब दोहे लिखे हैं। आपने दोहों में प्रेम, भावनाओं और मानवीय…"
Monday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post "मुसाफ़िर" हूँ मैं तो ठहर जाऊँ कैसे - लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी इस बेहतरीन ग़ज़ल के लिए शेर-दर-शेर दाद ओ मुबारकबाद क़ुबूल करें ..... पसरने न दो…"
Monday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on धर्मेन्द्र कुमार सिंह's blog post देश की बदक़िस्मती थी चार व्यापारी मिले (ग़ज़ल)
"आदरणीय धर्मेन्द्र जी समाज की वर्तमान स्थिति पर गहरा कटाक्ष करती बेहतरीन ग़ज़ल कही है आपने है, आज समाज…"
Monday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर updated their profile
Monday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"आदरणीया प्रतिभा जी, मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार। बहुत बहुत धन्यवाद। आपने सही कहा…"
Oct 1
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"जी, शुक्रिया। यह तो स्पष्ट है ही। "
Sep 30

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service