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भोजपुरी साहित्य Discussions (245)

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मुख्य प्रबंधक

बात जवन भुलाला ना ( शिक्षक दिवस पर विशेष )

बात जवन भुलाला ना ( शिक्षक दिवस पर विशेष )  जिनगी में कभो कभो अइसन घटना घट जाला जवना के आदमी भुला ना पावे, बात आज से २३ बरिस पहिले के ह वोह…

Started by Er. Ganesh Jee "Bagi"

5 Sep 5, 2012
Reply by Saurabh Pandey

गोरी बस गइलू हमरी नजरिया में

पहिले हम केतना सही से रहलीं, दिल रहे केतना साफ़| देख के तू मुश्कियइलू  अइसन, दिल पर लिख दिहलू नाम| पहिले देखलू त तूहीं हमके आँख भर के,  ग…

Started by आशीष यादव

7 Jun 26, 2012
Reply by आशीष यादव

काहे रे जीवनबैरी जीवनबैरी पी ,

काहे रे जीवनबैरी जीवनबैरी पी ...   बच्चन के कपडा फाटल फाटल , पडल बाड तू गटर गटर ,  छोड़ के इ तू बढ़िया से जी , काहे रे जीवनबैरी जीवनबैरी प…

Started by Rash Bihari Ravi

16 Jun 4, 2012
Reply by Deepak Sharma Kuluvi

मुख्य प्रबंधक

निर्गुण भोजपुरी गीत : पिया अईले बोलावे

निर्गुण भोजपुरी गीत : पिया अईले बोलावे छोडे के नईहर तैयार हो, पिया अईले बोलावे, मनवा होखेला बेकरार हो , पिया से मिले के बावे , छोडे के नईह…

Started by Er. Ganesh Jee "Bagi"

25 Apr 22, 2012
Reply by Er. Ganesh Jee "Bagi"

चला हो, दिया पूरा हो!

अनिहार बहुत बढ़ गईल, चला हो, दिया पूरा हो!  (अनिहार: अंधेरा) बर्थ-डे मनय, स्कूल खरतिन बजट नाही, महगाई कुल छोरि लियेय, कौड़ी बचत नाही. काव…

Started by राकेश त्रिपाठी 'बस्तीवी'

2 Apr 6, 2012
Reply by राकेश त्रिपाठी 'बस्तीवी'

ई कइसन समाज ?

पूर्व प्रकाशित रचना होने के फलस्वरूप ओ बी ओ नियमानुसार इस पोस्ट को प्रबंधन स्तर से हटा दिया गया है | (२५ मार्च १०.३५ am) एडमिन 2012042501

Started by Brij bhushan choubey

1 Mar 24, 2012
Reply by Er. Ganesh Jee "Bagi"

आवअ लवट चलीं गाँव के ओर

गोईठा-लकड़ी के चूल्हा में भाप उठत ऊ भात बोलावे, संक्रांति के दही-चुड़ा-तिलवा  कऊड़ा में के आग बोलावे, बहुत हो गईल शहर में रहल आवअ लवट चलीं…

Started by R. K. PANDEY "RAJ"

11 Jan 16, 2012
Reply by Neelam Upadhyaya

सुनलिस नू ललमतिया ?

अन्यायी के अब तू खोर खईहे  अब ना केकरो से तू डेरईहे, आपन हक़ खातिर डेग बढ़ईहे  ना मिले त छीन भी लीहे, मत लजईहे, मत सकुचईहे सुनलिस नू ललमति…

Started by R. K. PANDEY "RAJ"

0 Jan 14, 2012

सुनलिस नू ललमतिया ?

अन्यायी के अब तू खोर खईहे  अब ना केकरो से तू डेरईहे, आपन हक़ खातिर डेग बढ़ईहे  ना मिले त छीनभी लीहे, मत लजईहे, मत सकुचईहे सुनलिस नू ललमतिय…

Started by R. K. PANDEY "RAJ"

0 Jan 14, 2012

याद केहू क अब आ रहल बा

आज  दिल पर नशा छ रहल बा, याद केहू क अब आ रहल बा| किश्मत में रहे मुलाकात हो गईल देखsते देखsते इक दिन बात हो गईल| बात के गीत दिल गा रहल बा; य…

Started by आशीष यादव

0 Nov 17, 2011

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शिज्जु "शकूर" commented on Sushil Sarna's blog post दोहा दशम -. . . . . शाश्वत सत्य
"आदरणीय सुशील सरना सर, सर्वप्रथम दोहावली के लिए बधाई, जा वन पर केंद्रित अच्छे दोहे हुए हैं। एक-दो…"
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शिज्जु "शकूर" commented on शिज्जु "शकूर"'s blog post ग़ज़ल: मुराद ये नहीं हमको किसी से डरना है
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शिज्जु "शकूर" commented on शिज्जु "शकूर"'s blog post ग़ज़ल: मुराद ये नहीं हमको किसी से डरना है
"आदरणीय सुशील सरना जी उत्सावर्धक शब्दों के लिए आपका बहुत शुक्रिया"
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शिज्जु "शकूर" commented on शिज्जु "शकूर"'s blog post ग़ज़ल: मुराद ये नहीं हमको किसी से डरना है
"आदरणीय निलेश भाई, ग़ज़ल को समय देने के लिए आपका बहुत बहुत शुक्रिया। आपके फोन का इंतज़ार है।"
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शिज्जु "शकूर" commented on शिज्जु "शकूर"'s blog post ग़ज़ल: मुराद ये नहीं हमको किसी से डरना है
"मोहतरम अमीरुद्दीन अमीर 'बागपतवी' साहिब बहुत शुक्रिया। उस शे'र में 'उतरना'…"
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शिज्जु "शकूर" commented on शिज्जु "शकूर"'s blog post ग़ज़ल: मुराद ये नहीं हमको किसी से डरना है
"आदरणीय सौरभ सर,ग़ज़ल पर विस्तृत टिप्पणी एवं सुझावों के लिए हार्दिक आभार। आपकी प्रतिक्रिया हमेशा…"
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शिज्जु "शकूर" commented on शिज्जु "शकूर"'s blog post ग़ज़ल: मुराद ये नहीं हमको किसी से डरना है
"आदरणीय गिरिराज भंडारी जी, ग़ज़ल को समय देने एवं उत्साहवर्धक टिप्पणी के लिए आपका हार्दिक आभार"
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Nilesh Shevgaonkar posted a blog post

ग़ज़ल नूर की - आँखों की बीनाई जैसा

आँखों की बीनाई जैसा वो चेहरा पुरवाई जैसा. . तेरा होना क्यूँ लगता है गर्मी में अमराई जैसा. . तेरे…See More
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अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी commented on शिज्जु "शकूर"'s blog post ग़ज़ल: मुराद ये नहीं हमको किसी से डरना है
"आदरणीय सौरभ सर, मैं इस क़ाबिल तो नहीं... ये आपकी ज़र्रा नवाज़ी है। सादर। "
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Sushil Sarna commented on शिज्जु "शकूर"'s blog post ग़ज़ल: मुराद ये नहीं हमको किसी से डरना है
"आदरणीय जी  इस दिलकश ग़ज़ल के लिए दिल से मुबारकबाद सर"
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Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . . उमर
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