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भोजपुरी साहित्य Discussions (246)

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मुख्य प्रबंधक

भोजपुरी भाषा के संवैधानिक मान्यता देवे के राह के तकनिकी बाधा दूर भईल : आर के सिंह

नई दिल्ली 12 दिसम्बर 2012, केन्द्रीय गृह मंत्रालय के आमंत्रण पर बिहार भोजपुरी अकादमी के अध्यक्ष प्रो रविकांत दुबे जी भोजपुरी भाषा के भारतीय…

Started by Er. Ganesh Jee "Bagi"

3 Dec 15, 2012
Reply by mrs manjari pandey

लघुकथा : बियाह कटवा

शुक्ला जी गाँव के चौउराहा प पहुँच के, एने-ओने ताके लगले ! जईसे कुछ खोजत होखस ! फेर जाके बरगद के पेड़ तर बईठल एगो आदमी से पूछने, “ई हुशियार प…

Started by पीयूष द्विवेदी भारत

8 Dec 8, 2012
Reply by पीयूष द्विवेदी भारत

हास्य कविता : नवहा मलिकाईन

दिन  भर महभारत  बांचेली ! हमरी  कपार   पर  नांचेली ! अपनी मांगन पर अड़ जाली ! जे मना करी हम लड़ जाली ! कहें हमसे कि जीन्स ले आव, हम नाही पहिन…

Started by पीयूष द्विवेदी भारत

6 Nov 10, 2012
Reply by पीयूष द्विवेदी भारत

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दिवाली : पाँच दोहे (भोजपुरी).. . // सौरभ

नकबेसर के टोह में, अँगुरी मींजे रात । उहे दिवाली आजु ले, सिहरन पारे बात ॥ जम-दीया आ सूप से, भइल दलिद्दर दूर । पुलक गइल घर-देहरी, जगर-मगर…

Started by Saurabh Pandey

4 Nov 7, 2012
Reply by Saurabh Pandey

हँस मत पगली ना त प्यार हो जाई

नैना लडी त दिल के बुखार हो जाई हँस मत पगली ना त प्यार हो जाई भुखीयाँ प्यास तोहरा नाही लागी सुतलो मे ई तोहार अखीयाँ जागी हर चेहरा मे उनके द…

Started by Bishwajit yadav

7 Oct 20, 2012
Reply by Bishwajit yadav

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एगो प्रयास : भोजपुरी "कह मुकरी"

एगो प्रयास : भोजपुरी "कह मुकरी" (१) चोरी छुपे मोहे ताकत बाड़न, टुकुर-टुकुर निहारत बाड़न, कहेलन रानी खालs पिज्जा, ऐ सखी दुलहा, ना रे जीजा !…

Started by Er. Ganesh Jee "Bagi"

19 Oct 12, 2012
Reply by Er. Ganesh Jee "Bagi"

मुख्य प्रबंधक

एगो प्रयोग :- भोजपुरी हाइकू

पांच गो भोजपुरी हाइकू (१) यू पी चुनाव शुरू बा कांव कांव जागल गाँव (२) हाथी तोपाई करकस बोलाई हाथों जोड़ाई (३) नेता के फ़ौज लफंगन के मौज…

Started by Er. Ganesh Jee "Bagi"

20 Oct 12, 2012
Reply by Er. Ganesh Jee "Bagi"

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जलहरण घनाक्षरी : आम आदमी (भोजपुरी )

जलहरण घनाक्षरी : आम आदमी (भोजपुरी ) चकरी में जोरू संग, दराला आम आदमी, रोज-रोज चउक प, बिकेला आम आदमी |खाली बस चुनाव में, आवेला उ धियान में,ज…

Started by Er. Ganesh Jee "Bagi"

14 Oct 12, 2012
Reply by Er. Ganesh Jee "Bagi"

भाई भोजपुरिया हो भाई भोजपुरिया ,

  भाई भोजपुरिया हो भाई भोजपुरिया ,कर ना तुही कुछ जोगार ना त देसवा बिरान हो जाई ,अठारह स संतावन या उनीस स बेआलिस हो ,पड़ल बा तहरे दरकार ना त…

Started by Rash Bihari Ravi

1 Oct 12, 2012
Reply by Er. Ganesh Jee "Bagi"

चला ना नेतवा से पुछाई ,

तन मन धन के , दे द तू वतन के , चला ना नेतवा से पुछाई , कल तक भूखे मरत रहलिस , तोरा बाप इहा का आइल , वापस कर इ दौलत वतन के , ना त मुह पे काल…

Started by Rash Bihari Ravi

1 Oct 12, 2012
Reply by Er. Ganesh Jee "Bagi"

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"ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179

आदरणीय साहित्य प्रेमियो, जैसाकि आप सभी को ज्ञात ही है, महा-उत्सव आयोजन दरअसल रचनाकारों, विशेषकर…See More
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सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर left a comment for लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी, ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार की ओर से आपको जन्मदिन की हार्दिक शुभकामनाएं।"
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सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: मिथिलेश वामनकर
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक धन्यवाद। बहुत-बहुत आभार। सादर"
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सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल - ( औपचारिकता न खा जाये सरलता ) गिरिराज भंडारी
"आदरणीय गिरिराज भंडारी सर वाह वाह क्या ही खूब गजल कही है इस बेहतरीन ग़ज़ल पर शेर दर शेर  दाद और…"
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Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .इसरार
" आदरणीय मिथिलेश वामनकर जी सृजन आपकी मनोहारी प्रतिक्रिया से समृद्ध हुआ । हार्दिक आभार आदरणीय जी…"
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Saurabh Pandey commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post बाल बच्चो को आँगन मिले सोचकर -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी, आपकी प्रस्तुति में केवल तथ्य ही नहीं हैं, बल्कि कहन को लेकर प्रयोग भी हुए…"
yesterday

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मिथिलेश वामनकर commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .इसरार
"आदरणीय सुशील सरना जी, आपने क्या ही खूब दोहे लिखे हैं। आपने दोहों में प्रेम, भावनाओं और मानवीय…"
Monday

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मिथिलेश वामनकर commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post "मुसाफ़िर" हूँ मैं तो ठहर जाऊँ कैसे - लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी इस बेहतरीन ग़ज़ल के लिए शेर-दर-शेर दाद ओ मुबारकबाद क़ुबूल करें ..... पसरने न दो…"
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मिथिलेश वामनकर commented on धर्मेन्द्र कुमार सिंह's blog post देश की बदक़िस्मती थी चार व्यापारी मिले (ग़ज़ल)
"आदरणीय धर्मेन्द्र जी समाज की वर्तमान स्थिति पर गहरा कटाक्ष करती बेहतरीन ग़ज़ल कही है आपने है, आज समाज…"
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मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"आदरणीया प्रतिभा जी, मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार। बहुत बहुत धन्यवाद। आपने सही कहा…"
Oct 1
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"जी, शुक्रिया। यह तो स्पष्ट है ही। "
Sep 30

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