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जहर भरल बा जवना मन में ,
उ अमृतमय बानी का बोली ,
जे दोसरा में चोट पहुचावत बा ,
हम ओकरा मन के का बोली ,
देश के खातिर लड़त रही ,
उ कबो लड़ाई ना बोली ,
जनता पर धावा बोल रहल बा ,
जनता बोली ता उ का बोली ,
जवान जित मिलेला मुस्किल से ,
उ जित के खुसी का बोली ,
अलगाव बड़ी मुस्किल कईले बा ,
उ मुस्किल के हम का बोली ,
जहिया जन के माथा गरम होई ,
ये गर्मी पर ओकर का बोली ,
पार्टी बाद से तनी ऊपर उठा ,
देश बाद के का बोली ,
जहिया जनता उखर जाई,
ता तोहर कोई ना जय बोली ,

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Replies to This Discussion

जहर भरल बा जवना मन में ,
उ अमृतमय बानी का बोली ,
जे दोसरा में चोट पहुचावत बा ,
हम ओकरा मन के का बोली ,
Guru raur e kavita padh key man mey aekey baat aawat ba ki aekdam satik kuch log key wopar baithat ba, Sachmuch kuch log key man mey jahar bharal ba, aa wokar kaam hi baa dosara key man key taklif pahuchawal, Bahut badhiya likhani rauwaa, Boli sab log mil key ----------Jai obo, Jai Guru jee

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मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-167
"मेरे कहे को मान देने के लिए हार्दिक आभार आदरणीय।"
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"बहुत बहुत शुक्रिया ज़र्रानवाज़ी का आ श्याम जी"
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