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डार्लिंग दगाबाजी कईल , काहें करवल गवना हमार |,

बहियाँ छोड़ा के जाल राजा  , मानेल ना  कहना हमार |
डार्लिंग दगाबाजी कईल , काहें करवल गवना हमार |, 
केकरा से आग मान्गबी , केकरा से मान्गबी  पानी |
केकरा से प्यार मान्गबी , चढ़ल बा जवानी | 
काहें करेल मनमानी सईयाँ , तोडी के जाल हियरा हमार |
डार्लिंग दगाबाजी कईल , काहें करवल गवना हमार |, 
रोके तोहके खनकत चूड़ी , रोके  तोहक कंगना |
हमरा के छोडी के जाल , सूना कईके अंगना |
ना सुनेल कवनो निहोरा , करेल ना मन में विचार  |
डार्लिंग दगाबाजी कईल , काहें करवल गवना हमार |, 
अब जब जईब पीया , कईसे बीती रतिया |
संगवा में के करी  ,  मीठी मीठी बतिया  |
वर्मा तोहरा पईयाँ पडीं , सुनिल अरजिया हमार |
डार्लिंग दगाबाजी कईल , काहें करवल गवना हमार |, 
श्याम नारायण वर्मा 
(मौलिक व अप्रकाशित)

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Replies to This Discussion

बीरहि के आगि के इयादियो ले पियऊ-मीता के नेह-छोह के दँवका देवे खातिर ढेर बा ओकर होखल बिचारओ ले में माहुर घोर देला. एह सुन्नर भाव प रउआ प्रयास कइले बानीं, आदरणीय श्याम नारायण जी, ई नीमन लागल. हमार बधाई लीहीं.

बाकिर संगहीं एगो निहोरा बा, गीतन में मात्रिकता के तनिका निर्वहन कइल जाव. आ गीतन में जवन कथ्य अनादि काल से कहल जा रहल बा ओह कथनियन से जरिका बाँचल भले ना जाव, बाकिर, बिम्ब त आजु के अनुसार कइल जाव. ना त पठकन के मन ह, एके चिझुआ अक्सरहा बाँचत-बाँचत उबिया-उचिटा जाला.

बहरहाल, एह प्रस्तुति खातिर फेरु से निकहा ढेरम्ढेर बधाई.

सादर

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