For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

सुरी कुआं भीरी खड़ा बा ...केहू के आवे के इंतज़ार हो रहल बा ..हेने होने लगातार देख रहल बा ...निचे देखलस
इनार में ,सुखाल इनार जौना में बहारण ओहारण फेकल गएल बा ..
इयाद बा ओकर कि कैसे खेल खेल में तुरंत सब लैका कूद के फटाक से निकालियो जा लासन ..उ ता पहीले
कूदे से डेरात रहे बाकि दीपुआ ओकरा के कूदे के सिखावालस...
बाकि कहा बा दीपुआ अभी तक न आएल ...
तबाही दौडल दौडल आ रहल बा ..
कुरता आरू हाफ पाईंट पहिनले बा ..
खालिए पैरे कुरता के उपरवाला बाटम टुटल..सात -आठ साल के बा
..गहुआ रंग ..परेशां लगता केहू से मार पीट कर के भागल बा..
काहे रे रामलोटा हम कबही से आके तोहनी के बाट जोहा तानी ..कहवा रहिस ..गुल्लिया डंडवा कहा बा..
........झुल्ला के सुरी बोललास ..गोर रंग मासूम के जएसन चेहरा ..लम्बाई ,उम्र एकदम राम्लोटा के ही बराबर ..लाल कुरता आरू करिया हाफ पेंट .
सुरी के देह में बड़ी सोभ रहल बा ...
लम्बा लम्बा लट ...पूरा गाव भर में जानल जाला ..सुन्दर चेहरा आरू आपण हमउम्र के बच्चन में सबसे तेज पडेला |
ऊपर से गाव के मुखिया जी के एकलौती संतान हा ..
आरू दीपुआ कहा बा ...राम्लोटा के बोला से पहिलही तिसरका सवाल ..
मामा ...मामा ..
बोल रूक काहे गईलिस ...
राम्लोटा रिश्ता में भगिना बा सुरी के ..गोतिया में के नेहा दीदी के लैका हा ..बचपने से मामा गावं खूब रहेला ..आपण गाव से ज्यादा अभी तक सुरी के गावं में ही ज्यादा रहल बा ..
दीपू .सुरी आरू राम्लोटा एकदम पकिया संघतिया हवन सन ..हमेशा सुबह से लेके शाम तक साथै रहत रहन सन ..
स्कूल से लेके खेल के मैदान तक साथै साथै ...
आज स्कूल बंद बा ..इतवार हा..
तबाही दुपहरिया में खेले के प्लान बनल बा ...होली के छुट्टी के बाद पहिलका इतवार हा..
दीपुआ नेहा दीदी के छोट भाई नारायण भैया के साला हा ..
भौजी जोरे साथै एक साल पहीले आएल रहे ता अभी तक एहिजे बा ..
गावं के हम उम्र लईकन में ए कनी के तिकड़ी के नाम से जानल जाला
राम्लोटा बोलल ..मामा ...दीपू आरू बंटी में लड़ाई भइल बा..बंटिया दीपू के खूब पटक के मारा ता ..
बे ..ता तू का करत रहिस ..तोरे मिल जाला आरू देबे ला बंटी बेटा के ..
.हम बंटिया के टांग पकडले रही बाकि ओकर बाबूजी ओहिजे बाडन
आरू उहे लड़ाई लगवेलन हा ..
आरू हमारा के एक झापो देला सा ..जब हम बंटिया के मारत रही ता ..
चल चल जल्दी...दूनो एकदम शरपट भागत मंदिर के पास आएलन सन ...
दीपू दुनो से एक -दू साल बड़ा बा..
गहुआ रंग ..देह हाथ पहलवान जइसन ..बंटिया ओकरो से कुछ साल बड़ा हा ...कदकाठी बराबर बा..
लागत रहे कि दू गो पहलवान आज एक -दुसरे के जान ले लीहन सा
...साथै साथै गारी गलौज भी चल रहल बा...दीपू के कुरता के सब बाटम टूट के बराबर ...बंटिया उघारे बा ..
बंटिया देलस पटक दीपू के ..तब तक सुरी आरू राम्लोटा बंटिया के टांग ध के खिचे लागला सन
..तब बंटी के बाबूजी बटन सिंह दुनो के हाथ पकड़ के साइड में ले ललन ..
बटन सिंह ..रंग में करिया ..देह हाथ ऐसन बा कि पुरे गावं में ओकरा जोड़ के बहुत कम जवान रहल..
मुछ बड़े बड़े ...बाल भी बड़े बड़े ..गावं के लैका ता ऐसाही ओकरा से थर -थर कांपत रहसन ...आपना जामना के जावार के टप पहलवान रहे
मुखिया जी के उ चाचा कहत रहे ..
.मार बंटी दीपू साले के ता ..आज के बाद ई तोरा सामने ठेके के कोशिस न करिहे ..गडगडा के बुट्टन सिंह बोलल
बुतन भइया तनी हाथ छोड़ के देख ला ओकरा बाद बंटी के ता उह दशा बनाईम जा कि ..बंटी बेटा के आज सब बोखार छुट जाई
तब तक बंटिया दीपू के पटक के दंदनईले रहे..
बस बस छोड़ दे बेटा ...आज के बाद ई साले तोरा से न लगिहे
महाभारत ख़तम हो गएल रहे आरू रणभूमि में तिकड़ी के हार
फिर भी ई वीर गुल्ली डंडा उठाके इनार के पास ....मामा चलल जाओ घरे कहें कि ..बुट्टन आरू बंटिया हमनी के मरलाहा सन ..तब मुखिया नाना आके के एकानी के मरिहे
ना ना सुरी घरे नइखे बतावे के ना ता हमनिहे के उलटे पीटा जा इल जाई
ठीक कहा तारे दीपू ..ना कहल जाई राम्लोटा तुहो मत कहिहे -सुरी बोललस
बाकि दीपू काहे के बंटिया तोरा से लडाई कैलासा -सुरी पुछलस
आरे सुरी हम गुल्ली डंडा लेके आवत रही ता बंटिया हमारा के साला कह देलस जबकि हम ओकर मामा लागम|
बस येही प् लडाई सुरु भइल हा तब तक बुट्टानो आ गएल हा |ओकरा बाद देखबे कईला हा सुरी-दीपू आपण बात कहलस
तब ता दीपू हमनी के बुट्टन पहलवान के ता सबक सिखा ही के परी
हा सुरी ..बाकि कैसे ?
दीपू सोच में पड़ गएल ...सुरी भी सोचत रहे
तबतक एकदम से बोलल -हमनी के पिटाई बुट्टन पहलवान के बहुत महंगा पड़ी , दीपू |
का करबे सुरी हमर तनिको बुझात नइखे |राम्लोटा भी सुरी मामा के टकटक मुह देखत रहे |
राम्लोटा तू घरे जा आरू सलाई लेके आवा | केहू पूछी ता बोल दिहा कि होरहा खाए जा तनी जा |
राम्लोटा के जाते ही दीपू के सब प्लान समझा देलस सुरी |
राम्लोटा के सलाई लैला के बाद उनकरो काम बता देलस |बस अब ई वीर सब महाभारत हार के रामायण के रणभूमि लंका में जात रहा सन |मंदिर के पास पहूचते ही बंटिया के राम्लोटा ललकार देलस |
जब बंटिया राम्लोटा के मारे खातिर दौडल तब राम्लोटा इनार देले भागे लागल |बंटिया रखेद लेलस तब तक दीपुआ भी बंटिया के पीछे दौड़े लागल |तब तक सुरी मंदिर के पास मैदान में बुट्टन के एक हजार रखल पेठारी में सलाई मार के सरपट इनार प् |
ओहिजा पहुचाला के बाद देखलस कि दीपू आरू रामलोटा मिल के खाए भर दे तारण सन बंटी के |सुरी भी मिल गएल ओकनी में | तबतक गावं में हाहाकार मच चुकल रहे |
बुट्टन के पेठारी में आग लाग गएल |आग के बुझावत बुझावत लगभग सारा पेठारी (पुआल ) जल चुकल रहे |
बुट्टन पहलवान के खीस आसमान पे रहे , के आग लगा देलस कुछ पता न चलल |
बंटिया तोरा के रखवारी करे के कहले रही ता कहा रहिस -इनार प्
रूअत बंटिया कहलस ,ओ घरी राम्लोतावा ,दीपुआ आरू सुरी मिल के हमारा के मारत रहन सन..
थोडा देर के बाद समझा बुझा के सब लोग आपना आपना घरे रहे आरू तीनो वीर लंका दहन कर के इनार प् ,प्लान सक्सेस होखे के ख़ुशी मनावत रहन सन |
बाकि आज तक गावं में केहू के पता न चलल कि बुट्टन के पुआल ए आग के लगईले रहे
|
..................................................................................................................रीतेश सिंह
20 -08-2010iles/blogs/3634233:BlogPost:146195

Views: 1276

Replies to This Discussion

रितेश भाई जबरदस्त रचना बा इ गर्दा मचा दिहनी रौवा, हमरा याद आ गईल गाँव घर के बितावल उ बच्चपन के कुल बात, खेला खेला मे कईसे झमेला हो जात रहे, दोसर बात हमरा राउर लिखे के शैली बहुत निक लागल, अईसन लागत बा जईसे हम पढ़त नईखी बल्कि फिलिम देखत बानी, राउर हिंदी रचना त बरियार होखबे करेला, भोजपुरी रचना के भी कवनो जोड़ नईखे, बहुत बहुत बधाई इ रचना पर,
आगे भी राउर रचना के इन्तजार रही,
वाह रितेश भाई वाह.....ई राउर पहिला रचना हा और पहिला रचना में ही गर्दा मचा देनी.....बहुत बढ़िया तरह से सजा के लिखले बनी....ऐसेही लिखत रही......
जय हो............अगिला के इंतज़ार रही....
bada sughar likhale baani bhaiya. ummid ba ki jaldiye fir naya padhe ke mili. bada maza aaeel padh ke.
वाह रितेश जी । बड़ा जबरदस्त रचना बा । लागत बा कि सामनहीं सब कुछ घट रहल बा आ हमहूँ ओकर एगो हिस्सा बानी । पढ़ के हम तऽ अपना लइकाईं के दिन में चल गइनी हऽ जब कवनो बियाह-शादी चाहे कवनो परोजन में गाँवे जाईं सन तऽ पट्टीदारी के चाचा भइया लोग के संगे एही तरह के कुल्ह कार्य-कलाप में हमहूँ हिस्सा लीहीं । वाह ! रचना के कवनो जोड़ नइखे ।

हँऽ, एगो अउर बात । बागी जी आ प्रीतम तिवारी जी के " गर्दा मचा दिहनी " बहुत अच्छा लागल । रउरा लोग बुरा मत मानब । हमार भोजपुरी तनी खराब हो गइल बा आ तनी भोर पर गइल बा । ई समझ लीहीं कि तनी मनी क्रियोल बन गइल बा । रउरा लोगिन के कमेण्ट पढ़ के हम आपन भोहपुरी परिष्कृत करत रहिले । रउरा सब लोगिन के धन्यवाद ।
bahut badhia jabardast rachna

RSS

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

बृजेश कुमार 'ब्रज' commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल -मुझे दूसरी का पता नहीं ( गिरिराज भंडारी )
"आदरणीय गिरिराज जी इस बह्र की ग़ज़लें बहुत नहीं पढ़ी हैं और लिख पाना तो दूर की कौड़ी है। बहुत ही अच्छी…"
1 hour ago
बृजेश कुमार 'ब्रज' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post कहते हो बात रोज ही आँखें तरेर कर-लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"आ. धामी जी ग़ज़ल अच्छी लगी और रदीफ़ तो कमल है...."
1 hour ago
बृजेश कुमार 'ब्रज' commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - सुनाने जैसी कोई दास्ताँ नहीं हूँ मैं
"वाह आ. नीलेश जी बहुत ही खूब ग़ज़ल हुई...."
1 hour ago
बृजेश कुमार 'ब्रज' commented on बृजेश कुमार 'ब्रज''s blog post गीत-आह बुरा हो कृष्ण तुम्हारा
"आदरणीय धामी जी सादर नमन करते हुए कहना चाहता हूँ कि रीत तो कृष्ण ने ही चलायी है। प्रेमी या तो…"
1 hour ago
बृजेश कुमार 'ब्रज' commented on बृजेश कुमार 'ब्रज''s blog post गीत-आह बुरा हो कृष्ण तुम्हारा
"आदरणीय अजय जी सर्वप्रथम देर से आने के लिए क्षमा प्रार्थी हूँ।  मनुष्य द्वारा निर्मित, संसार…"
1 hour ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . . विविध
"आदरणीय जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार आदरणीय । हो सकता आपको लगता है मगर मैं अपने भाव…"
17 hours ago
Chetan Prakash commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . . विविध
"अच्छे कहे जा सकते हैं, दोहे.किन्तु, पहला दोहा, अर्थ- भाव के साथ ही अन्याय कर रहा है।"
19 hours ago
Aazi Tamaam posted a blog post

तरही ग़ज़ल: इस 'अदालत में ये क़ातिल सच ही फ़रमावेंगे क्या

२१२२ २१२२ २१२२ २१२इस 'अदालत में ये क़ातिल सच ही फ़रमावेंगे क्यावैसे भी इस गुफ़्तगू से ज़ख़्म भर…See More
yesterday
सुरेश कुमार 'कल्याण' commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post गहरी दरारें (लघु कविता)
"परम् आदरणीय सौरभ पांडे जी सदर प्रणाम! आपका मार्गदर्शन मेरे लिए संजीवनी समान है। हार्दिक आभार।"
yesterday
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा सप्तक. . . . . विविध

दोहा सप्तक. . . . विविधमुश्किल है पहचानना, जीवन के सोपान ।मंजिल हर सोपान की, केवल है  अवसान…See More
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post गहरी दरारें (लघु कविता)
"ऐसी कविताओं के लिए लघु कविता की संज्ञा पहली बार सुन रहा हूँ। अलबत्ता विभिन्न नामों से ऐसी कविताएँ…"
Tuesday
सुरेश कुमार 'कल्याण' posted a blog post

छन्न पकैया (सार छंद)

छन्न पकैया (सार छंद)-----------------------------छन्न पकैया - छन्न पकैया, तीन रंग का झंडा।लहराता अब…See More
Tuesday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service