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अइसन कब होई , "भोजपुरी धारावाहिक कहानी" "तिसरका कड़ी"

 

तिसरकी कड़ी
.
बियाह अबहीं ना करब बोल के विजय घर के भितरी चलि गइलन. तब रघुनाथबाबू कहलन,  "नया खून बा, चिंता मत करीं जा, सभ ठीक हो जाई. हम आवत बानी".  अतना बोल के ऊ भितरी गइलन. ओने घर के भीतर शांति देवी विजय से कहली,  "बहुत बढ़िया कइलऽ ह बेटा " तबहीं उहवाँ रघुनाथबाबू आगइलन - "का बढ़िया कइलन? समाज में बाप के इज्जत के कवनो ख्याले नइखे इनकरा, लोग का समझी?" शांति देवी कहली, "लोग का कही ओकर चिंता बा, बाकिर घर के कवनो चिंता नइखे "  रघुनाथबाबू सवाल कइलन, "का हम चिंता नईखी करत?" तब ऊ कहली, "राउरो बेटी सेयान होत बिया पहिले ए पऽ धेयान दीं "  रघुनाथबाबू बोललन, "का ध्यान देबे के बा? " ऊ मुँह चमकावत बोलली, "ईहे सोझाई में कुल्हि बिलाइल जा रहल बा. बिना दहेज़ के सादी कलेम, लइकी पसंद आई तऽ? आरे लइकी  काहे ना पसंद आई?  ओकर भाई एतना सुघर बा.. बिना दहेज़ के बिआह ना होई''  "तू त बिना मतलबे के बात सुरु का देलू "  रघुनाथबाबू झँझुआइ के बोललन. एकरा पऽ विजय कहलन, ''रउआ लोगिन आपसहीं में लड़त रहेम आकि हमारो सुनेम?''  रघुनाथबाबू बोललन, "बोलs का बोले के चाहत बाड़ऽ"  एहपर विजय कहलन, ''जब ले बबुनी के सादी ना हो जाई तबले हम सादी ना करब''  रघुनाथबाबू खुस होके कहलन ''इ बात बा त कवनो बात ना. तू चिंता जनि करऽ. पहिले बेटी बिदा कइये के पतोह ले आइब"  तब शांति देवी कहली, "ऊ सब ठीक बा, बाकिर बिना दहेज़ के? ..''  उनका बात के अनसुनी क के रघुनाथबाबू बहिरी निकल गइलन. उहाँ जाइके बतवलन, ''विजय के कहनाम बा जे पहिले बहिन के बिआह होई ओकरा बादे ऊ बिआह करिहन''  एपर अब्दुलमियाँ कहलन,  ''ई तऽ बहुत बढ़िया बिचार बा.  त रघुनाथबाबू हमनी के ई समझीं जा कि ई बियाह पक्का भ गइल?"  "एक दम पक्का" हँसतेहँसत रघुनाथबाबू कहलन. तबहीं उहाँ रामू आइल "मालिक खाना लाग गाइल बा"  रघुनाथबाबू कहलन, "चली लोगिन, खाना खालीं. आउर रउआ लोग के टिपनो दिलवा देत बानीं.  ऊ लोग खाना खा के टीपन लेके चले लागल. तब रामू कहलस, ''मालिक! मलकिनी लइकी के फोटो मँगली हऽ"  देवव्रतबाबू प्रकाश के ओरी देखलन. प्रकाश अपना ऊपर पाकेट में हाथ डाल के एगो खाम निकाल के ''हम जानत रहनी हँऽ, एकर जरुरत पड़ी"  ऊ रामू के हाथ में दे देले. सभ केहू हँसे लागल.फेरु ऊ लोग उहवाँ से बिदा होके चल दिहलस..
.
बाकी अगिला अंक में

 

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Replies to This Discussion

कहानी में उत्सुकता बनल बा.

शुभेच्छा

 

dhanyabad bhaiya

जय हो गुरूजी, राउर कहानी क गति (SPEED & STATUS ) दुनु बम -बम बा, बस चऊथा कड़ी क इंतज़ार बा. बहुत -बहुत बधाई.

dhanyabad sir

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