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बोला एक दिन बंदर  मामा

स्कूल नहीं जाऊँगा

सुनकर यह सब चकित हुए

पूछ बैठे ,' क्यों भला ?"

बोला वो इतराकर यह

नया मोबाइल लाये है पापा

नए गेम्स खेलूंगा मैं भी

स्कूल नहीं जाऊँगा |

रोज़ रोज़ की वही पढाई

रोज़ एक टीचर की डांट

मैं नहीं अब सुनने वाला

स्कूल नहीं जाऊंगा मैं |

सुन रहे थे यह सब उसके साथी

सुन रहा था उनका मामा हाथी

बोला वो बंदर से यह

" कहते हो स्कूल नहीं जाओगे

मोबाइल से खेलोगे ?"

कुछ रुका फिर बोला हाथी मामा

"चलो एक काम करते है

नदी से कहते है न बहे

सूरज से कहते है न उगे

चाँद से कहते है न आये

पेड़ो से कहते है फल न दे

चलो इन सब के साथ मोबाइल गेम्स खेलते है |

सुनकर यह बोला बंदर

ऐसा गज़ब न करना मामा

भूके ही मर जायेंगे सब

समझ गया हूँ मैं अपनी गलती

अब से नहीं कहूंगा यह |

काम सब के अपने अपने

सबको करने पड़ते है

स्कूल भी जाऊँगा मैं

पढ़ लिखकर कुछ बंजाऊंगा मैं |

मौलिक एवं अप्रकाशित

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Replies to This Discussion

बोला वो इतराकर यह

नया मोबाइल लाये है पापा

नए गेम्स खेलूंगा मैं भी

स्कूल नहीं जाऊँगा |

बहुत अच्छी कविता।समस्या के साथ समाधान।

 हर बच्चे की यही कहानी है. 

धन्यवाद आदरणीय।

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