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काम क्रोध मद लोभ पर , जब ना लगे लगाम |
बिना विचारे जो करे , क्षण में बिगड़े काम |
रघुवन में वट वृक्ष विशाला | ताहि समीप बहे लघु नाला |
नाले पर ना कोई पुलिया |  खम्भा पर जा बिगड़े हुलिया |
चारपाया कभी चढ़  जाते | बारी से  नाला पर आते | 
कभी भी तकरार ना होता | दुश्मनी का बीज ना बोता |
काली बकरी बड़ी सयानी | सबसे ही करती मनमानी |
खम्भे सफ़ेद बकरी आयी | अपर दिशा से काली धायी |  
सफ़ेद बोली पहले जाना | काली ने पर कुछ  ना माना |
खम्भा ऊपर हुई लड़ाई | काली ने झट सिंघ धसाई | 
दोनों लड़ी गुमान से , गिरी ऐन मझधार | 
बह गयी तेज धार में , झगड़ा है  बेकार |
गधा नाला पार को  आया | कुत्ता  भी  खम्भे पर आया | 
कुत्ता बोला पहले आओ | देख गधा बोला जाओ |
कुत्ता बोला भैया जाओ  | मुझे शर्मिन्दा ना कराओ |
एक एक पार हुए दोनों | खुशी खुशी घर पहुँचे दोनों |
खुशी से जो काम हो पाता | बैर करे मुश्किल हो जाता |
भाई ही  बैरी हो जाते , कलह कर बहुत दुःख पाते |
आपस में हो भाई चारा | खुशी खुशी बीते दिन सारा |
दुश्मनी को मिटाओ भाई | खुशी खुशी जीवन कट जाई |
छोड़ मद जो काम करे , हरदम  ही सुख पाय | 
खुशी में खुद सुखी रहे , सबको खुशी दिलाय | 
श्याम नारायण वर्मा 
(मौलिक व अप्रकाशित)

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Replies to This Discussion

दोहा और चौपाई छंदों के मेल से अच्छी बालकथा कहने का प्रयास हुआ है. चौपाई में कई स्थानों पर लयभंगता कर्णकटु हो कर सामने आती है. लेकिन यह भी सही है, कि प्रयास गंभीरता से हुआ है.

आप प्रयासरत रहें, आदरणीय.

शुभ-शुभ

बहुत बहुत धन्यवाद जी ,  आपका हार्दिक आभार  |

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