For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

खुशियाँ और गम, ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार के संग...

ओपन बुक्स ऑनलाइन के सभी सदस्यों को प्रणाम, बहुत दिनों से मेरे मन मे एक विचार आ रहा था कि एक ऐसा फोरम भी होना चाहिये जिसमे हम लोग अपने सदस्यों की ख़ुशी और गम को नजदीक से महसूस कर सके, इसी बात को ध्यान मे रखकर यह फोरम प्रारंभ किया जा रहा है, जिसमे सदस्य गण एक दूसरे के सुख और दुःख की बातो को यहाँ लिख सकते है और एक दूसरे के सुख दुःख मे शामिल हो सकते है |

धन्यवाद सहित
आप सब का अपना
ADMIN
OBO

Views: 75203

Reply to This

Replies to This Discussion

शायद कल थी ठोकी देशी, तभी बहकते फिरें गणेशी
मेरे परदादा के भाई,  इनको लाज तनिक नहि आई   

तुम सबके पोतों के पोते - काहे इंतना व्याकुल होते
अब जो चुप ना बैठे भाऊ, चाचा से कर दूँगा "ताऊ"  

जय हो, जय हो गांजा घोलें । ’परदादा के भाई’ बोलें ॥
परम पूज्य हैं सदा प्रभाकर । मगन गनेसी बबुआ पाकर ॥

’तुम’ का मतलब समझ न आया । पर ’पोते का पोता’ पाया ॥
चाहे  कोई  रिश्ता  मानो ।  नेह  हृदय  में  बहता  जानो ॥

जो कहना हो पहले तोलो, तोल मोल कर ही कुछ बोलो  
जाने दिल्ली और दोआबा, "बेबी" को भी कहते "बाबा" 

भई मिरासी सुत जो होता, रोता भी तो सुर में रोता
जो छंदों की काया माया, ओबीओ से है सब पाया,

ऐसा  काहे  कहें  गुसाईं । गुड़ही नहीं, भले ही झाईं ॥
लेकिन जीम 'जबेली' आली । योगी खाली करते थाली॥
हा हा हा हा...

भोजपुरिन की बात निराली। खुद तो खाते भर भर थाली
योगी मांगे जभे जलेबी ! बागी सौरभ भएँ फरेबी !

खाने पर क्या साहब ताना । हमने देखे हैं भट नाना ॥
अधध पसेरी चखना करते । तिसपर हाँड़ी चावल धरते ॥
बल्टी बुनिया दही कनस्तर । कढ़ी-फुलौरे छइँटी भर-भर ॥
गिने जलेबी या रसगुल्ला । समझो पाहुन हैं दुमदुल्ला ||
:-))

मैं भी पहुँची पार्टी में लेट, ओ बी ओ का खुला था गेट  

कर रही थी बकरी एक जुगाली, बजा रहे गणेश थे ताली

थी बात बड़ी नाइंसाफी वाली, सभी रखी थीं खाली थाली   

एक और बात बेतुकी हुई, न ही कोई जबेली बची थी मुई 

खाकर चले गये सब यार, तब योगी पहुँचे टपकाते लार

टेबिल के नीचे देख रसगुल्ले, हो गई उनकी वल्ले-वल्ले

एक उठाकर खाली प्लेट, सब रसगुल्ले उसमे लिये समेट 

मैं भी लपकी पर स्लो था नेट, नहीं कर सके वह मेरा वेट

योगी भाई ने छुपकर खाया, पर गणेश को नहीं बताया l

:):)

शन्नोजी आशीष दें, हृदय कहे आभार
बनी रहे शुभकामना, औ’ आपस में प्यार

सादर आभार आदरणीया शन्नोजी..

सौरभ जी के जन्मदिवस की खुशी में मुँह भी मीठा करती चलूँ....मुफ्त की जलेबियाँ रोज तो मिलती नहीं :):):):) 

RSS

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity


सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey posted a blog post

कौन क्या कहता नहीं अब कान देते // सौरभ

२१२२ २१२२ २१२२ जब जिये हम दर्द.. थपकी-तान देते कौन क्या कहता नहीं अब कान देते   आपके निर्देश हैं…See More
yesterday
Profile IconDr. VASUDEV VENKATRAMAN, Sarita baghela and Abhilash Pandey joined Open Books Online
Saturday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"आदाब। रचना पटल पर नियमित उपस्थिति और समीक्षात्मक टिप्पणी सहित अमूल्य मार्गदर्शन प्रदान करने हेतु…"
Friday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"सादर नमस्कार। रचना पटल पर अपना अमूल्य समय देकर अमूल्य सहभागिता और रचना पर समीक्षात्मक टिप्पणी हेतु…"
Friday
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा सप्तक. . . सागर प्रेम

दोहा सप्तक. . . सागर प्रेमजाने कितनी वेदना, बिखरी सागर तीर । पीते - पीते हो गया, खारा उसका नीर…See More
Friday
pratibha pande replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"आदरणीय उस्मानी जी एक गंभीर विमर्श को रोचक बनाते हुए आपने लघुकथा का अच्छा ताना बाना बुना है।…"
Friday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: मिथिलेश वामनकर
"आदरणीय सौरभ सर, आपको मेरा प्रयास पसंद आया, जानकार मुग्ध हूँ. आपकी सराहना सदैव लेखन के लिए प्रेरित…"
Friday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: मिथिलेश वामनकर
"आदरणीय  लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर जी, मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार. बहुत…"
Friday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"आदरणीय शेख शहजाद उस्मानी जी, आपने बहुत बढ़िया लघुकथा लिखी है। यह लघुकथा एक कुशल रूपक है, जहाँ…"
Friday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"असमंजस (लघुकथा): हुआ यूॅं कि नयी सदी में 'सत्य' के साथ लिव-इन रिलेशनशिप के कड़वे अनुभव…"
Friday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"आदाब साथियो। त्योहारों की बेला की व्यस्तता के बाद अब है इंतज़ार लघुकथा गोष्ठी में विषय मुक्त सार्थक…"
Thursday
Jaihind Raipuri commented on Admin's group आंचलिक साहित्य
"गीत (छत्तीसगढ़ी ) जय छत्तीसगढ़ जय-जय छत्तीसगढ़ माटी म ओ तोर मंईया मया हे अब्बड़ जय छत्तीसगढ़ जय-जय…"
Thursday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service