आदरणीय साथिओ,
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शुक्रिया मुहतरम जनाब वीरेंद्र वीर मेहता जी।
विषय को अच्छे से परिभाषित कर रही है आपकी लघुकथा परन्तु मॉं के व्यवहार से हैरानी अवश्य होती है । फलैश बैक का हिस्सा और बाजू से पकड़ कर हिलाने से तंद्रा भंग होना आपके लेखकीय कौशल का परिचायक है । सादर शुभकामनाएं ।
वाह ! सपनो को साकार करने के लिए कुछ तो करना होगा न | बहुत सुंदर कथा हुई है आदरणीय वीर जी| हार्दिक बधाई |
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