For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

ओबीओ मासिक साहित्यिक-गोष्ठी (भोपाल) : एक रिपोर्ट (मार्च 2017)

ओबीओ मासिक साहित्यिक-गोष्ठी (भोपाल) : एक रिपोर्ट (मार्च 2017)

 

आज दिनांक 04 मार्च 2017 को आदरणीय हरिवल्लभ शर्मा जी एवं आदरणीया सीमा शर्मा जी के निवास रीगल टाउन, अवधपुरी, भोपाल में ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार सदस्यों की साहित्यिक गोष्ठी का आयोजन किया गया.

 

इस गोष्ठी में आ. तिलकराज कपूर जी (भोपाल), आ. गिरिराज भण्डारी जी (भिलाई), आ. अरविन्द जैन जी (भोपाल), आ. प्रतिभा पाण्डेय जी (रतलाम), आ. सीमा पांडे मिश्रा जी (भोपाल), आ. हरिओम श्रीवास्तव जी (भोपाल), आ. अपर्णा शर्मा जी(भोपाल), आ. मुज़फ्फर इक़बाल सिद्दीकी जी (भोपाल), आ. कपिल शर्मा जी (भोपाल) एवं मेज़बान दंपत्ति की गोष्ठी में गरिमामय उपस्थिति एवं काव्य पाठ ने आयोजन को समृद्ध किया.

 

गोष्ठी की अध्यक्षता आ. तिलकराज कपूर जी ने की एवं विशिष्ट अतिथि के रूप में आ. गिरिराज भण्डारी जी एवं आ. अरविन्द जैन जी मंचासीन हुए. काव्य गोष्ठी का सञ्चालन आ. हरिवल्लभ शर्मा जी ने किया. काव्य पाठ का आरम्भ आ. सीमा शर्मा जी ने सरस्वती वंदना से किया ने किया.

1. आदरणीया सीमा पांडे मिश्रा जी ने नदियों की स्थिति पर चिंता जताते हुए एक अतुकांत कविता सुनाई और झुग्गियाँ शीर्षक से भी एक कविता सुनाई. आपकी कविता का एक अंश है-

 

कृशकाय होती जा रही नदी चिंतित है

भविष्य की कल्पना से आशंकित है

 

2. आदरणीया प्रतिभा पाण्डेय जी कविता एवं लघुकथा सुनाई. आपके के काव्य पाठ के अंश है- .

 

अपने बच्चे टाल ठोककर

बोल रहे बैरी की बोली

फागों की धुन कहाँ खो गई

बोलो कैसे खेलें होली

 

3. आदरणीया अर्पणा शर्मा जी ने “मुसीबत और कुव्वत” और “फागुन की पूनम” शीर्षक से कवितायें सुनाई.

 

4.आदरणीया सीमा शर्मा जी ने एक गीत और एक ग़ज़ल सुनाकर श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर दिया –

 

कौन कहता है चाँद लाकर दो

एक दीपक ही बस अता कर दो

 

लोग मगरूर हो गए शायद

या ख़ुदा रहमतें अता कर दो

5. मंच संचालक आदरणीय हरिवल्लभ शर्मा जी ने दो घनाक्षरी छंद एवं ग़ज़ल का पाठ किया-

 

शोहरत मिली क्या आप तो मगरूर हो गए

अहबाब साथ थे जो सभी दूर हो गए

 

 

6. इस नाचीज़ को भी अपने चंद दोहा छंद और दो गज़लें सुनाने का अवसर मिला-

 

आँखें भर भर आ गई, छूकर उनके पाँव

यादों में फिर छा गया, बरगद वाला गाँव

 

7. आदरणीय कपिल शास्त्री जी ने “बड़ी नाक वाला लड़का” शीर्षक की लघुकथा का पाठ किया जिसका अंश है –

 

“अब मेरे पास दस रूपये हो गए, अब मैं नाश्ता करूँगा.”

 

8. आदरणीय मुज़फ्फर इकबाल सिद्दीकी जी ने एक लघुकथा “रंगीन” का पाठ किया जिसका अंश है-

 

“मेरे वजूद को निचोड़कर मैंने संतोष के हर रंग में अपना रंग मिलाना चाहा लेकिन संतोष......... संतोष कभी संतुष्ट न हुआ.”

 

9. आदरणीय हरिओम श्रीवास्तव जी दो कुण्डलिया छंद एवं दोहा छंद प्रस्तुत किये-

 

रोना सब रोते यही, बुरा समय है आज

भ्रष्टों का ही राज है, कैसा हुआ समाज

 

 

10. आदरणीय डॉ. अरविन्द जैन जी ने अपनी कवितायेँ एवं व्यंग्य कथा “थानेदार की बरबस हँसी” का पाठ किया-

कल तक यह सुनता था

कि गिरने के लिए बहुत ऊँचाई,

हाँ गिरने के लिए चाहिए ऊँचाई

पर मैंने तो नज़रों से गिरते देखा है.

11. गोष्ठी के विशिष्ट अतिथि आदरणीय गिरिराज भण्डारी जी ने अपने ग़ज़लों से श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर दिया-

 

सबके अन्दर एक सिकंदर जिंदा है

इसीलिए हर ओर बवंडर जिंदा है

 

सब शर्मिंदा होंगे जब ये जानेंगे

अभी जानवर सबके अन्दर जिंदा है

 

12. गोष्ठी के अध्यक्ष आदरणीय तिलकराज कपूर जी ने अपने अध्यक्षीय उद्बोधन के साथ अपनी ग़ज़लों से आयोजन को नई ऊँचाईयाँ प्रदान की-

 

हमारे नाम लग जाए तुम्हारे नाम लग जाए

मुहब्बत में न जाने कब कोई इलज़ाम लग जाए

 

ग़ज़ल के शे’र ऐ लोगो निकाले कब निकलते हैं

कभी चुटकी में ये निकले कभी एक याम लग जाए

 

मेज़बान आदरणीया सीमा शर्मा जी ने आभार व्यक्त किया. इस आयोजन का मुख्य आकर्षण “लज़ीज़ स्वल्पाहार” के लिए सभी मेहमानों ने मेज़बान दंपत्ति का आभार व्यक्त किया. हरी और लाल चटनी के साथ साबूदाना वड़ा, ढोकला, गाजर का हलवा, अंगूर, बिस्किट और चाय की चुस्कियों के साथ आयोजन का समापन हुआ.

 

-मिथिलेश वामनकर

 भोपाल

 

 

 

Views: 1061

Reply to This

Replies to This Discussion

सभी को बहुत बहुत बधाई । धन्यवाद आदरणीय मिथिलेश सर रिपोर्ट पढ़कर लगा वहां न होकर भी शामिल हो गयी । न आ पाने के लिए क्षमा चाहती हूँ। सादर ।
गोष्ठी B

कल की गोष्ठी के पद्यांश बहुत कुछ साबित कर रहे हैं. उपस्थित हुए सभी सदस्यों को हृदयतल से धन्यवाद. 

अगली गोष्ठी में सम्मिलित होने की कोशिश करूँगा. 

शुभ-शुभ

आदरणीय मिथिलेश जी भोपाल में आपका यह प्रयास एक नए साहिरयिक युग की आधारशिला रखेगा मंच के तमाम बिद्वान सदस्य जिस गोष्ठी में शरीक हुए हों निश्चित अद्भुत ही होगी आदरणीय ऐसे कार्यक्रमों के अंशो केवीडियो क्लिप भी अपलोड किये जाएँ तो एक पाठक की तरह जो सुख मिलता है उसे एक श्रोता की तरह सुनकर और आनन्द मिल सके इस आयोजन पर ढेर सारी शुभकामनाओं और भिवष्य में इसके तमामों आयोजनों की सफलता की कामना के साथ सादर

RSS

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 172 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय चेतन प्रकाशजी  दीपावली अन्नकूट भाई दूज और छठ की शुभकामनाएँ । छंद पर आपका प्रयास सराहनीय…"
2 hours ago
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 172 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीया प्रतिभाजी, दीपावली अन्नकूट भाई दूज और छठ की शुभकामनाएँ । खिल उठता है बुझा हुआ मन, आते जब…"
2 hours ago
pratibha pande replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 172 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय अखिलेश जी चित्रानुकूल बहुत सुन्दर छंद सृजन। हार्दिक बधाई "
2 hours ago
pratibha pande replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 172 in the group चित्र से काव्य तक
"वाह...दीपोत्सव के हर आयाम को समेट लिया है आपके इस गीत ने।अंतिम छंद का भाव बहुत सार्थक। हार्दिक बधाई…"
2 hours ago
pratibha pande replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 172 in the group चित्र से काव्य तक
" आदरणीय चेतन प्रकाश जी जी एस टी का जिक्र रोचक बन पड़ा है। दीपावली की हार्दिक शुभकामनाएँ…"
2 hours ago
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 172 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय अशोक भाईजी, दीपावली अन्नकूट भाई दूज और छठ की शुभकामनाएँ । सरसी छंद की बीस पंक्तियों के लिए…"
3 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 172 in the group चित्र से काव्य तक
"आ. भाई अशोक जी, सादर अभिवादन। चित्रानुरूप सुंदर छंद हुए हैं। हार्दिक बधाई।"
3 hours ago
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 172 in the group चित्र से काव्य तक
"सरसी छंद +++++++++ हर बरस हर नगर में होता, अरबों का व्यापार।         …"
3 hours ago
pratibha pande replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 172 in the group चित्र से काव्य तक
"सरसी छंद  ______ जगमग दीपों वाला उत्सव,उत्साहित बाजार। जेब सोच में पड़ी हुई है,कैसे पाऊँ…"
13 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 172 in the group चित्र से काव्य तक
"चार पदों का छंद अनोखा, और चरण हैं आठ  चौपाई औ’ दोहा की है, मिली जुली यह ठाठ  विषम…"
14 hours ago
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 172 in the group चित्र से काव्य तक
"सरसी छंद * बम बन्दूकें और तमंचे, बिना छिड़े ही वार। आए  लेने  नन्हे-मुन्ने,…"
23 hours ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 172 in the group चित्र से काव्य तक
" प्रात: वंदन,  आदरणीय  !"
yesterday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service