For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

आदरणीय साथियो,

सादर नमन।
.
"ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-121 में आप सभी का हार्दिक स्वागत है।
"ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-121
विषय : हैवान / रक्तपिपासु
अवधि : 29-04-2025 से 30-04-2025
.
अति आवश्यक सूचना:-
1. सदस्यगण आयोजन अवधि के दौरान अपनी केवल एक लघुकथा पोस्ट कर सकते हैं।
2. रचनाकारों से निवेदन है कि अपनी रचना/ टिप्पणियाँ केवल देवनागरी फॉण्ट में टाइप कर, लेफ्ट एलाइन, काले रंग एवं नॉन बोल्ड/नॉन इटेलिक टेक्स्ट में ही पोस्ट करें।
3. टिप्पणियाँ केवल "रनिंग टेक्स्ट" में ही लिखें, 10-15 शब्द की टिप्पणी को 3-4 पंक्तियों में विभक्त न करें। ऐसा करने से आयोजन के पन्नों की संख्या अनावश्यक रूप में बढ़ जाती है तथा "पेज जम्पिंग" की समस्या आ जाती है। 
4. एक-दो शब्द की चलताऊ टिप्पणी देने से गुरेज़ करें। ऐसी हल्की टिप्पणी मंच और रचनाकार का अपमान मानी जाती है।आयोजनों के वातावरण को टिप्पणियों के माध्यम से समरस बनाये रखना उचित है, किन्तु बातचीत में असंयमित तथ्य न आ पाए इसके प्रति टिप्पणीकारों से सकारात्मकता तथा संवेदनशीलता अपेक्षित है। देखा गया कि कई साथी अपनी रचना पोस्ट करने के बाद गायब हो जाते हैं, या केवल अपनी रचना के आस पास ही मंडराते रहते हैंI कुछेक साथी दूसरों की रचना पर टिप्पणी करना तो दूर वे अपनी रचना पर आई टिप्पणियों तक की पावती देने तक से गुरेज़ करते हैंI ऐसा रवैया कतई ठीक नहींI यह रचनाकार के साथ-साथ टिप्पणीकर्ता का भी अपमान हैI
5. नियमों के विरुद्ध, विषय से भटकी हुई तथा अस्तरीय प्रस्तुति तथा गलत थ्रेड में पोस्ट हुई रचना/टिप्पणी को बिना कोई कारण बताये हटाया जा सकता है। यह अधिकार प्रबंधन-समिति के सदस्यों के पास सुरक्षित रहेगा, जिस पर कोई बहस नहीं की जाएगी.
6. रचना पोस्ट करते समय कोई भूमिका, अपना नाम, पता, फोन नंबर, दिनांक अथवा किसी भी प्रकार के सिम्बल/स्माइली आदि लिखने/लगाने की आवश्यकता नहीं है।
7. प्रविष्टि के अंत में मंच के नियमानुसार "मौलिक व अप्रकाशित" अवश्य लिखें।
8. आयोजन से दौरान रचना में संशोधन हेतु कोई अनुरोध स्वीकार्य न होगा। रचनाओं का संकलन आने के बाद ही संशोधन हेतु अनुरोध करें। 
.    
यदि आप किसी कारणवश अभी तक ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार से नहीं जुड़ सकें है तो www.openbooksonline.com पर जाकर प्रथम बार sign up कर लें.
.
.
मंच संचालक
योगराज प्रभाकर
(प्रधान संपादक)

Views: 235

Replies are closed for this discussion.

Replies to This Discussion

मनोविज्ञान नातिन वाला बाल मनोविज्ञान और नानी व ऐसे पीड़ितों का मनोविज्ञान और मनोदशा में। रचना में 'कश्मीर में' से 'पंडित' इंगित नहीं होते, इसलिए वैश्विक आतंकवाद को समेटकर व्यापक फ़लक की लघुकथा बनाने की गुंजाइश पर ध्यान आकृष्ट कराया है आदरणीया जी। यदि रचना में कोई पात्र कश्मीरी पंडित परिवार से हैं, तो उसका संकेत स्पष्ट हो, तो बेहतर। अभी केवल कश्मीर का संकेत हो रहा है रचना में।

आदरणीया प्रतिभा जी, प्रस्तुति नम कर गयी. रक्तपिपासु या हैवान या राक्षस कोई अन्य प्रजाति के नहीं होते. हम-आप जैसे ही मानवों में से कोई निरंकुश निकल आता है. जिसकी प्रवृति ही अमानवीय हुआ करती है, अमानुषिक. 

आपकी प्रस्तुति के प्रति हार्दिक धन्यवाद और बधाई. 

शुभ-शुभ

"ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-121
विषय : हैवान / रक्तपिपासु
हैवान-
“ऐसे गाँव में आकर बस गए हैं कि डाक हमारे घर पर आता ही नहीं है…!”
“तुमको यह गाँव लगता है, महानगर का विस्तार अब इधर ही होने वाला है। वैसे तुम्हें अभी डाक की याद कैसे आ गई?”
“पंजीयन का मूल प्रमाणपत्र डाक से आया था, जो इन सात वर्षों में हमें नहीं मिला। उसके नकल और उससे सम्बंधित कागजात आने वाले थे। फिर गड़बड़ा नहीं जाए मैं सचिवालय होकर आती हूँ।”
“वहाँ मध्याह्न भोजन के बाद ३-४ बजे भेंट होने के समय है और ५ बजे सचिवालय बंद हो जाता है।”
“देखिए इनका कागजात बेहद जरूरी इनको दे दीजिए। लाइए मैं हस्ताक्षर कर देता हूँ।”
“सर। कल आकर ले जाएँ. . .। कागजात तैयार करने में समय लगेगा, अनावश्यक इनको प्रतीक्षा करनी पड़ेगी।”
“उसकी चिन्ता आप नहीं कीजिए। इनको अपने कमरे में ले जाइए।”
अनेक घेरे में मेज कुर्सी लगा हुआ बहुत बड़ा कमरा था, जिसमें पुरुषों से ज़्यादा महिला कर्मचारियों की भीड़ छुट्टी होने के बहुत पहले से छुट्टी के माहौल में थी। ५ बजे तो भीड़ छँटने लगी! 
“सर! मेरे लोन को पास हो जाने के लिए आपके अनुमति की जरूरत है!”
“देखो! अब छुट्टी का समय हो गया। काग़ज़ लेकर घर जा रहा हूँ। तुम आज की रात मेरे घर रुक जाना!” 

"मौलिक व अप्रकाशित"

सादर नमस्कार। प्रदत्त विषय को एक नया अहम आयाम देती बढ़िया रचना हेतु हार्दिक बधाई आदरणीया विभारानी श्रीवास्तव जी। हैवानियत का एक रूप यह भी। रचना में आपकी क्षेत्रीय बोली का प्रभाव दिखा। अनावश्यक कसावट या काट-छॉंट से पाठकों के लिए रचना का प्रवाह बाधित होता है। मेरे विचार से रचना थोड़ा विस्तार मांग रही है स्पष्ट दृश्यात्मकता हेतु। सादर 

बहुत-बहुत धन्यवाद उस्मानी जी 

-सहमत हूँ आपकी बातों से : सुधार करने का पूरा प्रयास रहेगा.

कार्यालयों में अपना काम करवाने की एवज में इस तरह का शोषण एक दुखद स्तिथि है। बधाई आदरणीया एक अच्छी रचना के लिये।

आदरणीया विभा रानी जी, प्रस्तुति में पंक्चुएशन को और साधा जाना चाहिए था. इस कारण संप्रेषणीयता तनिक कमतर प्रतीत हो रही है. . 

भावांतरों को पाराग्राफ के माध्यम से दिखाना एक आम तरीका है. इसका उपयोग किया जाना उचित होता. 

जहाँ तक प्रस्तुति का प्रश्न है, व्याकरण सम्मत भाषा को सदा प्रश्रय दें यदि वह किसी पात्र के कथोपकथन का हिस्सा न हो तो. 

जैसे, नकल स्त्रीलिंग होने से उसके नकल नहीं, उसकी नकल होगा. 

मेज कुर्सी लगा हुआ ... नहीं, मेज कुर्सियाँ लगी हुईं बहुत बड़ा कमरा था. 

आपके अनुमति के स्थान पर आपकी अनुमति होना चाहिए. 

बाकी, अन्य विद्वान-सदस्य प्रस्तुति पर अपनी बात रखें. मैं भी सीख सकूँगा.

सादर

.

जी, सहमत हूं रचना के संबंध में।

RSS

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

pratibha pande replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 167 in the group चित्र से काव्य तक
"तू जो मनमौजी अगर, मैं भी मन का मोरआ रे सूरज देख लें, किसमें कितना जोर // वाह.. मूरख मनुआ क्या तुझे…"
25 minutes ago
अजय गुप्ता 'अजेय replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 167 in the group चित्र से काव्य तक
"धन्यवाद प्रतिभा जी"
35 minutes ago
pratibha pande replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 167 in the group चित्र से काव्य तक
"धरती की बहुएं हवा, सागर इसका सेठ।सूरज ने बतला दिया, क्या होता है जेठ।।// जेठ को गजब रोचक ढंग से…"
39 minutes ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 167 in the group चित्र से काव्य तक
"जी, उचित है। बहुत बढिया "
42 minutes ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 167 in the group चित्र से काव्य तक
"दोहे सिरजे आपने, करते जल गुणगान। चित्र हुआ है सार्थक, इनमें कई निदान।। सारे दोहे आपके, निश्चित…"
56 minutes ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 167 in the group चित्र से काव्य तक
"धूप छांव में यूं भला, बहुत अधिक है फर्क। शिज़्जू भाई कर रहे, गर्मी में भी तर्क।। तृष्णा की गंभीरता,…"
1 hour ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 167 in the group चित्र से काव्य तक
"आ. भाई सौरभ जी, सादर अभिवादन। बहुत सुगढ़ दोहावली हुई है प्रदत्त चित्र पर। हार्दिक बधाई।"
1 hour ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 167 in the group चित्र से काव्य तक
"मेघ, उमस, जल, दोपहर, सूरज, छाया, धूप। रक्ताले जी आपने, दोहे रचे अनूप।।  नए अर्थ में दोपहर,…"
1 hour ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 167 in the group चित्र से काव्य तक
"काल करे बेहाल सा, व्याकुल नीर समीर।मोम रोम सबसे लिखी, इस गर्मी की पीर।। वन को काट उचाट मन, पांव…"
1 hour ago
pratibha pande replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 167 in the group चित्र से काव्य तक
"श्रम अपना भगवान है, जीवटता है ईश प्यास बुझाएँगे सदा, उठा गर्व से शीश// चित्र के आलोक में एक श्रमिक…"
1 hour ago
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 167 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीया प्रतिभा जी।सार्थक सुंदर दोहावली की हार्दिक बधाई। छिपन छिपाई खेलता,सूूरज मेघों संग। गर्मी…"
2 hours ago
अजय गुप्ता 'अजेय replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 167 in the group चित्र से काव्य तक
"आभार लक्ष्मण भाई"
2 hours ago

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service