For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

शिक्षा के प्रति युवाओ में बढ़ती उदासीनता - डा० गोपाल नारायन श्रीवास्तव

    

       शिक्षा एक गत्यात्मक प्रक्रिया है जो जन्म से लेकर मृत्यु तक निरंतर अबाध गति से चलती रहती है I  अनेक लोगो का विश्वास है कि शिक्षा एवम उसके विकास की प्रक्रिया  शिशु में माता के गर्भसे ही प्रारम्भ होकर उसके अंतिम श्वास तक चलती है I शिक्षा के अनेकानेक  श्रोत भी है I बालक प्रथमतः अपने परिवार से फिर मित्रो एवं समाज से अव्यक्त रूप में शिक्षा ग्रहण करता रहता है I  किन्तु जो शिक्षा हमें स्कूल और कालेजो से मिलती है सही मायने में वही सिक्षा का व्यक्त स्वरुप है I  आज हमारा देश और समाज पाठ्यक्रम पर आधारित शिक्षा के प्रति अत्यधिक उदासीन होता जा रहा हैI  उसकी इस अरुचि के पीछे क्या ग्रंथिया है और क्या मनोवैज्ञानिक कारण है, इस पर विचार करना वर्तमान समय में न केवल प्रासंगिक है बल्कि अनिवार्य और अपरिहार्य भी है I

 

       शिक्षा की मूलभूत समस्याओ के अंतर्गत शिक्षा –शास्त्रियो ने उपर्युक्त  सन्दर्भ मे भी चिंतन किया है जिसका बोध उनके द्वारा विलेखित पुस्तकों से होता है I देश एवं प्रदेश की सरकारे यथा संभव इन समस्याओ को दूर करने का प्रयास करती है  I  फिर भी  क्या कारण है कि शिक्षा के प्रति आज का युवा संवेदनहीन होता जा रहा है ? इस प्रश्न पर शिक्षा-शास्त्रियों की किताबी पद्धति से हटकर नयी द्रष्टि से विचार करना ही इस लेख का मुख्य अभिप्रेत है किन्तु इसे इत्यलम मान लेना भी समीचीन नहीं होगा क्योंकि प्रत्येक विचार के पीछे प्रायः अपवाद प्रछन्न रूप मे सदैव विद्यमान होते है I

 

        भारतीय समाज मुख्य रूप से तीन वर्गों में बंटा हुआ है , जिन्हें हम उच्च, माध्यम और निम्न वर्ग के रूप मे जानते एवं मानते है I स्पष्ट रूप से यह वर्गीकरण आर्थिक आधार के मजबूत अधिकरण पर टिका हुआ है I समाज का उच्च वर्ग अंगरेजी सभ्यता से आक्रांत है I  इस वर्ग के बच्चो की शिक्षा-दीक्षा अधिकांशतः अंगरेजी माध्यम के उच्च स्तरीय स्कूलों से प्रारंभ होकर  विदेशो मे समाप्त होती है I किन्तु फर्राटेदार अंगरेजी बोलने के अतिरिक्त इन विदशी डिग्री धारको में अपवाद छोड़कर कोई शैक्षिक  वैशिष्ट्य प्रायशः नहीं पाया जाता I इस वर्ग के अधिकांश लड़के  पाश्चात्य सभ्यता का आवरण डालकर अपने आपको अधिकाधिक स्मार्ट समझने की अहमन्यता से भरे होते है I उच्च वर्ग के बच्चो मे अपने आप को साबित करने या स्वंय को स्थापित करने जैसी समस्या प्रायः नहीं होती I उन्हें यह चिंता नही सताती कि जीविकोपार्जन के लिए उन्हे कोई संघर्ष भी करना है I वे प्रायः अपने धनाढ्य एवं शक्ति-सम्पन्न पिता के प्रभाव और वैभव के दंभ पर जीते है उनके अभिभावक भी शिक्षा के प्रति  बच्चे की उदासीनता  या फिसड्डीपन से विचलित अथवा आक्रांत नहीं होते  I रामजेठमलानी यदि  राहुल गांधी को एक क्लर्क लायक  भी नहीं समझते तो यही उच्च वर्ग की शिक्षा की सबसे बड़ी त्रासदी है I

 

        शिक्षा के सन्दर्भ में मध्यम वर्ग की स्थिति कुछ-कुछ त्रिशंकु जैसी है I  एक ओर वह उच्च वर्ग का सामीप्य चाहता है तो दूसरी ओर जमीनसे जुड़े रहना उसके अर्थाधार की मान्यता है  I  इस वर्ग के छात्र अपने अध्ययन- काल में ही इस कड़वे सत्य से परिचित होते है कि वयस्क होने पर उन्हें प्रत्येक स्थिति में आत्म निर्भर बनना है I क्योंकि उनके अभिभावक अधिक दिनों तक उनका बोझ नहीं उठा सकेंगे I मध्यम वर्ग की यह विडंबना युवाओ पर एक मनोवैज्ञानिक असर डालता है और शिक्षा उन्हे अनिवार्य  बोझ की भांति लगने लगती है  I  छात्र यह जानता है कि उसकी शिक्षा किसी प्रकार एक रोजगार की गारंटी नहीं है और पढ़ लिखकर भी शायद ही वह अपनी शिक्षा का उपयोग जीविकोपार्जन के लिए कर सके I आज के मध्यमवर्गीय छात्रो  के लिए जीवन एक कठिनतम प्रतियोगिता है I इस प्रतियोगिता के निकष पर अपवाद स्वरूप कुछ ही छात्र खरे उतरते है, जो वस्तुतः असाधारण प्रतिभा के धनी होते है  I  किन्तु ऐसी प्रतिभाये कितनी होती है  I मध्यम वर्ग के जो सामान्य छात्र है उनके समक्ष तो जीवन एक तिमिर-साम्राज्य के अतिरिक्त कुछ भी नहीं है , जहां उन्हें प्रयास करने पर भी कुछ सूझ नही पड़ता I इस वर्ग के वर्तमान अभिभावक जो प्रायः अपने   बच्चो की शक्षिक उदासीनता से खीझ कर उनकी लानत-मलामत करते है, उन्हें  छात्रो का  मनोविज्ञान समझना चाहिए I उन्हें यह समझ  लेना चाहिए कि उनके स्वयं के युग और आज के युग में अवनी और अम्बर का अन्तराल है I आज के युवा के समक्ष अपेक्षाकृत अधिक काम्पटीशन है  I  अनवरत  संघर्ष करना  उसकी नियति है  और इसके साथ ही हर स्तर पर उसे बहुमुखी भ्रष्टाचार रूपी  दानव का भी सामना करना है I अतः इन युवाओ को हमारे आक्रोश की नहीं अपितु सहानुभूति की आवश्यकता है  I  हमारे देश एवं प्रदेश की सरकारे इंटरमीडिएट तक बच्चो को लगभग फेल न करने की नीति पर चल रही है I आज का प्रथम श्रेणी इंटर पास लड़का एक पत्र तक कायदे से नहीं लिख पाता I  परिणाम क्या होता है, वह आगे की परीक्षाओ में उबर नहीं पाता I हमारे डिग्री कालेजो, विश्वविद्यालयों तक को  इंटर  पास लड़के की योग्यता पर भरोसा नहीं है तभी तो वे अपने  यहाँ प्रवेश परीक्षाये कराते है I प्रदेश लोक सेवा आयोग तथा संघ लोक सेवा आयोग तक को शैक्षिक संस्थाओ के शिक्षा परिणामो पर यकीन नहीं है, सरकारी नौकरियों के लिए ये भी प्रतियोगिताये कराती है  I इसकाक अर्थ क्या है , यही न कि शैक्षिक संस्थाओ के सर्टिफिकेट बेमायने है I सरकारे अभी भी लार्ड मैकाले द्वारा प्रवर्तित शिक्षा प्रणाली पर चल रही है I शिक्षा को अधिकाधिक व्यावसायिक बनाने की सार्थक पहल अभी तक नहीं हुयी है I आज का छात्र स्वतः जानता है कि उसके पास जितनी डिग्री है उतनी योग्यता  उसमे नहीं है I  वह प्रतियोगितो में स्पर्धा के लिए नहीं महज औपचारिकता की पूर्ति हेतु या माँ बाप अथवा समाज को दिखाने के लिए भाग लेता है और असफल होने पर भाग्य को दोष देता है I  

       भारत के जो निम्नवर्गीय छात्र है उनके अभिभावक ही अधिक शिक्षा के पक्ष में नहीं है I काम चलाऊ शिक्षा दिलाने के बाद इस वर्ग के छात्रों के पिता उन्हें अपने व्यवसाय में हाथ बंटाने के लिए उन्हें शिक्षा से विरत कर देते है I परिवार से शिक्षा के प्रति उचित प्रोत्साहन न पाकर ऐसे छात्र शिक्षा के प्रति प्रायः उदासीन हो जाते है I

 

      भारतीय  संविधान  में अनुसूची के अंतर्गत समाज की विभिन्न निम्न वर्गीय जातियों को दलित समाज के रूप में चित्रित किया गया है  I इस वर्ग के बच्चो को शिक्षा एवं सरकारी नौकरियों में आरक्षण की  सुविधा प्राप्त है I शिक्षण संस्थाओ में प्रवेश से लेकर नौकरियों तक आरक्षण की  रियायत के कारण इस वर्ग के छात्रो में शिक्षा  के प्रति उदासीनता जाग्रत हुयी है I उन्हे विश्वास है कि वे महज पास होने भर के नंबर लाकर उच्च शिक्षा के लिए प्रवेश पा जायेंगे  और इसी प्रकार  बिना अधिक परिश्रम किये  आरक्षण के बल पर उन्हें सरकारी नौकरी भी मिल जायेगी I स्वाभविक रूप से इस वर्ग के छात्र कम अंक पाकर भी सामान्य छात्रो को लगभग ठेंगा दिखाते हुए जीविकोपार्जन के अवसर हथिया लेते है I आरक्षण का ब्रह्मास्त्र उन्हें शिक्षा  हेतु अधिक श्रम से विरत करता है I सोचिये यदि  यह वर्ग श्रम  करने लगे तो सरकारी नीति का कितना व्यापक प्रभाव होगा  और इस वर्ग का कितना भला होगा I

  

       यद्यपि यह सच्चाई कि सरकार द्वारा इस वर्ग को शिक्षा की रियायते और सुविधाए दी जानी उनके विकास के लिए नितांत अपेक्षित एवम  आवश्यक  है  किन्तु सामान्य वर्ग के अपेक्षाकृत योग्य छात्रो को बरतरफ कर अयोग्य छात्रों को  महज आरक्षण के आधार पर  शिक्षा संस्थाओ के अंतर्गत प्रवेश मे वरीयता देना तथा कालांतर में नियुक्ति या उच्च पद प्रदान करना संभवतः प्राकृतिक न्याय की संगति में नहीं है I इसीलिये लोग इसे वोट की राजनीति से जोड़ते है I योग्यता पर अयोग्यता को तरजीह देने वाली इस पद्धति से सामान्य वर्ग के छात्रों  में निश्चित रूप से कुंठा पैदा होती है जो  उन्हे शिक्षा के प्रति अधिकाधिक उदासीन बनाती है I इस कठोर सत्य के अनंतर भी सरकारे इस विसंगति की ओर से उदासीन है I  शायद यह  भारतीय  राजनीति की दुर्निवार मजबूरी है I किन्तु यह शायद हमारी शिक्षा प्रणाली की सबसे बड़ी त्रासदी भी है I

 

            

                                                                                                               ई एस I/436, सीतापुर रोड योजना

                                                                                                                 अलीगंज, सेक्टर-ए , लखनऊ  

                                                                                                                  मो 0  9795518586

                                                                                                                                                                    

(मौलिक व अप्रकाशित)            

 

Views: 1767

Reply to This

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Admin replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-109 (सियासत)
"स्वागतम"
2 hours ago
Vikram Motegi is now a member of Open Books Online
10 hours ago
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा पंचक. . . . .पुष्प - अलि

दोहा पंचक. . . . पुष्प -अलिगंध चुराने आ गए, कलियों के चितचोर । कली -कली से प्रेम की, अलिकुल बाँधे…See More
10 hours ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय दयाराम मेठानी जी आदाब, ग़ज़ल पर आपकी आमद और हौसला अफ़ज़ाई का तह-ए-दिल से शुक्रिया।"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई दयाराम जी, सादर आभार।"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई संजय जी हार्दिक आभार।"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए आभार।"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. रिचा जी, हार्दिक धन्यवाद"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई दिनेश जी, सादर आभार।"
yesterday
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय रिचा यादव जी, पोस्ट पर कमेंट के लिए हार्दिक आभार।"
yesterday
Shyam Narain Verma commented on Aazi Tamaam's blog post ग़ज़ल: ग़मज़दा आँखों का पानी
"नमस्ते जी, बहुत ही सुंदर प्रस्तुति, हार्दिक बधाई l सादर"
yesterday
Shyam Narain Verma commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: उम्र भर हम सीखते चौकोर करना
"नमस्ते जी, बहुत ही सुंदर प्रस्तुति, हार्दिक बधाई l सादर"
yesterday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service