आदरणीय काव्य-रसिको,
सादर अभिवादन !
’चित्र से काव्य तक’ छन्दोत्सव का यह आयोजन लगातार क्रम में इस बार सन्तान्बेवाँ आयोजन है.
आयोजन हेतु निर्धारित तिथियाँ –
18 मई 2019 दिन शनिवार से 19 मई 2019 दिन रविवार तक
इस बार का छंद है -
सार छंद
कुण्डलिया छंद
हम आयोजन के अंतरगत शास्त्रीय छन्दों के शुद्ध रूप तथा इनपर आधारित गीत तथा नवगीत जैसे प्रयोगों को भी मान दे रहे हैं. छन्दों को आधार बनाते हुए प्रदत्त चित्र पर आधारित छन्द-रचना तो करनी ही है, दिये गये चित्र को आधार बनाते हुए छंद आधारित नवगीत या गीत या दोहा-ग़ज़ल या अन्य गेय (मात्रिक) रचनायें भी प्रस्तुत की जा सकती हैं.
साथ ही, रचनाओं की संख्या पर कोई बन्धन नहीं है.
केवल मौलिक एवं अप्रकाशित रचनाएँ ही स्वीकार की जायेंगे
सार छंद के मूलभूत नियमों से परिचित होने के लिए यहाँ क्लिक करें
कुण्डलिया छंद के मूलभूत नियमों से परिचित होने के लिए यहाँ क्लिक करें
जैसा कि विदित है, अन्यान्य छन्दों के विधानों की मूलभूत जानकारियाँ इसी पटल के भारतीय छन्द विधान समूह में मिल सकती है.
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आयोजन सम्बन्धी नोट :
फिलहाल Reply Box बंद रहेगा जो
18 मई 2019 दिन शनिवार से 19 मई 2019 दिन रविवार तक, यानी दो दिनों के लिए, रचना-प्रस्तुति तथा टिप्पणियों के लिए खुला रहेगा.
अति आवश्यक सूचना :
छंदोत्सव के सम्बन्ध मे किसी तरह की जानकारी हेतु नीचे दिये लिंक पर पूछताछ की जा सकती है ...
"ओबीओ चित्र से काव्य तक छंदोत्सव" के सम्बन्ध मे पूछताछ
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विशेष :
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मंच संचालक
सौरभ पाण्डेय
(सदस्य प्रबंधन समूह)
ओपन बुक्स ऑनलाइन डॉट कॉम
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Replies are closed for this discussion.
बहुत-बहुत शुक्रिया जनाब आसिफ़ ज़ैदी साहिब।
करते रहे प्रयास निरंतर अगर शेख़ जी भाई
छंदों पर भी कलम चलेगी, सरपट औ’ सुखदायी
आदरणीय आपका अभ्यास बना रहे .. आदरणीय अशोक भाई जी के सुझाव अत्यंत सटीक हैं. इन सुझावों का संज्ञान लें
शुभातिशुभ
आदाब। जी बिल्कुल। स्नेहिल हौसला अफ़ज़ाई हेतु बहुत-बहुत शुक्रिया जनाब सौरभ पाण्डेय साहिब।
वाह ! प्रदत्त चित्र पर सुंदर सृजन हेतु हार्दिक बधाई स्वीकार करें आदरणीय।
सार छंद पर चली लेखनी , है प्रयास यह आला ।
सतत परिश्रम गुँथवायेगा ,शुचि छंदो की माला ।।
आदाब। आपके बहुत सुंदर सृजन के साथ मुझे प्रोत्साहित करने के लिए बहुत-बहुत शुक्रिया मुहतरमा अनामिका सिंह 'अना' साहिबा।
आदरणीय शेख शहजाद उस्मानी जी सुन्दर प्रस्तुति हार्दिक बधाई स्वीकार करें आदरणीय
बहुत-बहुत शुक्रिया जनाब सत्यनारायण सिंह साहिब।
कुण्डलिया छंद
आना-जाना है लगा, मानव हुआ पपेट |
नाम हो गए हैं यहाँ, जैसे नम्बर प्लेट ||
जैसे नम्बर प्लेट, सिर्फ पहचान बताये,
मानव का भी नाम, भाव बिन ऐसे आये,
रक्ताले कविराय, मार्ग भी बना ठिकाना |
सबको सिग्नल देख, यहाँ हैं आना-जाना ||
जाने किस रफ़्तार से, दौड़ रहा जन आम |
सड़कें चौड़ी हैं मगर, लग जाता है जाम ||
लग जाता है जाम, प्रदूषण और बढाता,
खाली सड़कें देख, ह्रदय आनंद समाता,
रक्ताले कविराय, करो मत और बहाने,
साधन सारे आम, वापरो आने-जाने ||
सार छंद
चार मिली हैं सड़कें आकर, और बना चौराहा |
खूब किया है विकसित लेकिन, हुआ न जैसा चाहा ||
गलत दिशा में जाते वाहन, नहीं नियम से नाता |
दुर्घटनाएं होतीं हर दिन, समझ न फिरभी आता ||
पक्की-पक्की सड़कें हैं सब, कचरा फिर भी फैला |
लगता है कुछ लोगों का तो, अब तक है मन मैला ||
अपनी मर्जी से चलते हैं, नियम कहाँ वे माने |
लो जुर्माना हर गलती पर, इन्हें नियम समझाने ||
मिलीं चार सड़कें हैं आकर, मध्य गोल है घेरा |
बढ़ जाता है आना-जाना, होते नित्य सवेरा ||
खड़ी दरख्तों की छाया में, सड़क बगल कुछ कारें |
बहुमंजिला गगनचुम्बी घर, जैसे हों मीनारें ||
मौलिक/अप्रकाशित.
पूरी तरह प्रदत्त चित्र पर आधारित उसे परिभाषित करती विषयांतर्गत बेहतरीन दोनों छंदों के लिए हार्दिक बधाई और आभार जनाब अशोक कुमार रक्ताले साहिब। बहुत ही उम्दा रचनायें। (यदि पपेट का आशय कठपुतली है, तो यह बोलचाल का उच्चारण है; वरना शायद //पपिट// या //पपट// पढ़ते ह़ैंं Puppet को।)
आदरणीय शैख़ शहज़ाद उस्मानी जी सादर, प्रस्तुत छंद आपको चित्र को परिभाषित करते लगे. सृजन सफल हुआ. आपका ह्रदय से आभार. अँग्रेजी शब्दों के उच्चारण में ऐसी भिन्नता अक्सर देखने मिलती है. सादर.
जी सही कहा आपने।
आदरणीय अशोक भाईजी
पढ़ सुनकर अपने बारे में , खुश होगा चौराहा।
खूब लिखा है कुछ ना छूटा, छंद सभी मनचाहा॥
आयाम चित्र के हैं सारे, लिखे खूब हो भाई।
सार छंद औ' कुंडलिया पर, देता हृदय बधाई।।
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