For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

गज़ल -9 (मां जिधर भी नज़र उठाती है, वो ज़मीं हँसती मुस्कुराती है)

2122 1212 22/112

माँ
***
माँ जिधर भी नज़र उठाती है
वो ज़मीं हँसती मुस्कुराती है//१

हर बला दूर ही ठहर जाए
माँ उसे डांट जब लगाती है //२

माँ के कदमों से दूर जाए जो
ज़िन्दगी फिर उसे रुलाती है //३

पास जब मौत आए बच्चों के
तब तो माँ जां पे खेल जाती है //४

जब कभी भूल हमसे हो जाए
माँ ही दामन में तब छुपाती है //५

भूख के साये में न हों बच्चे
खुद को माँ धूप में सुखाती है //६

मुस्कुराहट बनी रहे घर में
घर के सब बोझ माँ उठाती है //९

चैन की नींद वो ही सो पाए
माँ जिसे लोरियाँ सुनाती है //८

मां के दामन में सिर्फ प्यार भरा
प्यार ही प्यार वो लुटाती है //९

चोट खाता क़मर कहीं भी जब
लब पे तब सिर्फ़ माँ ही आती है//१०

-- क़मर जौनपुरी

(मौलिक एवं अप्रकाशित)

Views: 513

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by सूबे सिंह सुजान on November 27, 2018 at 5:59am

बहुत अच्छे भाव व्यक्त हुए 

Comment by TEJ VEER SINGH on November 26, 2018 at 8:41pm

हार्दिक बधाई आदरणीय  क़मर जौनपुरी जी।बेहतरीन गज़ल।

मुस्कुराहट बनी रहे घर में
घर के सब बोझ माँ उठाती है //९

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on November 26, 2018 at 7:23pm

आ. भाई कमर जी, माँ को समर्पित सुंदर गजल हुयी है । हार्दिक बधाई ।

Comment by क़मर जौनपुरी on November 25, 2018 at 10:56pm

बहुत बहुत शुक्रिया जनाब राज़ साहब हौसला आफ़ज़ाई के लिए

Comment by राज़ नवादवी on November 25, 2018 at 8:50pm

जनाब क़मर जौनपुरी साहब आदाब, इस ख़ूबसूरत पेशकश पे दिल से मुबारकबाद. सादर 

Comment by क़मर जौनपुरी on November 25, 2018 at 5:34pm

बहुत बहुत आदाब व शुक्रिया मोहतरम समर कबीर साहब। आपकी मुहर लग गई, ग़ज़ल मुकम्मल हो गई।

Comment by Samar kabeer on November 25, 2018 at 5:32pm

जनाब क़मर जौनपुरी साहिब आदाब, माँ को समर्पित अच्छी ग़ज़ल हुई है,बधाई स्वीकार करें ।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity


सदस्य टीम प्रबंधन
Dr.Prachi Singh replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-163
"सहर्ष सदर अभिवादन "
2 hours ago
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-163
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी, पर्यावरण विषय पर सुंदर सारगर्भित ग़ज़ल के लिए बधाई।"
5 hours ago
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-163
"आदरणीय सुरेश कुमार जी, प्रदत्त विषय पर सुंदर सारगर्भित कुण्डलिया छंद के लिए बहुत बहुत बधाई।"
5 hours ago
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-163
"आदरणीय मिथलेश जी, सुंदर सारगर्भित रचना के लिए बहुत बहुत बधाई।"
5 hours ago
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-163
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी, प्रोत्साहन के लिए बहुत बहुत धन्यवाद।"
5 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-163
"आ. भाई दयाराम जी, सादर अभिवादन। अच्छी रचना हुई है। हार्दिक बधाई।"
8 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-163
"आ. भाई सुरेश जी, अभिवादन। प्रदत्त विषय पर सुंदर कुंडली छंद हुए हैं हार्दिक बधाई।"
10 hours ago
सुरेश कुमार 'कल्याण' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-163
" "पर्यावरण" (दोहा सप्तक) ऐसे नर हैं मूढ़ जो, रहे पेड़ को काट। प्राण वायु अनमोल है,…"
12 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-163
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन। पर्यावरण पर मानव अत्याचारों को उकेरती बेहतरीन रचना हुई है। हार्दिक…"
12 hours ago
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-163
"पर्यावरण पर छंद मुक्त रचना। पेड़ काट करकंकरीट के गगनचुंबीमहल बना करपर्यावरण हमने ही बिगाड़ा हैदोष…"
13 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-163
"तंज यूं आपने धूप पर कस दिए ये धधकती हवा के नए काफिए  ये कभी पुरसुकूं बैठकर सोचिए क्या किया इस…"
16 hours ago
सुरेश कुमार 'कल्याण' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-163
"आग लगी आकाश में,  उबल रहा संसार। त्राहि-त्राहि चहुँ ओर है, बरस रहे अंगार।। बरस रहे अंगार, धरा…"
16 hours ago

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service