For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

शिकार की तलाश में घूमते-घूमते अंगुलिमाल को एक साधु दिखा| उनको देखकर उसने कहा," तैयार हो जाओ तुम्हारी मृत्यु आयी है|"
साधु ने निडर होकर कहा," मेरी मौत! या तुम्हारी...?"
साधु का ऐसा उत्तर सुन कर अंगुलिमाल थोड़ा विचलित हुआ,उसने साधु से पूछा," तुमको मुझसे डर नहीं लगता? मेरे हाथ में हथ्यार देखकर भी नहीं?"
"न .... मैं क्यों डरूँ तुमसे, पर तुम हो कौन और यह माला कैसे पहनी है, इतनी सारी उँगलियाँ .......?"
"हाहाहाहाहा! हाँ यह उँगलियाँ ही हैं और मैं अंगुलिमाल हूँ,लोगों को मारने का शौक है और उनकी ऊँगली काट कर उसको इस माला में पिरो लेता हूँ, अब तक ९९ लोगों को मार दिया है और अब तुम १०० वें होगे|"
"अच्छा! पर ऐसा करके क्या हासिल होता है ....?"
"मैं रिकॉर्ड बनाना चाहता हूँ, लोगों को मार गिराने का, और इन उँगलियों से गिनती हो जाएगी न , फिर मेरा नाम गिनीज़ बुक में दर्ज करवाना चाहता हूँ | "
"ओह! तो यह बात हैं, अभी कुछ देर पहले ही एक और व्यक्ति मिला था मुझे वह भी कुछ तुम्हारी ही तरह बोल रहा था ......|" साधु ने कहा|
"कौन, कहाँ.. क्या कह रहा था .....?"
"वह तुम्हारी जैसी सोच  वालों को ही तलाश रहा है, उसको भी रिकॉर्ड बनाना है ... बता रहा था कि उसने ढेरों एवार्ड्स हासिल किये हैं, अब उसको किसी ऐसे व्यक्ति की तलाश है जो एवार्ड लेना चाहता है, ताकि उसको मार कर वह इस रेस में सर्व प्रथम आये और अब तक उसके तो ९९९ हो चुके हैं .. वह तुम्हारा ही पता पूछ रहा था ....| साधु ने उसको जानकारी दी|
" तो क्या अवार्ड मिलना इतना आसान हो गया है..?"

"हाँ, आज कल सब बिकाऊ है, ऐसी उँगलियाँ भी ..|" 

मौलिक एवं अप्रकाशित

Views: 519

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Dr Ashutosh Mishra on February 23, 2018 at 11:28am

आदरणीया कल्पना जी प्रस्तुति के आरम्भ ने जो सस्पेंस पैदा किया था अंत में उतना सुखद नहीं लगा इस प्रयास पर हार्दिक बधाई सादर 

Comment by नाथ सोनांचली on February 23, 2018 at 4:00am

आद0 कल्पना भट्ट जी सादर अभिवादन। लघुकथा का उत्तम प्रयास। शेष आरिफ जी कह चुके हैं। इस प्रस्तुति पर बधाई लीजिये। सादर

Comment by Samar kabeer on February 22, 2018 at 6:08pm

बहना कल्पना भट्ट "रौनक़" जी आदाब,लघुकथा का प्रयास अच्छा है,बधाई स्वीकार करें ।

जनाब आरिफ़ साहिब की बातों का संज्ञान लें ।

Comment by Shyam Narain Verma on February 22, 2018 at 5:55pm
उपदेश परक लघुकथा के लिए हार्दिक बधाई l सादर
Comment by Mohammed Arif on February 22, 2018 at 10:02am

आदरणीया कल्पना भट्ट जी आदाब,

                              पुरस्कारों की ख़रीद-फरोख़्त आम हो चुकी है । आजकल तो बस" तू मुझे पुरस्कार देता तू मुझे कुछ चुका" वाली संस्कृति प्रचलन में । योग्यता नहीं धन की महिमा प्रमुख हो गई है । मैं सोच रहा था कि कथानक किसी अच्छे अंत की ओर ले जाएगा मगर आपने इसे पुरस्कार से जोड़कर कथानक का क़द घटा दिया । शायद आप इस कथानक को 

कहीं और ले जाना चाहती थी मगर अंत की हड़बड़ाहट में कथानक कहीं और चला गया । 

                                             हार्दिक बधाई स्वीकार करें ।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Tilak Raj Kapoor replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"शेर क्रमांक 2 में 'जो बह्र ए ग़म में छोड़ गया' और 'याद आ गया' को स्वतंत्र…"
yesterday
Tilak Raj Kapoor replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"मुशायरा समाप्त होने को है। मुशायरे में भाग लेने वाले सभी सदस्यों के प्रति हार्दिक आभार। आपकी…"
yesterday
Tilak Raj Kapoor updated their profile
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"आ. भाई दयाराम जी, सादर अभिवादन। अच्छी गजल हुई है। हार्दिक बधाई।"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"आ. भाई जयहिन्द जी, सादर अभिवादन। अच्छी गजल हुई है और गुणीजनो के सुझाव से यह निखर गयी है। हार्दिक…"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"आ. भाई विकास जी बेहतरीन गजल हुई है। हार्दिक बधाई।"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"आ. मंजीत कौर जी, अभिवादन। अच्छी गजल हुई है।गुणीजनो के सुझाव से यह और निखर गयी है। हार्दिक बधाई।"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"आ. भाई दयाराम जी, सादर अभिवादन। मार्गदर्शन के लिए आभार।"
yesterday
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"आदरणीय महेन्द्र कुमार जी, प्रोत्साहन के लिए बहुत बहुत धन्यवाद। समाँ वास्तव में काफिया में उचित नही…"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"आ. मंजीत कौर जी, हार्दिक धन्यवाद।"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"आ. भाई तिलक राज जी सादर अभिवादन। गजल पर उपस्थिति, स्नेह और विस्तृत टिप्पणी से मार्गदर्शन के लिए…"
yesterday
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"आदरणीय तिलकराज कपूर जी, पोस्ट पर आने और सुझाव के लिए बहुत बहुत आभर।"
yesterday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service