For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

ओबीओ भोपाल की त्रैमासिक साहित्यिक संगोष्ठी (16 अप्रैल 2017)

ओबीओ भोपाल की त्रैमासिक साहित्यिक संगोष्ठी

(16 अप्रैल 2017)

दिनांक 16 अप्रैल 2017 को ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार, भोपाल के चेप्टर की प्रथम त्रैमासिक साहित्यिक संगोष्ठी, दुष्यन्त कुमार स्मारक पाण्डुलिपि संग्रहालय के शिरढोणकर सभागार में आयोजित हुई। जिसमें मध्यप्रदेश के अलावा विभिन्न राज्यों की साहित्यिक विभूतियों एवं भोपाल के स्थानीय साहित्यकारों ने अपनी गरिमामय उपस्थिति से आयोजन को समृद्ध किया।

आयोजन के मुख्य अतिथि वरिष्ठ साहित्यकार एवं प्रसिद्ध गीतकार आदरणीय यतीन्द्रनाथ "राही" जी, अंतर्राष्ट्रीय ख्यात हिन्दी ग़ज़लकार आदरणीय ज़हीर कुरैशी जी विशिष्ठ अतिथि, म. प्र. लेखक संघ के प्रान्तीय अध्यक्ष एवं गीतकार डॉ. रामवल्लभ आचार्य जी सारस्वत मुख्य वक्ता अतिथि के रूप में मंचस्थ थे। ग़ज़ल के वरिष्ठ अरुज ज्ञाता आदरणीय तिलक राज कपूर जी ने कार्यक्रम की अध्यक्षता की। दीप प्रज्वलन के उपरान्त, प्रथम सत्र में अतिथियों का गरिमामय स्वागत परिचय एवं ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार का परिचय हुआ।

छंद आधारित गीत विधा पर पर जानकारी देते हुए अतिथि वक्ता डॉ रामवल्लभ आचार्य जी ने कहा कि यदि कविता मानव हृदय की मातृभाषा है तो गीत कविता की मातृभाषा है। ग़ज़ल की भाषा पर अपना वक़्तव्य देते हुए कार्यक्रम के अध्यक्ष आदरणीय तिलक राज कपूर जी ने कहा कि ग़ज़ल को किसी भाषा में बांधा नहीं जा सकता है। भाषा की समझ से ही भाषाविशेष में ग़ज़ल संभव है। व्याख्यान सत्र के उपरांत चाय विराम के दौरान ओबीओ सदस्यों की आगंतुक अतिथियों श्रोताओं से अनौपचारिक चर्चा हुई। कार्यक्रम का संचालन ओबीओ के वरिष्ठ सदस्य एवं गीतकार आदरणीय हरिवल्लभ शर्मा जी द्वारा किया गया

चाय के उपरान्त द्वितीय सत्र में आदरणीया सीमाहरी शर्मा द्वारा माँ सरस्वती वन्दना प्रस्तुत की गयी।

सरस्वती मिटा विकार दीप्त बुद्धि ज्ञान दे

निशा तमोगुणी हटा सतोगुणी विहान दे

 

सरस्वती वंदना पश्चात् करीब 55 रचनाकारों द्वारा गीत, ग़ज़ल, छन्द, छन्दमुक्त, एवं लघुकथाओं का पाठ हुआ।

आदरणीया सीमा मिश्रा जी ने उल्लाला छंद में अपने गीत का पाठ कर मंच और श्रोताओं से खूब वाहवाही पाई-

 

सागर जैसी प्यास है, चातक जैसी आस है।

यही रात दिन सोचना, जीवन का क्या खेल है।

उतराना और डूबना यह प्रीतम से मेल है

 

दुर्ग छत्तीसगढ़ से पधारे आदरणीय गिरिराज भण्डारी जी द्वारा गज़लें सुनाई गई-

दानिस्ता तो गिरें न वहीं पर फिसल के रोज़

मक़बूल बेख़ुदी में जहाँ पर फिसल गया

 

मेरी साँसें रवाँ - दवाँ कर दे 

फिर लगे दूर आसमाँ कर दे

 

गम औ ख़ुशी में चाहिये जो फासला, न था

पर वक़्त को कहें बुरा ऐसा बुरा न था

 

रतलाम से पधारीं आदरणीया प्रतिभा पाण्डे जी द्वारा अपनी कविता “एक गुलाबी जिल्द वाली डायरी” का पाठ किया गया-

वो थी एक डायरी/

गुलाबी जिल्द वाली/

अन्दर के चिकने पन्ने/

थे खुशनुमा छुअन लिये/

मुकम्मल थी एकदम/

कुछ प्यारा सा लिखने के लिये/                       

 

इस नाचीज़ को भी रचना पाठ का अवसर मिला-

 

आंखें भर भर आ गई , छूकर उनके पांव

यादों में फिर छा गया, बरगद वाला गांव

 

पाई पाई जोड़कर  क्या करना मिथिलेश

एक दिन सबकुछ छोड़कर, जाना है परदेश

 

आदरणीय हरिओम् श्रीवास्तव जी ने अपनी ‘कह-मुकरियों’ और समसायिक विषय पर कुण्डलिया छंद सुनकर श्रोताओं को मन्त्र-मुग्ध कर दिया-

 

पत्थरबाजी   हो  रही, घाटी  में  हर  रोज।

करनी होगी अब हमें, इसकी गहरी खोज।।

इसकी गहरी खोज, कौन है इनका आका।

कहाँ छिपा गद्दार, देश  पर  डाले  डाका।।

करने को अपराध, युवा होते क्यों राजी।

सेना  पर  ये  कौन, कराता  पत्थरबाजी।।

 

आदरणीया सीमा शर्मा जी द्वारा एक गीत का पाठ किया गया-

 

जिनके लिये लिखी गाथाएँ

उनको भी पढ़वानी हैं ।

मन की बातें मन से लिखकर

मन तक ही पहुँचानी हैं ।

 

आदरणीया नयना आरती कानिटकर जी ने लघुकथा "विसर्जन" का पाथ किया जिसका अंश हैं  :-बप्पा भी पास मे ही बैठे है अपने भक्त का रक्तरंजित हाथ लेकर  मानो कह रहे हो...विसर्जन तो अब भी होगा. दूसरे बच्चे ये काम करेंगे, किंतु राम-राम कहने वाला रहमान अब शायद ही कोई हो. 

आदरणीया अर्पणा शर्मा जी द्वारा अतुकांत कविता "चिरनिद्रा - चिर विश्रांति" का पाठ किया गया- प्रथम दो पंक्तियाँ -

 

नदी के भँवर में घूमते पत्ते से,

जो खिंचता जाता सामने उसमें ,

जीवन है ड़ूबता -उतराता,

काल के नित गहराते भँवर में ...

कार्यक्रम के संचालक आदरणीय हरिवल्लभ शर्मा जी द्वारा अपनी ग़ज़ल का पाठ किया गया-

शोहरत मिली क्या आप तो मगरूर हो गये।

अहबाब साथ थे जो सभी दूर हो गये।

आदरणीय कपिल शास्त्री जी द्वारा अपनी लघुकथा "हार-जीत"का पाठ किया गया जिसके मुख्य अंश है-

"क्या तुम भी अपने पापा से इतने ही फ्रेंडली थे?"

"नहीं था,पर मैं भी चाहता था कि मेरे पिता भी मेरे दोस्त जैसे होते।"   

 

आदरणीय मुज़फ्फर इकबाल सिद्दीकी जी ने लघुकथा " दवाई " का पाठ किया जिसके मुख्य अंश है-

मैं  भी  बेटी  यही सब कर कर के थक गई । जो तू आजकल कर रही है । मेरे भी दो बेटे हैं। बड़े होनहार हैं। मैं ने खूब पढ़ा लिखा कर बड़ा किया। बुढ़िया ने भी बड़े गर्व से बताया।  एक पूना में है और दूसरा अमेरिका में सेटल हो गया है । तो फिर आंटी दवाई  , आप पहले ले  लो । और कविता ने आंटी को लाइन में अपने आगे लगा लिया ।  क्या हुआ बेटी ? आंटी  ने पूछा ? कुछ नहीं आंटी, मेरी दवाई  तो मिल गई

आदरणीया रक्षा दुबे जी,  आदरणीया  शशि बंसल जी, आदरणीया  कल्पना भट्टजी, डॉ अरविन्द जैनजी आदि ओबीओ सदस्यों के अतिरिक्त स्थानीय वरिष्ठ रचनाकारों आदरणीय अशोक निर्मलजी,  आदरणीय अशोक व्यग्रजी,  आदरणीय भवेश दिलशादजी,  आदरणीय दिनेश मालवीयजी,  आदरणीय गोकुल सोनीजी, आदरणीय दानिश जयपुरीजी, आदरणीया आशा शर्माजी, आदरणीया उषा सक्सेनाजी, आदरणीया विनीता राहुरिकरजी, आदरणीया कांता जी, आदरणीया सुधा दुबेजी,  आदरणीया मालती बसन्तजी आदि ने सरस काव्य एवं लघुकथा पाठ किया।

मंचासीन अतिथियों में डॉ रामवल्लभ आचार्य जी ने अपने गीतों से श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर दिया.

प्रसिद्द हिंदी गज़लकार आदरणीय जहीर कुरैशी जी ने अपने चिर-परिचित अंदाज़ में गज़लें सुनाई-

दूध माओं का बिकता है बाज़ार में

अब तो ममता भी शामिल है व्यापार में

इसके उपरान्त आदरणीय अध्यक्ष आदरणीय तिलकराज कपूरजी द्वारा काव्यपाठ एवं अध्यक्षीय वक़्तव्य दिया गया।

कार्यक्रम के अंत में ओबीओ भोपाल चेप्टर द्वारा आमंत्रित अतिथिगण का पुस्तकें एवं स्मृति-चिन्ह भेंट कर सम्मान किया गया।

समापन से पूर्व संगोष्ठी संयोजिका आदरणीया कल्पना भट्ट जी द्वारा आमंत्रित सभी माननीय अतिथियों, रचनाकारों एवं श्रोताओं  का आभार व्यक्त किया गया।

ओबीओ प्रबंधन के मार्गदर्शन एवं प्रयासों से कार्यक्रम भव्य, सफल एवं अविस्मरणीय रहा।

कार्यक्रम का कवरेज अख़बारों में-

 

Views: 994

Reply to This

Replies to This Discussion

संयोजकों को बहुत बहुत बधाई । ऐसी संगोष्‍ठियां होती रहनी चाहिए इनसे बहुत कुछ सीखा जा सकता है। आदरणीय मिथिलेश भाई जी व समस्‍त टीम को सफल आयोजन हेतु बधाईयां , सचित्र व विस्‍तृत रिर्पोट पढ़कर ऐसा लगा कि मैं भी इस संगोष्‍ठी में शामिल था। ओबीओ ज़िन्‍दाबाद ।

आदरणीय सर आप भी भोपाल आयें । सादर
ओ बी ओ परिवार को बहुत बहुत बधाईयां व शुभकामनायें ।
ओबीओ परिवार को सादर नमन ।

RSS

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय दिनेश कुमार विश्वकर्मा जी आदाब, तरही मिसरे पर ग़ज़ल का अच्छा प्रयास हुआ है बधाई स्वीकार…"
5 minutes ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"मुहतरमा ऋचा यादव जी आदाब, ग़ज़ल पर आपकी आमद और ज़र्रा नवाज़ी का तह-ए-दिल से शुक्रिया। आशा है कि…"
10 minutes ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय दिनेश कुमार विश्वकर्मा जी आदाब, ग़ज़ल पर आपकी आमद और ज़र्रा नवाज़ी का तह-ए-दिल से…"
14 minutes ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय दिनेश जी नमस्कार अच्छी ग़ज़ल कही आपने बधाई स्वीकार कीजिये अमित जी की  टिप्पणी क़ाबिले ग़ौर…"
30 minutes ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय अमीर जी नमस्कार बेहतरीन ग़ज़ल कही आपने बधाई स्वीकार कीजिये हेर शेर क़ाबिले तारीफ़ हुआ है, फिर भी…"
35 minutes ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय संजय जी नमस्कार बहुत ख़ूब ग़ज़ल कही आपने बधाई स्वीकार कीजिये गिरह ख़ूब, अमित जी की टिप्पणी…"
38 minutes ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय लक्ष्मण जी बहुत शुक्रिया आपका सादर"
40 minutes ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"जी आदरणीय यही कि जिस मुक़द्दमे का इतना चर्चा था उसमें हारने वाले को सज़ा क्या हुई उसका भी चर्चा…"
41 minutes ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई चेतन जी, सादर अभिवादन। अच्छी गजल हुई है। सुझावों के बाद यह और बेहतर हो गयी है। हार्दिक बधाई…"
1 hour ago
Euphonic Amit replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"वक़्त बदला 2122 बिका ईमाँ 12 22 × यहाँ 12 चाहिए  चेतन 22"
2 hours ago
Euphonic Amit replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"ठीक है पर कृपया मुक़द्दमे वाले शे'र का रब्त स्पष्ट करें?"
4 hours ago
Euphonic Amit replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी जी  इस दाद और हौसला अफ़ज़ाई के लिए बहुत बहुत…"
4 hours ago

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service