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उपहार.....

मौसम बदलेगा
तो
कुछ तो नया होगा

गुलों के झुरमट में
मैं तुम्हें
छुप छुप के
निहारता होऊंगा

तुम भी होगी
कहीं
प्रकृति के शृंगार की
अप्रतिम नयी कोपल में
छिपी यौवन की
नयी आभा सी

क्या
दृष्टिभाव की
ये अनुभूति
बदले मौसम का
उपहार न होगी

सुशील सरना
मौलिक एवम अप्रकाशित

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Comment

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Comment by Sushil Sarna on November 3, 2016 at 12:12pm

आदरणीया डॉ. प्राची सिंह जी प्रस्तुति  अपने स्नेहिल शब्दों से मान देने का  दिल से आभार । आपको भी दीपावली की शुभकामनाएं।  त्यौहारी व्यस्तता के चलते आभार व्यक्त करने में विलम्ब हुआ , क्षमा चाहता हूँ। 

Comment by Sushil Sarna on November 3, 2016 at 12:11pm

आदरणीय  सौरभ सर प्रस्तुति के भावों को अपने स्नेहिल शब्दों से अलंकृत करने का दिल से आभार । आपको भी दीपावली की शुभकामनाएं।  त्यौहारी व्यस्तता के चलते आभार व्यक्त करने में विलम्ब हुआ , क्षमा चाहता हूँ। 

Comment by Sushil Sarna on November 3, 2016 at 12:09pm

आदरणीय  समर कबीर साहिब आपकी शुभकामनाओं का तहे दिल से आभार। आपको भी दीपावली की शुभकामनाएं।  त्यौहारी व्यस्तता के चलते आभार व्यक्त करने में विलम्ब हुआ , क्षमा चाहता हूँ। 


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on October 27, 2016 at 7:48pm

वाह ! बहुत सुन्दर ....

मौसम में बदलाव सोच और अनुभूतियों के आयामों में भी परिलक्षित होते हैं.... और गुलाबी छुअन लिए शरादागमन के साथ ही आपकी इस सुन्दर अभिव्यक्ति ने मन मोह लिया 

बहुत बहुत बधाई आ० सुशिल सरना जी 


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on October 27, 2016 at 11:20am

बहुत ही सरस भाव अभिव्यक्त हुए हैं, आदरणीय !

कालीदास ने ऋतु-संहारम् में शरद का वर्णन करते हुए कहा है - फूले हुए काँस के वस्त्र पहने, मस्त हंसों के स्वर के विछुए पहने, पके हुए धान से मनोहर शरीर वाली और खिले हुए कमल के समान सुन्दर सुखवाली शरद ऋतु नववधू की तरह आ गई ...

प्रतीत होता है आपमें कालीदास की आत्मा नये बिम्बों के साथ प्रवेश कर गयी है. 

जय-जय 

Comment by Samar kabeer on October 26, 2016 at 8:17pm
आपको आपके परिवार को और मंच के सभी सदस्यों को दीपावली की बधाई और शुभकामनाएं ।
Comment by Sushil Sarna on October 26, 2016 at 7:31pm

आदरणीय Samar kabeer जी प्रस्तुति के भावों को आत्मीय मान देने का हार्दिक आभार। आपको सपरिवार दीपावली की हार्दिक शुभकामनाएं।

Comment by Samar kabeer on October 26, 2016 at 2:57pm
जनाब सुशील सरना जी आदाब,बहुत ख़ूबसूरत अहसास पिरोये हैं आपने शब्दों में और मंच को अपनी बहतरीन रचना का उपहार दिया,इस शानदार प्रस्तुति जे लिये दिल से बधाई स्वीकार करें ।

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