For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

राज़ नवादवी: एक अंजान शायर का कलाम- ४७

जो है दिल को शिकायत न हो ज़ेरेफुगाँ क्यों

न हो कहने का हक़ कुछ तो देते हो जुबां क्यों  

 

मेरी खानाख़राबी सुबूतेआशिक़ी है

जो हो मजनूं तुम्हारा हो उसका आशियाँ क्यों

 

यूँ कारेआशिक़ी से है आती बू-ए-साज़िश

अदू जो हैं हमारे वो तेरे पासबाँ क्यों

 

मकीनेदिलबिरिश्ता-ओ-दश्तेगमनशीं था

वफ़ातेकैस पे फिर न हो ख़ुश गुलसितां क्यों

 

जो मुझसे निस्बतों की सभी बातें हैं झूठीं

सुनाते हो मुझे तुम तुम्हारी दास्ताँ क्यों

 

अगर जो था वो बेरुख़ तो मुड़कर देखता क्यों

शिकारी अपने पीछे कोई छोड़े निशाँ क्यों

 

वो हिन्दू नाम के हैं जो करते हैं तफ़रक़ा

जो करते खूंख़राबा वो होवे मुसल्माँ क्यों

 

~ राज़ नवादवी

०५/१०/२०१६

 

ज़ेरेफुगाँ- आर्तनाद करता हुआ; खानाख़राबी- इश्क़ में घर-बार का बर्बाद हो जाना; सुबूतेआशिक़ी- प्रेम का साक्ष्य; कारेआशिक़ी से- प्रेमकर्म से; बू-ए-साज़िश- षड़यंत्र की गंध; अदू- दुश्मन; पासबाँ- हिफाज़त करने वाले; मकीनेदिलबिरिश्ता-ओ-दश्तेगमनशीं था- दग्ध हृदय एवं दुःखमें डूबे हुए रेगिस्तान का निवासी था; वफ़ातेकैस- कैस/मजनू की मौत; गुलसितां- उद्यान/ उपवन; निस्बतों की बातें- संबंधों की बातें; दास्ताँ- कहानी, आपबीती; तफ़रक़ा- भेदभाव; खूंख़राबा- खून ख़राबा

 

 

 

Views: 580

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by राज़ नवादवी on October 10, 2016 at 11:43pm

शुक्रिया आदरणीया राजेश जी. आपका हृदय से आभार. 

Comment by राज़ नवादवी on October 10, 2016 at 11:42pm

शुक्रिया अपर्णा जी. दिल से आभार. 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on October 10, 2016 at 6:06pm

आद० राज़ साहब ,बहुत दिनों बाद आपकी रचना पढ़ रही हूँ काफी दिनों बाद आपको यहाँ देखा अच्छा लगा |बहुत सुन्दर कलाम कहा  है आपने दिल से बधाई लीजिये |

Comment by Arpana Sharma on October 10, 2016 at 5:05pm
सुंदर रचना है पर आखिरी की दो पंक्तियों में हिन्दू-मुसलमां का जिक्र एक रूहानी इश्क को दर्शाती रचना में जमा नहीं ।
Comment by राज़ नवादवी on October 9, 2016 at 10:41pm

हृदय से आभार सुरेन्द्रनाथ जी !

Comment by नाथ सोनांचली on October 9, 2016 at 12:20am
बधाई राज जी
Comment by राज़ नवादवी on October 8, 2016 at 8:36pm

आदरणीय समर कबीर साहेब, आदाब और दिल से  आभार. 

Comment by राज़ नवादवी on October 8, 2016 at 8:35pm

आदरणीय व्यास जी, आपका तहेदिल से आभार 

Comment by सुरेश कुमार 'कल्याण' on October 8, 2016 at 7:57pm
आदरणीय राज साहब इस सुन्दर रचना पर हार्दिक बधाई प्रेषित है । सादर ।
Comment by Samar kabeer on October 8, 2016 at 5:20pm
जनाब राज़ साहिब आदाब,इस प्रस्तुति पर बधाई स्वीकार करें ।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Sheikh Shahzad Usmani replied to योगराज प्रभाकर's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-110 (विषयमुक्त)
"अहसास (लघुकथा): कन्नू अपनी छोटी बहन कनिका के साथ बालकनी में रखे एक गमले में चल रही गतिविधियों को…"
11 hours ago
pratibha pande replied to मिथिलेश वामनकर's discussion ओबीओ मासिक साहित्यिक संगोष्ठी सम्पन्न: 25 मई-2024
"सफल आयोजन की हार्दिक बधाई ओबीओ भोपाल की टीम को। "
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: उम्र भर हम सीखते चौकोर करना
"आदरणीय श्याम जी, हार्दिक धन्यवाद आपका। सादर।"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: उम्र भर हम सीखते चौकोर करना
"आदरणीय सुशील सरना जी, हार्दिक आभार आपका। सादर"
yesterday

प्रधान संपादक
योगराज प्रभाकर posted a discussion

"ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-110 (विषयमुक्त)

आदरणीय साथियो,सादर नमन।."ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-110 में आप सभी का हार्दिक स्वागत है। इस बार…See More
yesterday
सुरेश कुमार 'कल्याण' posted a blog post

कुंडलिया छंद

आग लगी आकाश में,  उबल रहा संसार।त्राहि-त्राहि चहुँ ओर है, बरस रहे अंगार।।बरस रहे अंगार, धरा ये तपती…See More
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर posted a blog post

कहूं तो केवल कहूं मैं इतना: मिथिलेश वामनकर

कहूं तो केवल कहूं मैं इतना कि कुछ तो परदा नशीन रखना।कदम अना के हजार कुचले,न आस रखते हैं आसमां…See More
Wednesday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to मिथिलेश वामनकर's discussion ओबीओ मासिक साहित्यिक संगोष्ठी सम्पन्न: 25 मई-2024
"हार्दिक धन्यवाद आदरणीय।"
Wednesday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to मिथिलेश वामनकर's discussion ओबीओ मासिक साहित्यिक संगोष्ठी सम्पन्न: 25 मई-2024
"ओबीओ द्वारा इस सफल आयोजन की हार्दिक बधाई।"
Wednesday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to मिथिलेश वामनकर's discussion ओबीओ मासिक साहित्यिक संगोष्ठी सम्पन्न: 25 मई-2024
"धन्यवाद"
Tuesday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to मिथिलेश वामनकर's discussion ओबीओ मासिक साहित्यिक संगोष्ठी सम्पन्न: 25 मई-2024
"ऑनलाइन संगोष्ठी एक बढ़िया विचार आदरणीया। "
Tuesday
KALPANA BHATT ('रौनक़') replied to मिथिलेश वामनकर's discussion ओबीओ मासिक साहित्यिक संगोष्ठी सम्पन्न: 25 मई-2024
"इस सफ़ल आयोजन हेतु बहुत बहुत बधाई। ओबीओ ज़िंदाबाद!"
Tuesday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service