For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

हाँ !चुनाव तुम्हारा है

आते है गंदले कीचड़े उथले नारे नदी

मिलते है गंगा में और गंगा हो जाते हैं
पर गंगा बन मिलते है जब सागर में
गंगा के नामो निशाँ मिट जाते हैं .....

बरगद के नीचे जो उगोगे
तो बढ़ नहीं पाओगे
सुरक्षित तो रह लोगे
संवर नहीं पाओगे


आंधी तूफ़ान से भी बचोगे ज़रूर
पर फल फूल नहीं पाओगे
न शाखा को मिलेगा आसमान
न जड़ को ज़मीं दे पाओगे

अब चुनाव तुम्हारा है
या आंधी तूफानों को झेलो
अपनी ज़मीं अपना आसमान बनाओ
या केकड़े बन सिमटते रहो सहते रहो
जैसे हो तैसे बस चमड़ी बचाओ
चुनाव तुम्हारा है

"मौलिक व अप्रकाशित"

Views: 518

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by amita tiwari on September 24, 2016 at 4:59pm

मान्य राजेश जी, श्री सुनील जी ,भंडारी जी .महिर्षि  त्रिपाठी जी ,प्रतिभा पांडे जी एवं श्री सुरेश कुमार कल्याण जी 

आपकी टिप्पणियों के लिए ह्रदय से आभार 

सादर 

अमिता 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on July 11, 2016 at 10:03pm

बरगद के नीचे जो उगोगे
तो बढ़ नहीं पाओगे
सुरक्षित तो रह लोगे
संवर नहीं पाओगे---बहुत  सार्थक  बात वाह  सुन्दर  रचना अमिता जी बहुत बहुत बधाई 

Comment by shree suneel on June 8, 2016 at 10:44am
व्वाहह! बहुत ख़ूब! इस सुन्दर समर्थ प्रस्तुति पर आपको हार्दिक बधाई आदरणीया अमिता तिवारी जी. सादर.

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on June 8, 2016 at 8:22am

आदरणीया अमिता जी , अच्छी सीख दे रही है आपकी रचना , हार्दिक बधाइयाँ ।

Comment by maharshi tripathi on June 7, 2016 at 5:16pm
सभी को खुले आसमान में जीने का हक है,गुलामी का जीवन बेकार है,दूसरे के सहारे से अच्छा है हम खुद सहारा बने !!!
अच्छी कविता है आ.अमिताजी
Comment by pratibha pande on June 6, 2016 at 12:15pm

अब चुनाव तुम्हारा है
या आंधी तूफानों को झेलो
अपनी ज़मीं अपना आसमान बनाओ
या केकड़े बन सिमटते रहो सहते रहो
जैसे हो तैसे बस चमड़ी बचाओ
चुनाव तुम्हारा है .....   बहुत गंभीर बात कही है आप ने ,   बधाई प्रेषित है आपको इस सार्थक रचना पर आदरणीया अमिता जी  

Comment by सुरेश कुमार 'कल्याण' on June 6, 2016 at 10:15am
आदरणीया अमिता तिवारी जी बहुत ही सुन्दर सन्देश दिया है। बधाई हो।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"आदाब साथियो। त्योहारों की बेला की व्यस्तता के बाद अब है इंतज़ार लघुकथा गोष्ठी में विषय मुक्त सार्थक…"
2 hours ago
Jaihind Raipuri commented on Admin's group आंचलिक साहित्य
"गीत (छत्तीसगढ़ी ) जय छत्तीसगढ़ जय-जय छत्तीसगढ़ माटी म ओ तोर मंईया मया हे अब्बड़ जय छत्तीसगढ़ जय-जय…"
8 hours ago
LEKHRAJ MEENA is now a member of Open Books Online
yesterday
Tilak Raj Kapoor replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"शेर क्रमांक 2 में 'जो बह्र ए ग़म में छोड़ गया' और 'याद आ गया' को स्वतंत्र…"
Sunday
Tilak Raj Kapoor replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"मुशायरा समाप्त होने को है। मुशायरे में भाग लेने वाले सभी सदस्यों के प्रति हार्दिक आभार। आपकी…"
Sunday
Tilak Raj Kapoor updated their profile
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"आ. भाई दयाराम जी, सादर अभिवादन। अच्छी गजल हुई है। हार्दिक बधाई।"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"आ. भाई जयहिन्द जी, सादर अभिवादन। अच्छी गजल हुई है और गुणीजनो के सुझाव से यह निखर गयी है। हार्दिक…"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"आ. भाई विकास जी बेहतरीन गजल हुई है। हार्दिक बधाई।"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"आ. मंजीत कौर जी, अभिवादन। अच्छी गजल हुई है।गुणीजनो के सुझाव से यह और निखर गयी है। हार्दिक बधाई।"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"आ. भाई दयाराम जी, सादर अभिवादन। मार्गदर्शन के लिए आभार।"
Sunday
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"आदरणीय महेन्द्र कुमार जी, प्रोत्साहन के लिए बहुत बहुत धन्यवाद। समाँ वास्तव में काफिया में उचित नही…"
Sunday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service