For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

2212 2 22 22
गगरी कहो तो भरती कब है!
परवान चाहत चढती कब है।1

उफनी उमंगों की लहरी यह
चढती चली फिर गिरती कब है।2

कबसे रही भँवरों में फँसकर
नैया भला यह तिरती कब है।3

बाँहें पसारे सागर उछला
सिकता जरा भी घिरती कब है।4

उठते किले ख्वाहिश के कितने!
आशा अपूरित मरती कब है।5

टंगी नजर दर आहट खातिर
रुनझुन रूठी लय रचती कब है।6

धड़कन गिना दे पुरवा खुलके
महफिल कहीं भी सजती कब है ।7

भौंरा बिंधा है खारों से पर
गुनगुन कहीं धुन रूकती कब है।8

फागुन बसे जो अँवराई में
शहनाई' कह कम बजती कब है।9
मौलिक व अप्रकाशित@मनन

Views: 428

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by रामबली गुप्ता on March 27, 2016 at 1:19pm
वाह वाह आ.मनन जी शानदार ग़ज़ल के लिए बधाई स्वीकार करें
Comment by Manan Kumar singh on March 25, 2016 at 12:14pm
आभार जनाब शकूर जी।

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by शिज्जु "शकूर" on March 25, 2016 at 10:57am
जनाब मनन साहब ती के पहले दीर्घ मात्रिक स्वर यथा आ, ई होता या या मूल शब्द का आखिरी अक्षर समान होता यथा भरती के साथ सँवरती तो ये ऐब नहीं होता, अती काफ़िया नहीं लिया जा सकता। आगे आपकी मर्ज़ी रचना आपकी है जैसा चाहे रखें। और अधिक जानकारी आपको इसी मंच पर मौजूद ग़ज़ल की बातें नामक पोस्ट के काफ़िया दोष वाले हिस्से में मिल जायेगी। सादर,
Comment by Manan Kumar singh on March 25, 2016 at 10:08am
आदरणीय शकूर जी, पूरी गजल देखने पर शायद शंका निर्मूल हो जाये। काफिया तो ठीक ही प्रतीत होता है-अती।

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by शिज्जु "शकूर" on March 24, 2016 at 7:43pm
आदरणीय मननजी कोशिश अच्छी है बधाई स्वीकार करें। एक बात और मतले में काफ़िया दोष नुमायाँ है ज़रा देख लीजियेगा

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Euphonic Amit replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-167
"आदरणीय DINESH KUMAR VISHWAKARMA जी आदाब ग़ज़ल के प्रयास के लिए बधाई स्वीकार करें। कोई मुझमें ही…"
28 minutes ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-167
"आ. भाई जयनित जी, अभिवादन। गजल का प्रयास अच्छा हुआ है।हार्दिक बधाई।  भाई अमित जी के सुझाव अच्छे…"
2 hours ago
Aazi Tamaam replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-167
"जी बहुत बहुत शुक्रिया आ टाइपिंग मिस्टेक " समन्दर " की ओर ध्यानाकर्षण के लिए भी सहृदय…"
2 hours ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक ..रिश्ते
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार आदरणीय ।"
2 hours ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-167
"आदरणीय Aazi जी नमस्कार अच्छी ग़ज़ल कही आपने बधाई स्वीकार कीजिये"
3 hours ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-167
"आदरणीय Aazi जी  बहुत शुक्रिया आपका सlदर"
3 hours ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-167
"आदरणीय अमित जी बहुत ख़ूबसूरत कहा शुक्रिया आपका सादर"
3 hours ago
Aazi Tamaam replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-167
"बधाई स्वीकार करें आ अच्छी ग़ज़ल हुई 4 में सूर्य की धूप स्त्रीलिंग होती है बाकी गुणीजनों की इस्लाह…"
3 hours ago
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-167
"आदरणीय आज़ी तमाम जी, प्रोत्साहन के लिए हार्दिक आभार।"
4 hours ago
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-167
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी, सुंदर ग़ज़ल के लिए हार्दिक बधाई स्वीकार करें।"
4 hours ago
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-167
"आदरणीय रचना भटिया जी, सुंदर ग़ज़ल के लिए बहुत बहुत बधाई।"
4 hours ago
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-167
"आदरणीय अमित जी, सुंदर ग़ज़ल के लिए बहुत बहुत बधाई।"
4 hours ago

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service