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आपकी लघुकथा ने ये कैसा मोड़ दिया, अभी मेरी समझ को हजम नहीं हो रहा
ठीक कहा ! बधाई स्वीकार करें |
आदरणीय Shashi बंसल जी पति-पत्नी के संवाद से एक उम्दा लघुकथा का जन्म हुआ है. बहुत कुछ सोचने को विवश करती लघुकथा.
मोहतरमा शशि बंसल साहिबा ,पतियों की पोल खोलती लघु कथा के लिए मुबारकबाद क़ुबूल फरमाएं
आदरणीया शशि जी, बहुत बढ़िया लघुकथा लिखी है आपने. हार्दिक बधाई .... पंचलाइन जबरदस्त है-
" प्रत्येक पुरुष को पत्नी और प्रत्येक स्त्री को पति तो सहज मिल जाता है , लेकिन साथी किसी विरले को ही मिलता है ।"
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