For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

चाँद वरदान दे.... करवाचौथ पर ख़ास ( डॉ० प्राची सिंह)

ओढ़नी ओढ़ कर मैं पिया प्रेम की

प्रार्थना कर रही, चाँद वरदान दे

 

मन महकता रहे प्रीत की गंध से

दो हृदय एक हों प्रेम के बंध से

प्रीत अक्षय सदा भाग्य अनुपम मिले

जिस्म दो हैं मगर एक ही जान दे...

ओढ़नी ओढ़ कर...

 

मैं पिया के हृदय में सदा ही रहूँ

वो ही सागर मेरे, मैं नदी सी बहूँ

चाँद, हर इक नज़र से बचाना उन्हें

दीर्घ आयु सदा मान-सम्मान दे

ओढ़नी ओढ़ कर...

 

मेंहदी हाथ में रच महकती रहे

और लाली महावर की सजती रहे

सोलहों ही सदा मेरे शृंगार हों

चाँद आँचल में मुझको यही दान दे

ओढ़नी ओढ़ कर...

 

हों अँधेरे जहाँ, दीप बन वो जलें

धर्म की राह पर वो सदा ही चलें

धैर्य आधार हो ज़िंदगी में सदा

चाँद उनको सदा नव्य उत्थान दे

ओढ़नी ओढ़ कर...

 

छिप रहा बादलों में भला क्यों बता?

रूप अपना दिखा, अब मुझे मत सता

थाल पूजा का ले याचना कर रही

नेह उद्गार हैं सब इन्हें प्राण दे

ओढ़नी ओढ़ कर..

(मौलिक और अप्रकाशित)

Views: 1009

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on February 9, 2016 at 10:48pm

वाह वाह वाह ! निस्स्वार्थ समर्पण का आत्मीय आनन्द ! 

सादर


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on November 4, 2015 at 7:40pm

सादर धन्यवाद आदरणीया राजेश कुमारी जी 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on November 2, 2015 at 7:06pm

मेंहदी हाथ में रच महकती रहे

और लाली महावर की सजती रहे

सोलहों ही सदा मेरे शृंगार हों

चाँद आँचल में मुझको यही दान दे

ओढ़नी ओढ़ कर...

 

करवाचौथ  के पावन  अवसर  पर बहुत प्यारा प्रेम में पगा  भावपूर्ण नव गीत लिखा प्रिय प्राची जी, दिल से बधाई लीजिये |


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on November 2, 2015 at 7:03pm

धन्यवाद आ० कल्पना भट्ट जी 


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on November 2, 2015 at 7:02pm

धन्यवाद आ० रवि शुक्ला जी 


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on November 2, 2015 at 7:02pm

धन्यवाद आ० लक्ष्मण रामानुज लडिवाला जी 


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on November 2, 2015 at 7:01pm

अभिव्यक्ति की मुखर सराहना के लिए धन्यवाद आ०  शेख शाहजाद उस्मानी जी 

Comment by Ravi Shukla on November 2, 2015 at 3:38pm

आदरणीया प्राची जी सुन्‍दर गीत दिया है मंच को आपने मिथिलेश जी की ही तरह हम भी  गुनगुना कर पढ़ रहे थे । फाइलुन पकड़ में आते ही इसका लुत्‍फ बढ गया ( 2 1 2  की चार आवृत्ति )  रस्तुति के लिए हार्दिक के लिये हार्दिक बधाई स्‍वीकार करें ।

Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on November 1, 2015 at 11:17am

करवा चौथ पर पीया प्रेम के सुंदर  भावों की अनुमप प्रस्तुती  | बहुत  बहुत बधाई डॉ प्राची जी 

Comment by Sheikh Shahzad Usmani on November 1, 2015 at 10:55am
वाह, बहुत बढ़िया प्रस्तुति समुचित अवसर पर दाम्पत्य जीवन में नयी ऊर्जा, विश्वास और ख़ुशियों का संचार करती हुई सुंदर रचना के लिए आदरणीया डॉ. प्राची सिंह जी तहे दिल बहुत बहुत बधाई आपको। ये पंक्तियाँ मुझे बहुत प्रभावित करती हैं--
"हों अँधेरे जहाँ, दीप बन वो जलें
धर्म की राह पर वो सदा ही चलें
धैर्य आधार हो ज़िंदगी में सदा
चाँद उनको सदा नव्य उत्थान दे
ओढ़नी ओढ़ कर..."

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .प्रेम
"आदरणीय मिथिलेश वामनकर जी सृजन पर आपकी मनोहारी प्रशंसा का दिल से आभार आदरणीय"
4 hours ago
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा पंचक. . . . .मजदूर

दोहा पंचक. . . . मजदूरवक्त  बिता कर देखिए, मजदूरों के साथ । गीला रहता स्वेद से , हरदम उनका माथ…See More
18 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on मिथिलेश वामनकर's blog post कहूं तो केवल कहूं मैं इतना: मिथिलेश वामनकर
"आदरणीय सुशील सरना जी मेरे प्रयास के अनुमोदन हेतु हार्दिक धन्यवाद आपका। सादर।"
18 hours ago
Sushil Sarna commented on मिथिलेश वामनकर's blog post कहूं तो केवल कहूं मैं इतना: मिथिलेश वामनकर
"बेहतरीन 👌 प्रस्तुति सर हार्दिक बधाई "
yesterday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .मजदूर
"आदरणीय मिथिलेश वामनकर जी सृजन पर आपकी समीक्षात्मक मधुर प्रतिक्रिया का दिल से आभार । सहमत एवं…"
yesterday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .मजदूर
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी सृजन आपकी मनोहारी प्रशंसा का दिल से आभारी है सर"
yesterday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post कुंडलिया. . .
"आदरणीय मिथिलेश वामनकर जी सृजन आपकी स्नेहिल प्रशंसा का दिल से आभारी है सर"
yesterday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post कुंडलिया. . .
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार आदरणीय"
yesterday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक ..रिश्ते
"आदरणीय मिथिलेश वामनकर जी के भावों को आत्मीय मान से सम्मानित करने का दिल से आभार आदरणीय"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Aazi Tamaam's blog post ग़ज़ल: ग़मज़दा आँखों का पानी
"आ. भाई आजी तमाम जी, अभिवादन। अच्छी गजल हुई है। हार्दिक बधाई।"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: उम्र भर हम सीखते चौकोर करना
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन। उत्तम गजल हुई है। हार्दिक बधाई।"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on AMAN SINHA's blog post काश कहीं ऐसा हो जाता
"आदरणीय अमन सिन्हा जी इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक बधाई स्वीकार करें। सादर। ना तू मेरे बीन रह पाता…"
yesterday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service