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ग़ज़ल- तुम मिले तो धडकनों में फिर रवानी सी लगी।

2122 2122 2122 212

तुम मिले तो धडकनों में फिर रवानी सी लगी।
तुम मिले तो जिन्दगानी जिन्दगानी सी लगी।

तुम मिले तो आज ये दुनिया सुहानी सी लगी।
तुम मिले तो सच मुहब्बत जाविदानी सी लगी।

तुम मिले तो दिल के हर इक मोड पर खुशियाँ सजी।
तुम मिले तो साँस सुख की राजधानी सी लगी।

तुम मिले तो प्यार का हर एक किस्सा दिलरुबा।
मुझको अपनी और तेरी ही कहानी सी लगी।

जब तुम्हें पहली दफा देखा मेरे जज्बात ने।
तुम कोई पिछले जनम की जानी जानी सी लगी।

तुम मिले तो चाँदनी,खुशबू,कली,शबनम,फिजा।
सच कहूँ सब ही तुम्हारी नौकरानी सी लगी।

इस कदर 'राहुल' तुम्हारे प्यार में पागल हुआ।
तुमको देखा तो उसे तुम भी दीवानी सी लगी।

मौलिक व अप्रकाशित ।

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Comment by Rahul Dangi Panchal on September 9, 2015 at 12:15pm
और अच्छी
Comment by Rahul Dangi Panchal on September 9, 2015 at 12:15pm
हाहाहा आदरणीय आप खुश तो हुए न। बस आपका स्नेह यूँ मिलता रहे तो एक दिन और गजल कह पाउगां । सादर

सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on September 9, 2015 at 12:02pm

भाई, मैं आप पर कहाँ खुश हुआ .. मैं तो ग़ज़ल और इसकी मासूमियत पर प्रसन्न हो रहा हूँ. :-))

आपसे पूर्ववत प्रयासरत रहने की अपेक्षा है .. 

हा हा हा...

शुभ-शुभ

Comment by Rahul Dangi Panchal on September 9, 2015 at 11:59am
मेै कलम से अपने गुनीजनों का दिल खुश कर पाया यही मेरे लिए विशेष उपलब्ध है । यह जान कर मैं अति खुशी हो रही।
प्रणाम आदरणीय मंच को ।
Comment by Rahul Dangi Panchal on September 9, 2015 at 11:51am
आदरणीय सौरभ जी आप खुश हुए यानि कि मैं सफल हुआ।
बहुत बहुत आभार ।
बस आपका स्नेह यूँ ही मिलता रहे। सादर प्रणाम ।

सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on September 9, 2015 at 11:25am

राहुल भाई, वाह ! 

आपकी इस कोशिश ने खुश कर दिया. सहज ढंग से बातें कहते हुए आप कितना मुखर हैंं ! बधाई !!

शुभेच्छाएँ

Comment by Rahul Dangi Panchal on September 8, 2015 at 6:43pm
आदरणीय मदन जी धन्यवाद । पर आपने यह रचना यहाँ क्यूंपोस्ट की है। सादर ुो
Comment by Madan Mohan saxena on September 8, 2015 at 5:21pm

तुझे पा लिया है जग पा लिया है
अब दिल में समाने लगी जिंदगी है

कभी गर्दिशों की कहानी लगी थी
मगर आज भाने लगी जिंदगी है

समय कैसे जाता समझ मैं ना पाता
अब समय को चुराने लगी जिंदगी है

कभी ख्बाब में तू हमारे थी आती
अब सपने सजाने लगी जिंदगी है

तेरे प्यार का ये असर हो गया है
अब मिलने मिलाने लगी जिंदगी है

मैं खुद को भुलाता, तू खुद को भुलाती
अब खुद को भुलाने लगी जिंदगी है

Comment by Rahul Dangi Panchal on September 8, 2015 at 10:44am
आदरणीय shree suneel जी शुक्रिया
Comment by Rahul Dangi Panchal on September 8, 2015 at 10:44am
आदरणीय समर साहब जी बहुत बहुत आभार ।सब आपका आशिर्वाद है

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