For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

कुछ उलटा , कुछ सीधा -- डॉo विजय शंकर

अच्छाइयों के लिए फ़िकर क्यों करें
बुराइयों में बड़ा मजा आता है ||

भजन भगवान के करम शैतान के
कर के देखो बड़ा मजा आता है ||

सीधी बातें छोडो, गलतफहमियां
पालो, देखो,बड़ा मजा आता है ||

सच है, पर उपदेश कुशल बहुतेरे,
राजनीति है ,बड़ा मजा आता है ||

सबसे लड़ लेते हो, इक बार लड़ो ,
खुद से, देखो, बड़ा मजा आता है ||

झूठ सौ बोलते हो , एक बार सच
बोलो, देखो,बड़ा मजा आता है ||

मौलिक एवं अप्रकाशित
डॉo विजय शंकर

Views: 526

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Dr. Vijai Shanker on April 28, 2015 at 8:38pm
आपको रचना पसंद आई , आपका बहुत बहुत आभार आदरणीय राजकुमार आहूजा जी , आपकी सद्भावनाओं के लिए ह्रदय से धन्यवाद , सादर।
Comment by rajkumarahuja on April 28, 2015 at 5:47pm

बेशक सौ झूठ बोले हों,

मगर एक

सच बोल कर देखो,

बड़ा मज़ा आता है !

 ( भावपूर्ण पंक्तियाँ , बहुत सुन्दर माननीय डा. विजय शंकर जी, साधुवाद )  

Comment by Dr. Vijai Shanker on April 28, 2015 at 5:34pm
प्रिय कृष्ण मिश्रा जी , आपको रचना अच्छी लगी , बहुत अच्छा लगा आभार, बधाई के लिए ह्रदय से धन्यवाद , सादर।
Comment by Dr. Vijai Shanker on April 28, 2015 at 5:32pm
आदरणीय गिरिराज भंडारी जी , आपको रचना अच्छी लगी , रचना को अनुमोदन मिला , आभार, बधाई के लिए ह्रदय से धन्यवाद , सादर।
Comment by Krish mishra 'jaan' gorakhpuri on April 28, 2015 at 2:11pm
सुन्दर रचना पर बधाई आ० Dr. Vijai Shanker सर!

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on April 28, 2015 at 12:04pm

आदरणीय विजय भाई , बहुत सार्थक द्विपदियों की रचना की है आपने , गज़ल के भी बहुत करीब है आपकी रचना ॥ हाद्रिक बधाइयाँ कुबूल करें आदरणीय ॥

Comment by Dr. Vijai Shanker on April 28, 2015 at 11:11am
आदरणीय नीलेश शेवगांवकर जी रचना को स्वीकृति प्रदान करने के लिए आपका बहुत बहुत आभार और बधाई के लिए धन्यवाद। सादर।
Comment by Dr. Vijai Shanker on April 28, 2015 at 11:09am
आदरणीय मोहन सेठी जी रचना को स्वीकार करने के लिए आपका बहुत बहुत आभार और बधाई के लिए धन्यवाद। सादर।
Comment by Nilesh Shevgaonkar on April 28, 2015 at 8:56am

बहुत अच्छे आदरणीय.... 
दो पद में कही बाते हैं..रदीफ़ भी निभाया है ..ग़ज़ल की ओर बढ़ने पर बधाई 
सादर 

Comment by Mohan Sethi 'इंतज़ार' on April 28, 2015 at 7:46am

वाह वाह ...आज तो ..."मजा आता है" ......बहुत रोचक और भावपूर्ण  ...बधाई 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"आदाब। रचना पटल पर नियमित उपस्थिति और समीक्षात्मक टिप्पणी सहित अमूल्य मार्गदर्शन प्रदान करने हेतु…"
5 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"सादर नमस्कार। रचना पटल पर अपना अमूल्य समय देकर अमूल्य सहभागिता और रचना पर समीक्षात्मक टिप्पणी हेतु…"
5 hours ago
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा सप्तक. . . सागर प्रेम

दोहा सप्तक. . . सागर प्रेमजाने कितनी वेदना, बिखरी सागर तीर । पीते - पीते हो गया, खारा उसका नीर…See More
6 hours ago
pratibha pande replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"आदरणीय उस्मानी जी एक गंभीर विमर्श को रोचक बनाते हुए आपने लघुकथा का अच्छा ताना बाना बुना है।…"
7 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: मिथिलेश वामनकर
"आदरणीय सौरभ सर, आपको मेरा प्रयास पसंद आया, जानकार मुग्ध हूँ. आपकी सराहना सदैव लेखन के लिए प्रेरित…"
7 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: मिथिलेश वामनकर
"आदरणीय  लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर जी, मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार. बहुत…"
7 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"आदरणीय शेख शहजाद उस्मानी जी, आपने बहुत बढ़िया लघुकथा लिखी है। यह लघुकथा एक कुशल रूपक है, जहाँ…"
7 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"असमंजस (लघुकथा): हुआ यूॅं कि नयी सदी में 'सत्य' के साथ लिव-इन रिलेशनशिप के कड़वे अनुभव…"
9 hours ago
Profile IconSarita baghela and Abhilash Pandey joined Open Books Online
13 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"आदाब साथियो। त्योहारों की बेला की व्यस्तता के बाद अब है इंतज़ार लघुकथा गोष्ठी में विषय मुक्त सार्थक…"
yesterday
Jaihind Raipuri commented on Admin's group आंचलिक साहित्य
"गीत (छत्तीसगढ़ी ) जय छत्तीसगढ़ जय-जय छत्तीसगढ़ माटी म ओ तोर मंईया मया हे अब्बड़ जय छत्तीसगढ़ जय-जय…"
yesterday
LEKHRAJ MEENA is now a member of Open Books Online
Wednesday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service