For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

मात्रिक छंद

जो रस्मों को मन से माने, पावन होती प्रीत वही तो!

जीवन भर जो साथ निभाए, सच्चा होता मीत वही तो!

 

रूढ़ पुरानी परम्पराएँ, मानें हम, है नहीं ज़रूरी।

जो समाज को नई दिशा दे, प्रचलित होती रीत वही तो!

 

मंदिर-मंदिर चढ़े चढ़ावा, भरे हुओं की भरती झोली।

जो भूखों की भरे झोलियाँ, होता कर्म पुनीत वही तो!

 

ऐसा कोई हुआ न हाकिम, जो जग में हर बाज़ी जीता,

बाद हार के जो हासिल हो, सुखदाई है जीत वही तो!

 

भाव बिना है कविता फीकी, बिना सुरीले बोल, तराने।

जो तन-मन को करे तरंगित मधुरिम है संगीत वही तो!

 

यूँ तो मिलती नेक नसीहत, भूलें जो बीता दुखदाई,

संग जिये पर जिसके पल-पल, होता याद अतीत वही तो!

मौलिक व अप्रकाशित

Views: 573

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by कल्पना रामानी on February 2, 2014 at 9:29pm

सादर धन्यवाद आदरणीय सौरभ जी


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on January 31, 2014 at 2:11pm

सीख सुझाव देती इस ग़ज़ल के लिए आपका आभार आदरणीया कल्पना जी.
सादर

Comment by कल्पना रामानी on January 28, 2014 at 8:04pm

आ॰ प्रियंका जी हार्दिक धन्यवाद

Comment by कल्पना रामानी on January 28, 2014 at 8:03pm

आ॰ प्राची जी, गजल पसंद करने के लिए  बहुत बहुत धन्यवाद

Comment by कल्पना रामानी on January 28, 2014 at 8:02pm

आदरणीय मदन मोहन जी सादर धन्यवाद

Comment by Priyanka singh on January 25, 2014 at 6:41pm

आ० कल्पना जी ...बहुत सुन्दर रचना ....बधाई आपको ....


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on January 24, 2014 at 12:21pm

बहुत खूबसूरत ग़ज़ल लिखी है आ० कल्पना जी 

हर शेर पर बहुत बहुत बधाई प्रेषित है..स्वीकार करें 

Comment by Madan Mohan saxena on January 23, 2014 at 2:04pm
बहुत सुंदर प्रस्तुति ,आपको बहुत बधाई इस सार्थक गज़ल हेतु।
Comment by कल्पना रामानी on January 23, 2014 at 9:55am

आदरणीया वंदना तिवारी जी रचना की सराहना हेतु हार्दिक धन्यवाद

Comment by कल्पना रामानी on January 23, 2014 at 9:50am

आदरणीय गिरिराज जी, अरुण जी,  श्याम नरेन जी, शिज्जु जी,  बसंत नेमा जी, आदरणीया वंदना जी, सरिता जी,  आप सबका गजल की सराहना द्वारा प्रोत्साहित करने के लिए हार्दिक आभार

सादर   

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Sushil Sarna commented on मिथिलेश वामनकर's blog post कहूं तो केवल कहूं मैं इतना: मिथिलेश वामनकर
"बेहतरीन 👌 प्रस्तुति सर हार्दिक बधाई "
27 minutes ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .मजदूर
"आदरणीय मिथिलेश वामनकर जी सृजन पर आपकी समीक्षात्मक मधुर प्रतिक्रिया का दिल से आभार । सहमत एवं…"
33 minutes ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .मजदूर
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी सृजन आपकी मनोहारी प्रशंसा का दिल से आभारी है सर"
35 minutes ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post कुंडलिया. . .
"आदरणीय मिथिलेश वामनकर जी सृजन आपकी स्नेहिल प्रशंसा का दिल से आभारी है सर"
37 minutes ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post कुंडलिया. . .
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार आदरणीय"
37 minutes ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक ..रिश्ते
"आदरणीय मिथिलेश वामनकर जी के भावों को आत्मीय मान से सम्मानित करने का दिल से आभार आदरणीय"
38 minutes ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Aazi Tamaam's blog post ग़ज़ल: ग़मज़दा आँखों का पानी
"आ. भाई आजी तमाम जी, अभिवादन। अच्छी गजल हुई है। हार्दिक बधाई।"
44 minutes ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: उम्र भर हम सीखते चौकोर करना
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन। उत्तम गजल हुई है। हार्दिक बधाई।"
1 hour ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on AMAN SINHA's blog post काश कहीं ऐसा हो जाता
"आदरणीय अमन सिन्हा जी इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक बधाई स्वीकार करें। सादर। ना तू मेरे बीन रह पाता…"
5 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on दिनेश कुमार's blog post ग़ज़ल -- दिनेश कुमार ( दस्तार ही जो सर पे सलामत नहीं रही )
"आदरणीय दिनेश कुमार जी बहुत बढ़िया ग़ज़ल हुई है शेर दर शेर दाद ओ मुबारकबाद कुबूल कीजिए। इस शेर पर…"
5 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on Sushil Sarna's blog post कुंडलिया .... गौरैया
"आदरणीय सुशील सरना जी बहुत बढ़िया प्रस्तुति हुई है। हार्दिक बधाई। गौरैया के झुंड का, सुंदर सा संसार…"
5 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on AMAN SINHA's blog post यह धर्म युद्ध है
"आदरणीय अमन सिन्हा जी, इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक बधाई। सादर"
5 hours ago

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service