For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

पिला देती अगर साकी तो मैं भी बोल देता सच

१२२२   १२२२  १२२२  १२२२ 

पिला देती अगर साकी तो मैं भी बोल देता सच

हलक से गर उतर जाती तो मैं भी बोल देता सच

 

हसीं नगमे, हसीं जलवे, हसीं महफ़िल हसीनो की

हँसी रुसवा न गर होती  तो मैं भी बोल देता सच

 

कहें शायर घनी काली घटाएं इन की जुल्फों को

न उनकी नींद गर उडती  तो मैं भी बोल देता सच

 

बड़ी दिलकश हसीं कातिल चमकता चाँद सब कहते

हंसी गर सच को सह पाती तो मैं भी बोल देता सच

 

कतल होने मे गर आये मजा समझो की उल्फत है

अगर धड़कन नहीं बढ़ती तो मैं भी बोल देता सच

 

वो कातिल है छुपा बैठा जमाने की निगाहों से

मेरे दिल में वो न बसती तो मैं भी बोल देता सच

 

मौलिक व अप्रकाशित 

डॉ आशुतोष मिश्र 

Views: 713

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on December 1, 2013 at 6:58pm

रदीफ़ ही मन मोह गया, आदरणीय .. अच्छी ग़ज़ल के लिए दिली दाद कुबूल फ़रमायें.. .

सादर

Comment by Priyanka singh on November 24, 2013 at 3:54pm

वो कातिल है छुपा बैठा जमाने की निगाहों से

मेरे दिल में वो न बसती तो मैं भी बोल देता सच......वाह बहुत खूब ...आदरणीय मिश्रा जी बधार्इ हो।

Comment by Dr Ashutosh Mishra on November 24, 2013 at 11:51am

आदरणीय रामअवध जी ..हौसला अफजाई के लिए हार्दिक धन्यवाद  

Comment by Dr Ashutosh Mishra on November 24, 2013 at 11:50am

आदरणीय बसंत जी आदरणीय विजय मिश्र हौसला अफजाई के लिए हार्दिक धन्यवाद ..सादर 

Comment by Dr Ashutosh Mishra on November 24, 2013 at 11:49am

अरुण जी ...उत्साह वर्धन और परामर्श र्श के लिए हार्दिक धन्यवाद ..आपके दिए मशविरे पे अमल करते हुए मैं ग़ज़ल में संशोधन कर लूँगा ..बस यूं ही स्नेह बनाए रखें ..सादर 

Comment by Dr Ashutosh Mishra on November 24, 2013 at 11:47am

आदरणीय संदीप जी ..उत्साह वर्धन के लिए हार्दिक धन्यवाद 

Comment by Ram Awadh VIshwakarma on November 23, 2013 at 8:14pm

आदरणीय मिश्रा जी बधार्इ हो।

Comment by विजय मिश्र on November 23, 2013 at 5:28pm
"बड़ी दिलकश हसीं कातिल चमकता चाँद सब कहते
हंसी गर सच को सह पाती तो मैं भी बोल देता सच|" - बेहिसाब लाजबाव , लज्जत तो पूरी गजल में है मगर यह जुमला मुझे बहुत भय . बधाई आशुतोषजी
Comment by बसंत नेमा on November 23, 2013 at 10:46am

आ0 आशुतोष जी बेहतरीन गजल के लिये बहुत बहुत बधाई .........

Comment by Meena Pathak on November 22, 2013 at 6:48pm

बेहतरीन  गज़ल  हेतु बधाई स्वीकारें आदरणीय आशुतोष जी 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Sushil Sarna posted a blog post

दोहा पंचक. . . . .मजदूर

दोहा पंचक. . . . मजदूरवक्त  बिता कर देखिए, मजदूरों के साथ । गीला रहता स्वेद से , हरदम उनका माथ…See More
10 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on मिथिलेश वामनकर's blog post कहूं तो केवल कहूं मैं इतना: मिथिलेश वामनकर
"आदरणीय सुशील सरना जी मेरे प्रयास के अनुमोदन हेतु हार्दिक धन्यवाद आपका। सादर।"
10 hours ago
Sushil Sarna commented on मिथिलेश वामनकर's blog post कहूं तो केवल कहूं मैं इतना: मिथिलेश वामनकर
"बेहतरीन 👌 प्रस्तुति सर हार्दिक बधाई "
22 hours ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .मजदूर
"आदरणीय मिथिलेश वामनकर जी सृजन पर आपकी समीक्षात्मक मधुर प्रतिक्रिया का दिल से आभार । सहमत एवं…"
22 hours ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .मजदूर
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी सृजन आपकी मनोहारी प्रशंसा का दिल से आभारी है सर"
22 hours ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post कुंडलिया. . .
"आदरणीय मिथिलेश वामनकर जी सृजन आपकी स्नेहिल प्रशंसा का दिल से आभारी है सर"
22 hours ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post कुंडलिया. . .
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार आदरणीय"
22 hours ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक ..रिश्ते
"आदरणीय मिथिलेश वामनकर जी के भावों को आत्मीय मान से सम्मानित करने का दिल से आभार आदरणीय"
22 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Aazi Tamaam's blog post ग़ज़ल: ग़मज़दा आँखों का पानी
"आ. भाई आजी तमाम जी, अभिवादन। अच्छी गजल हुई है। हार्दिक बधाई।"
22 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: उम्र भर हम सीखते चौकोर करना
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन। उत्तम गजल हुई है। हार्दिक बधाई।"
23 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on AMAN SINHA's blog post काश कहीं ऐसा हो जाता
"आदरणीय अमन सिन्हा जी इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक बधाई स्वीकार करें। सादर। ना तू मेरे बीन रह पाता…"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on दिनेश कुमार's blog post ग़ज़ल -- दिनेश कुमार ( दस्तार ही जो सर पे सलामत नहीं रही )
"आदरणीय दिनेश कुमार जी बहुत बढ़िया ग़ज़ल हुई है शेर दर शेर दाद ओ मुबारकबाद कुबूल कीजिए। इस शेर पर…"
yesterday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service