For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

2 1 2 2   1 2 1 2   2 2

आज तेरा पयाम आया है
जैसे फिर माहताब आया है

देख लो सज गये दिवारो दर
घर मेरे कोई शाद आया है

अबके हो फैसला मेरे हक़ में
हांथ में इन्तखाब आया है

इल्म की रौशनी जली मुझमें
यूँ लगा आफ़ताब आया है

हो गये लाख़ रंग हसरत के
मेरा जोड़ा शहाब आया है

पयाम = सन्देश, माहताब = चाँद , शाद = ख़ुशी,
इन्तखाब = चुनाव, आफ़ताब = सूरज, शहाब = सुर्ख लाल रंग

अमित कुमार दुबे मौलिक व अप्रकाशित

Views: 624

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on August 27, 2013 at 3:30am

मेहनत करें

शुभेच्छाएँ

Comment by राज़ नवादवी on August 26, 2013 at 10:51pm

"प्रयास तो सही है, मगर रदीफ़ और काफिया देख लें. मंच पे उपलब्ध ग़ज़ल की कक्षा से मुफीद हुआ जा सकता है. "

Comment by अरुन 'अनन्त' on August 26, 2013 at 2:30pm

वाह भाई क्या कहने छोटी छोटी पंक्तियों में मोटी मोटी बातें कह दी आपने बेहद सुन्दर भाई हार्डीक बधाई स्वीकारें.

Comment by केवल प्रसाद 'सत्यम' on August 25, 2013 at 8:16pm

आ0 अमित भाई जी,  सादर प्रणाम!    बेहद सुन्दर गजल प्रस्तुति के लिए मेरी बधाई स्वीकारें। सादर,

Comment by mrs manjari pandey on August 25, 2013 at 2:11pm

     दुबे जी  पयाम  आा अच्छा लगा . बहुत बहुत बधाई  स्वीकारें

Comment by Dr Ashutosh Mishra on August 25, 2013 at 1:27pm

सुंदर रचना के लिए हार्दिक बधायी स्वीकारें ..सादर 

Comment by रमेश कुमार चौहान on August 25, 2013 at 10:28am
दुबेजी आपके इस प्रभावी रचना के लिये बधाई
Comment by बृजेश नीरज on August 25, 2013 at 10:03am

बहुत सुन्दर! आपको हार्दिक बधाई!

Comment by अमित वागर्थ on August 25, 2013 at 9:26am

adarniyaa annapurna ji aapka bahut-bahut shukriya

Comment by अमित वागर्थ on August 25, 2013 at 9:22am

aadarniya bhandari ji aapka tahe-dil se shukriya

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity


सदस्य टीम प्रबंधन
Dr.Prachi Singh commented on मिथिलेश वामनकर's blog post कहूं तो केवल कहूं मैं इतना: मिथिलेश वामनकर
"बहुत सुंदर अभिव्यक्ति हुई है आ. मिथिलेश भाई जी कल्पनाओं की तसल्लियों को नकारते हुए यथार्थ को…"
3 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on मिथिलेश वामनकर's blog post कहूं तो केवल कहूं मैं इतना: मिथिलेश वामनकर
"आदरणीय मिथिलेश भाई, निवेदन का प्रस्तुत स्वर यथार्थ की चौखट पर नत है। परन्तु, अपनी अस्मिता को नकारता…"
yesterday
Sushil Sarna posted blog posts
Wednesday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .
"आदरणीय मिथिलेश वामनकर जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार ।विलम्ब के लिए क्षमा सर ।"
Wednesday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post कुंडलिया .... गौरैया
"आदरणीय मिथिलेश वामनकर जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार आदरणीय जी । सहमत एवं संशोधित ।…"
Wednesday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .प्रेम
"आदरणीय मिथिलेश वामनकर जी सृजन पर आपकी मनोहारी प्रशंसा का दिल से आभार आदरणीय"
Monday
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा पंचक. . . . .मजदूर

दोहा पंचक. . . . मजदूरवक्त  बिता कर देखिए, मजदूरों के साथ । गीला रहता स्वेद से , हरदम उनका माथ…See More
Monday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on मिथिलेश वामनकर's blog post कहूं तो केवल कहूं मैं इतना: मिथिलेश वामनकर
"आदरणीय सुशील सरना जी मेरे प्रयास के अनुमोदन हेतु हार्दिक धन्यवाद आपका। सादर।"
Monday
Sushil Sarna commented on मिथिलेश वामनकर's blog post कहूं तो केवल कहूं मैं इतना: मिथिलेश वामनकर
"बेहतरीन 👌 प्रस्तुति सर हार्दिक बधाई "
Sunday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .मजदूर
"आदरणीय मिथिलेश वामनकर जी सृजन पर आपकी समीक्षात्मक मधुर प्रतिक्रिया का दिल से आभार । सहमत एवं…"
Sunday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .मजदूर
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी सृजन आपकी मनोहारी प्रशंसा का दिल से आभारी है सर"
Sunday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post कुंडलिया. . .
"आदरणीय मिथिलेश वामनकर जी सृजन आपकी स्नेहिल प्रशंसा का दिल से आभारी है सर"
Sunday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service