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उत्थान
(भारत के स्वाधीनता दिवस के 66वीं वर्षगाँठ पर बच्चों के प्रति)

बच्चों यह जो आज तिरंगा लहराता
    यह अम्बर जो आज खुशी के गाता गीत,
पूछो इनसे कितने बलिदानों की गाथा
    हैं इनमें किनके आँसू, अरमाँ, किनकी जीत.

जीवन आज बहुत चपल मतवाला है
    अस्थिरता है जग में हर पल, हर मन में,
ठहरो तुम चहुँ ओर अभी उजाला है
    यह प्रकाश सिंचित हो तव चेतन में.

देखो क्या इतिहास रचा है वीरों ने
    कितने ही आहों के सुर-बंधन से,
जानो कितने करवट बदले तक़दीरों ने
    कैसे यह अमृत पाया विष मंथन से.

आज तुम जिस ध्वजा तले हो इठलाते
    जिसके बल पर ‘जय हिंद’ का लगता नारा,
उसको थामे रहती थी शत सहस्र हाथें
   बहती थीं उन हाथों से शोणित की धारा.

उन विस्मृत प्राणों को तुम याद करो
    दो बूंद अश्रु के आज ज़रा बहा दो तुम,
जो उजड़ गया वह धरती आबाद करो
    अहंकार का यह प्राचीर ढहा दो तुम.

है पथ प्रदर्शक सारे जग का भारत महान
    महाकाल ने भी मस्तक झुकाया है,
‘मानव प्रेम सर्वोच्च है’ – यह अमर व्याख्यान
    इस धरती ने ही जग को कभी सुनाया है.

बच्चों, अब यह प्रशस्त पथ तुम्हारा है
    नये युग के नये क़दमों में संगीत नया,
अब जीवन की डोर औ’ यह रथ तुम्हारा है
    बोझिल अतीत की बातें अब क्यों, रीत नया.

आज़ादी का शंख बजा था घर-घर में
    हम जब तुम जैसे ही छोटे बच्चे थे,
तब दीप जला था हर शिशु के नन्हें उर में
    तब हम हृदय से तुम जैसे ही सच्चे थे.

हमने क्या किया और क्या नहीं किया
    यह प्रश्न उठाना आज निरर्थक लगता है,
विश्व में फैला फिर से एक अशांति नया,
    सारा अनुभव इतिहास निरर्थक लगता है.

जागो फिर से जग में नयी रसधार बहे
    नये युग का तुम करो नया अब सूत्रपात,
हर दिल में, हर घर में केवल प्यार रहे
    हिंसा पर कर दो तुम अंतिम आघात.

.

(मौलिक एवं अप्रकाशित रचना)

Views: 717

Replies to This Discussion

.
आदरणीय शरादिन्दू मुकर्जी जी ,
आप की कविता ' उत्थान ' पढ़ कर भारत के प्रति देश प्रेम की भावना स्वत ही जागृत होती है .
मन प्रसन्न और भावुक हो उठा . .
बहुत सुंदर ,गहराई में ले जाने बाली सामग्री एकत्रित की है आप ने .
बच्चों के लिय तो भारतीयता की महिमा अनिवार्य है .लिखते रहे .
शुभ कामनाएं .ढेर सी बधाई .
सादर .

आदरणीय जिंदल जी,

आपने यह प्रस्तुति पढ़ी, यह मेरा सौभाग्य है. अशेष धन्यवाद. मैं चाहता था कि मुख्य ब्लॉग पेज पर यह रचना रहे और बहुत से लोग पढ़ें. लेकिन ओ.बी.ओ. के आग्रह पर मैं इसे बाल-साहित्य समूह में रखने के लिये राज़ी हुआ. आशा करूंगा कि बच्चे और उनके अभिभावक भी इस रचना को पढ़ेंगे तथा अपनी राय देंगे. आपकी टिप्पणी ने मुझे प्रोत्साहित किया है. एक बार फिर हृदय से आभारव्यक्त करता हूँ. 

आदरणीय शर्दिन्दु जी:

 

एक बहुत ही प्यारी रचना लिखी है आपने।

यह केवल बच्चों को नहीं, सभी को प्रेरणा देती है।

इस सफ़ल, श्रेष्ठ, प्रेरक रचना के लिए साधुवाद।

 

सादर,

विजय निकोर

 

 

यह रचना बच्चों में देश प्रेम की भावना जगाने वाली है। आजादी के लिए बलिदान देने वाले शहीदों की शहादत को याद रखना और आजादी की कीमत को समझना और बच्चों को समझाना बहुत जरूरी है। आपकी यह रचना इसमें सफल रही है।
आपको इस रचना के लिए बहुत बहुत बधाई!

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