For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

पांच दोहे (लक्ष्मण लडीवाला)

जेल जाय अपराध में, करते वे पद त्याग,

जन प्रतिनिधि क़ानून में,इससे उल्टा राग |

 

संविधान में निहित है, मूलभूत अधिकार,

सबको समान हक़ मिले, भेद करे सरकार |

 

रुपया गिरता देखकर, डालर मुंह बिचकाय,

बढे कर्ज के बोझ से, चिंता घेरे जाय | 

 

कर्ज विदेशी बढ़ रहा, इधर तेल के दाम,

काला धन स्विस बैंक में,भुगते जन अंजाम|

 

रकम जमा स्विस बैंक में, घरवाले अनजान,

भेद दिए बिन चल बसे, घर के सब हैरान|

(मौलिक व् अप्रकाशित)

-लक्ष्मण प्रसाद लडीवाला

 

Views: 694

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on July 18, 2013 at 7:07pm

आपकी सापेक्ष टिपण्णी से दोहों का मान और बढ़ गया आदरणीय श्री सौरभ पाण्डेय जी | हार्दिक आभार स्वीकारे | सादर 


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on July 18, 2013 at 4:17pm

कर्ज विदेशी बढ़ रहा, इधर तेल के दाम,

काला धन स्विस बैंक में,भुगते जन अंजाम|

 

रकम जमा स्विस बैंक में, घरवाले अनजान,

भेद दिए बिन चल बसे, घर के सब हैरान|

इन दोहों ने तो मानों सबके मन की कह डाली.

आपकी कशिशों के प्रति सादर धन्यवाद, आदरणीय.

Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on July 18, 2013 at 9:24am

दोहे सुन्दर और सामयिक बता कर मान देने के लिए हार्दिक आभार आपका श्री अशोक रक्ताले साहब | सादर 

Comment by Ashok Kumar Raktale on July 18, 2013 at 7:36am

कर्ज विदेशी बढ़ रहा, इधर तेल के दाम,

काला धन स्विस बैंक में,भुगते जन अंजाम|...........बहुत सुन्दर.

आदरणीय लड़ीवाला साहब बहुत सुन्दर सामयिक दोहे रचे हैं बहुत बहुत बधाई स्वीकारें.

इबारतें सब पढ़ रहे, बस गाफ़ और लाम,

परिस्थितियाँ विकट हुई, रोज बढ़ रहे दाम|

Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on July 16, 2013 at 9:35am

दोहे सुंदर सामयिक बाता कर मान देने एवं त्रुटी की  ओर ध्यान दिलाने के लिये आपका हार्दिक आभार डॉ प्राची जी | 


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on July 15, 2013 at 10:31am

आदरणीय लक्ष्मण जी 

सुन्दर सामयिक दोहावली

जन प्रतिनिधत्व विधान में,इससे उल्टा राग............विषम चरण में १४ मात्रा है 

सबके हक़ समान रहे,..............................गेयता बाधित है 

सुरसा समान कर्ज से..............................यहाँ भी गेयता बाधित है 

सद्प्रयास के लिए हार्दिक बधाई 

सादर.

Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on July 14, 2013 at 9:17pm

दोहे सुन्दर बता मान देने के लिए हार्दिक आभार भाई श्री अरुण कुमार निगम जी 

  न्याय जनहित में करते, माने ना सरकार,

  घोटाले होते रहे,  खा खा कर फटकार |

Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on July 14, 2013 at 9:09pm

दोहे के भाव पसंद करने के लिए हार्दिक आभार श्री रविकर भाई 

घोटाले कर धन भरे,  देते बाहर  भेज,

मरते काला मुहं किये,मिले न सुख की सेज | 

Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on July 14, 2013 at 9:04pm

दोहे पसंद करने के लिए हार्दिक आभार आपका श्री डी पी माथुर साहब 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by अरुण कुमार निगम on July 14, 2013 at 9:01pm

वर्तमान परिदृश्य पर,सुंदर दोहे पाँच

बाँच बाँच करतूत को,बोल रहे हैं साँच ||

सुंदर दोहे आदरणीय......

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity


सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to मिथिलेश वामनकर's discussion ओबीओ मासिक साहित्यिक संगोष्ठी सम्पन्न: 25 मई-2024
"धन्यवाद"
16 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to मिथिलेश वामनकर's discussion ओबीओ मासिक साहित्यिक संगोष्ठी सम्पन्न: 25 मई-2024
"ऑनलाइन संगोष्ठी एक बढ़िया विचार आदरणीया। "
16 hours ago
KALPANA BHATT ('रौनक़') replied to मिथिलेश वामनकर's discussion ओबीओ मासिक साहित्यिक संगोष्ठी सम्पन्न: 25 मई-2024
"इस सफ़ल आयोजन हेतु बहुत बहुत बधाई। ओबीओ ज़िंदाबाद!"
23 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Dr.Prachi Singh replied to मिथिलेश वामनकर's discussion ओबीओ मासिक साहित्यिक संगोष्ठी सम्पन्न: 25 मई-2024
"बहुत सुंदर अभी मन में इच्छा जन्मी कि ओबीओ की ऑनलाइन संगोष्ठी भी कर सकते हैं मासिक ईश्वर…"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर posted a discussion

ओबीओ मासिक साहित्यिक संगोष्ठी सम्पन्न: 25 मई-2024

ओबीओ भोपाल इकाई की मासिक साहित्यिक संगोष्ठी, दुष्यन्त कुमार स्मारक पाण्डुलिपि संग्रहालय, शिवाजी…See More
Sunday
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-167
"आदरणीय जयनित जी बहुत शुक्रिया आपका ,जी ज़रूर सादर"
Saturday
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-167
"आदरणीय संजय जी बहुत शुक्रिया आपका सादर"
Saturday
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-167
"आदरणीय दिनेश जी नमस्कार अच्छी ग़ज़ल कही आपने बधाई स्वीकार कीजिये गुणीजनों की टिप्पणियों से जानकारी…"
Saturday
Aazi Tamaam replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-167
"बहुत बहुत शुक्रिया आ सुकून मिला अब जाकर सादर 🙏"
Saturday
Euphonic Amit replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-167
"ठीक है "
Saturday
Aazi Tamaam replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-167
"शुक्रिया आ सादर हम जिसे अपना लहू लख़्त-ए-जिगर कहते थे सबसे पहले तो उसी हाथ में खंज़र निकला …"
Saturday
Euphonic Amit replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-167
"लख़्त ए जिगर अपने बच्चे के लिए इस्तेमाल किया जाता है  यहाँ सनम शब्द हटा दें "
Saturday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service