For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

शौक है , अजीब लगता है,

दर्द कोई  रकीब लगता है !

रोज तरसा है मुस्कुराने को 

चेहरे-चेहरा गरीब लगता है !

ये गम हैं कि छोड़ते ही नहीं 

कोई रिश्ता करीब लगता है !

होगा खुशियों का खज़ाना कोई  
हमको अच्छा सलीब लगता है !

नभ के तारे सभी हमारे हैं ,

यही अपना नसीब लगता है !
_____________________प्रो.विश्वम्भर शुक्ल 

(मौलिक और अप्रकाशित )

Views: 632

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by vandana on July 2, 2013 at 7:33am

रोज तरसा है मुस्कुराने को 

चेहरे-चेहरा गरीब लगता है !

ये गम हैं कि छोड़ते ही नहीं 

कोई रिश्ता करीब लगता है !

बहुत सुन्दर पंक्तियाँ 


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on July 2, 2013 at 7:17am

सुन्दर मुक्तिका 

नभ के तारे सभी हमारे हैं ,

यही अपना नसीब लगता है !..........वाह !

हार्दिक शुभकामनाएं 

Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on July 1, 2013 at 7:48pm

मन भावन गीत रचना बहुत सुन्दर लगी, हार्दिक बधाई श्री विशम्भर शुक्ल जी, सादर 

Comment by अरुन 'अनन्त' on July 1, 2013 at 1:19pm

बहुत ही सुकोमल भाव लिए सुन्दर रचना आदरणीय हार्दिक स्वीकारें.

Comment by Aarti Sharma on July 1, 2013 at 1:03pm

दिल को छुते हुए मार्मिक भाव...बहुत खूब सर

Comment by विजय मिश्र on July 1, 2013 at 12:07pm
भाव से भरी , दर्द दुश्मनों जैसा और गम से रिश्ता करीब का और इसे नाम दिया अजीब शौक का . यह छोटी सी कविता कितने मर्मस्पर्शीता को समेटे है स्वेम में ठीक कवि के विशाल हृदय की तरह . बधाई हो विश्वम्भरजी
Comment by रविकर on July 1, 2013 at 10:27am

बहुत बहुत बहुत बढ़िया -

शुभकामनायें आदरणीय-

Comment by vijay nikore on July 1, 2013 at 1:13am

भाव मन को छू गए।

बधाई।

सादर,

विजय निकोर

Comment by Harish Upreti "Karan" on June 30, 2013 at 12:49pm

अति सुन्दर सर बधाई........

Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on June 30, 2013 at 1:52am
आदरणीय..विश्वम्भर शुक्ल जी, बेहद खूबसूरत पंक्तिया व रचना अभिव्यक्ति 'हार्दिक शुभकामनाऐ

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity


सदस्य टीम प्रबंधन
Dr.Prachi Singh commented on मिथिलेश वामनकर's blog post कहूं तो केवल कहूं मैं इतना: मिथिलेश वामनकर
"बहुत सुंदर अभिव्यक्ति हुई है आ. मिथिलेश भाई जी कल्पनाओं की तसल्लियों को नकारते हुए यथार्थ को…"
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on मिथिलेश वामनकर's blog post कहूं तो केवल कहूं मैं इतना: मिथिलेश वामनकर
"आदरणीय मिथिलेश भाई, निवेदन का प्रस्तुत स्वर यथार्थ की चौखट पर नत है। परन्तु, अपनी अस्मिता को नकारता…"
Thursday
Sushil Sarna posted blog posts
Wednesday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .
"आदरणीय मिथिलेश वामनकर जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार ।विलम्ब के लिए क्षमा सर ।"
Wednesday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post कुंडलिया .... गौरैया
"आदरणीय मिथिलेश वामनकर जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार आदरणीय जी । सहमत एवं संशोधित ।…"
Wednesday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .प्रेम
"आदरणीय मिथिलेश वामनकर जी सृजन पर आपकी मनोहारी प्रशंसा का दिल से आभार आदरणीय"
Monday
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा पंचक. . . . .मजदूर

दोहा पंचक. . . . मजदूरवक्त  बिता कर देखिए, मजदूरों के साथ । गीला रहता स्वेद से , हरदम उनका माथ…See More
Jun 3

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on मिथिलेश वामनकर's blog post कहूं तो केवल कहूं मैं इतना: मिथिलेश वामनकर
"आदरणीय सुशील सरना जी मेरे प्रयास के अनुमोदन हेतु हार्दिक धन्यवाद आपका। सादर।"
Jun 3
Sushil Sarna commented on मिथिलेश वामनकर's blog post कहूं तो केवल कहूं मैं इतना: मिथिलेश वामनकर
"बेहतरीन 👌 प्रस्तुति सर हार्दिक बधाई "
Jun 2
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .मजदूर
"आदरणीय मिथिलेश वामनकर जी सृजन पर आपकी समीक्षात्मक मधुर प्रतिक्रिया का दिल से आभार । सहमत एवं…"
Jun 2
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .मजदूर
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी सृजन आपकी मनोहारी प्रशंसा का दिल से आभारी है सर"
Jun 2
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post कुंडलिया. . .
"आदरणीय मिथिलेश वामनकर जी सृजन आपकी स्नेहिल प्रशंसा का दिल से आभारी है सर"
Jun 2

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service