For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

!! भजन !!

जब चारो ओर अन्धेरा हो ।

और पास मे न कोई मेरा हो ।

तुम देना मेरा साथ ।। ओ दीनो के दीना नाथ ॥ तुम देना मेरा साथ ।

ये दुनिया है एक छ्लावा ।

सत्य नही कोई तेरे अलावा ।

तुम ही दिन और रात ।। ओ दीनो के दीना नाथ ॥ तुम देना मेरा साथ ।

ये रिश्ते नाते है सब झूठे

सब छुटॆ चाहे सब रुठे ।

तुम छोडना ना मेरा साथ  ।। ओ दीनो के दीना नाथ ॥ तुम देना मेरा साथ ।

ये जग है दौलत का पुजारी।  

मै सेवक तेरा एक भिखारी ।

मेरे खाली है दोनो हाथ  ।।  ओ दीनो के दीना नाथ ॥ तुम देना मेरा साथ ।

जब भव-सागर मै तर न पाउ ।

बीच भंवर मे मै फँस जाउ ।

तुम थामना मेरा हाथ ॥ ओ दीनो के दीना नाथ ॥ तुम देना मेरा साथ ।

प्रभु मुझको इतना सा वर देना ।

अपनी अनमिट भक्ति देना 

प्राण निकले तेरे चरणो के पास ।। ओ दीनो के दीना नाथ ॥ तुम देना मेरा साथ ।

जब चारो ओर अन्धेरा हो ।

और पास मे न कोई मेरा हो ।

तुम देना मेरा साथ ।। ओ दीनो के दीना नाथ ॥ तुम देना मेरा साथ ।

"मौलिक व अप्रकाशित"

Views: 715

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by बसंत नेमा on June 17, 2013 at 10:30am

आ0 माथुर सर एव जवाहर सर आप प्रार्थना मे शामिल हुये ..उसके लिये बहुत बहुत आभार साधन्यवाद 

Comment by बसंत नेमा on June 17, 2013 at 10:30am

आ0 कुंती जी आप प्रार्थना मे शामिल हुये ..उसके लिये बहुत बहुत आभार साधन्यवाद

Comment by बसंत नेमा on June 17, 2013 at 10:30am

आ0 विजय श्री जी आप प्रार्थना मे शामिल हुये ..उसके लिये बहुत बहुत आभार साधन्यवाद

Comment by JAWAHAR LAL SINGH on June 16, 2013 at 6:39am

जब चारो ओर अन्धेरा हो ।

और पास मे न कोई मेरा हो ।

तुम देना मेरा साथ ।। ओ दीनो के दीना नाथ ॥ तुम देना मेरा साथ ।

सुंदर भजन!

Comment by D P Mathur on June 15, 2013 at 7:21pm

भावनाओं से ओतप्रोत भजन के लिए आपको धन्यवाद !

Comment by coontee mukerji on June 15, 2013 at 7:08pm

बहुत ही सुन्दर  भक्तिभाव से पूर्ण रचना ./ सादर / कुंती .

Comment by vijayashree on June 15, 2013 at 5:54pm

ओ दीनों के दीनानाथ , तुम देना मेरा साथ

 

भावनापूर्ण भजन / हार्दिक बधाई

Comment by बसंत नेमा on June 15, 2013 at 4:00pm

आ0 केवल जी , आ0 जितेन्द्र जी  आप प्रार्थना मे शामिल हुये ..उसके लिये बहुत बहुत आभार साधन्यवाद

Comment by केवल प्रसाद 'सत्यम' on June 15, 2013 at 8:46am

आ0 बसन्त नेमा जी,  सुन्दर प्रार्थना, बधाई स्वीकारें।  सादर,

Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on June 15, 2013 at 7:53am
आदरणीय..बसंत जी, बहुत सुंदर भावनाओं से पूर्ण भजन प्रस्तुत किया आपने...हार्दिक शुभकामनाऐं स्वीकार कीजीऐ..

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity


सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: उम्र भर हम सीखते चौकोर करना
"आदरणीय श्याम जी, हार्दिक धन्यवाद आपका। सादर।"
38 minutes ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: उम्र भर हम सीखते चौकोर करना
"आदरणीय सुशील सरना जी, हार्दिक आभार आपका। सादर"
39 minutes ago

प्रधान संपादक
योगराज प्रभाकर posted a discussion

"ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-110 (विषयमुक्त)

आदरणीय साथियो,सादर नमन।."ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-110 में आप सभी का हार्दिक स्वागत है। इस बार…See More
6 hours ago
सुरेश कुमार 'कल्याण' posted a blog post

कुंडलिया छंद

आग लगी आकाश में,  उबल रहा संसार।त्राहि-त्राहि चहुँ ओर है, बरस रहे अंगार।।बरस रहे अंगार, धरा ये तपती…See More
6 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर posted a blog post

कहूं तो केवल कहूं मैं इतना: मिथिलेश वामनकर

कहूं तो केवल कहूं मैं इतना कि कुछ तो परदा नशीन रखना।कदम अना के हजार कुचले,न आस रखते हैं आसमां…See More
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to मिथिलेश वामनकर's discussion ओबीओ मासिक साहित्यिक संगोष्ठी सम्पन्न: 25 मई-2024
"हार्दिक धन्यवाद आदरणीय।"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to मिथिलेश वामनकर's discussion ओबीओ मासिक साहित्यिक संगोष्ठी सम्पन्न: 25 मई-2024
"ओबीओ द्वारा इस सफल आयोजन की हार्दिक बधाई।"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to मिथिलेश वामनकर's discussion ओबीओ मासिक साहित्यिक संगोष्ठी सम्पन्न: 25 मई-2024
"धन्यवाद"
Tuesday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to मिथिलेश वामनकर's discussion ओबीओ मासिक साहित्यिक संगोष्ठी सम्पन्न: 25 मई-2024
"ऑनलाइन संगोष्ठी एक बढ़िया विचार आदरणीया। "
Tuesday
KALPANA BHATT ('रौनक़') replied to मिथिलेश वामनकर's discussion ओबीओ मासिक साहित्यिक संगोष्ठी सम्पन्न: 25 मई-2024
"इस सफ़ल आयोजन हेतु बहुत बहुत बधाई। ओबीओ ज़िंदाबाद!"
Tuesday

सदस्य टीम प्रबंधन
Dr.Prachi Singh replied to मिथिलेश वामनकर's discussion ओबीओ मासिक साहित्यिक संगोष्ठी सम्पन्न: 25 मई-2024
"बहुत सुंदर अभी मन में इच्छा जन्मी कि ओबीओ की ऑनलाइन संगोष्ठी भी कर सकते हैं मासिक ईश्वर…"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर posted a discussion

ओबीओ मासिक साहित्यिक संगोष्ठी सम्पन्न: 25 मई-2024

ओबीओ भोपाल इकाई की मासिक साहित्यिक संगोष्ठी, दुष्यन्त कुमार स्मारक पाण्डुलिपि संग्रहालय, शिवाजी…See More
Sunday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service