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"ओ बी ओ लाइव महा-उत्सव" अंक - 32(Now closed with 1027 Replies)

आदरणीय साहित्य प्रेमियो,

सादर अभिवादन ।

 

पिछले 31 कामयाब आयोजनों में रचनाकारों ने 31 विभिन्न विषयों पर बड़े जोशोखरोश के साथ बढ़-चढ़ कर कलमआज़माई की है. जैसाकि आप सभी को ज्ञात ही है, महा-उत्सव आयोजन दरअसल रचनाकारों, विशेषकर नव-हस्ताक्षरों, के लिए अपनी कलम की धार को और भी तीक्ष्ण करने का अवसर प्रदान करता है.

इसी सिलसिले की अगली कड़ी में प्रस्तुत है :

"ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक - 32

विषय "पाखण्ड"

आयोजन की अवधि-  रविवार 09 जून 2013 से मंगलवार 11 जून 2013 तक

 
तो आइए मित्रो, उठायें अपनी कलम और दिए हुए विषय को दे डालें एक काव्यात्मक अभिव्यक्ति | 
बात बेशक छोटी हो लेकिन ’घाव करे गंभीर’ करने वाली हो तो पद्य-समारोह का आनन्द बहुगुणा हो जाए ।आयोजन के लिए दिये विषय को केन्द्रित करते हुए आप सभी अपनी अप्रकाशित पद्य-रचना पद्य-साहित्य की किसी भी विधा में स्वयं द्वारा लाइव पोस्ट कर सकते हैं । साथ ही अन्य साथियों की रचना पर लाइव टिप्पणी भी कर सकते हैं ।


उदाहरण स्वरुप साहित्य की कुछ विधाओं का नाम सूचीबद्ध किये जा रहे हैं --

तुकांत कविता
अतुकांत आधुनिक कविता
हास्य कविता
गीत-नवगीत
ग़ज़ल
हाइकू
व्यंग्य काव्य
मुक्तक

शास्त्रीय-छंद  (दोहा, चौपाई, कुंडलिया, कवित्त, सवैया, हरिगीतिका आदि-आदि)

अति आवश्यक सूचना : ओबीओ लाईव महा-उत्सव के 32 में सदस्यगण आयोजन अवधि के दौरान अधिकतम तीन स्तरीय प्रविष्टियाँ अर्थात प्रति दिन एक ही दे सकेंगे, ध्यान रहे प्रति दिन एक, न कि एक ही दिन में तीन । नियमों के विरुद्ध, विषय से भटकी हुई तथा अस्तरीय प्रस्तुति को बिना कोई कारण बताये तथा बिना कोई पूर्व सूचना दिए हटाया जा सकता है. यह अधिकार प्रबंधन-समिति के सदस्यों के पास सुरक्षित रहेगा, जिस पर कोई बहस नहीं की जाएगी ।

(फिलहाल Reply Box बंद रहेगा जो 09 जून दिन रविवार लगते ही खोल दिया जायेगा ) 

यदि आप किसी कारणवश अभी तक ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार से नहीं जुड़ सके है तो www.openbooksonline.com पर जाकर प्रथम बार sign up कर लें.


महा उत्सव के सम्बन्ध मे किसी तरह की जानकारी हेतु नीचे दिये लिंक पर पूछताछ की जा सकती है ...
"OBO लाइव महा उत्सव" के सम्बन्ध मे पूछताछ
 
मंच संचालिका 
डॉo प्राची सिंह 
(सदस्य प्रबंधन टीम)

ओपन बुक्स ऑनलाइन डॉट कॉम.

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Replies to This Discussion

आदरणीय सौरभ जी, गजल की प्रशंसा करते हुए शब्द आनंदित कर गए। मेरा कम्प्यूटर आज बहुत परेशान कर रहा है। एक घंटे जूझने के बाद रचना पोस्ट हो पाई। टिप्पणी तो किसी पोस्ट पर पढ़ने के बावजूद नहीं  हो पाई।

 

तरने के स्थान पर कृपया तारने कर दिया जाए। (क्या इसे अलग से लिखना होगा?)

सादर

जी नहीं,  आपने निवेदन कर दिया तो अब ऐडमिन या मंच-संचालक महोदया अपना कार्य कर लेंगे.. .

आपकी ग़ज़ल को देखने और आपकी शैली को जान लेने के बाद उक्त अशुद्धि टंकण-त्रुटि ही लगी थी, जो सही भी है.

सादर

आदरणीया कल्पनाजी,बहुत सुन्दर भाव लिए हुए है आपकी ग़ज़ल//////हार्दिक बधाई स्वीकार करें //सादर 

आदरेया कल्पना रामानी जी, गज़ल का हर अश'आर सत्य को उजागर कर रहा है. पाखण्ड को कुशलता से परिभाषित किया गया. इस उम्दा गज़ल के लिए बहुत-बहुत बधाई स्वीकार कीजिए.

इन परम पाखंडियों को, दो सुमत भागीरथी,दोष अर्पण कर तुझे, जो मोक्ष पाने आ गए......कोटिश: बधाइयाँ...

सात पीढ़ी तरने, माँ को मनाने आ गए ... प्रवाह पुन: देख लें..............

हार्दिक आभार आपका अरुण जी

सादर

आदरणीया इस अनुपम प्रस्तुति के लिए हार्दिक बधाई स्वीएकर करें.

आदरणीय सत्यनारायन जी, आभार आपका

आदरणीया सादर नमस्कार निःशब्द कर दिया आपने लेखनी मौन है शब्कोष रिक्त है किन शब्दों में ग़ज़ल की तारीफ करूँ. क्या कहूँ क्या न कहूँ सच कहूँ तो ऐसी सुन्दर हृदयस्पर्शी ग़ज़ल पढवा ही की ह्रदय तर हो गया, मेरी ओर से भूरि भूरि बधाई स्वीकारें. जय हो

आपकी प्रतिक्रिया से बहुत हर्ष हुआ अरुण शर्मा जी, हार्दिक आभार

आदरणीया कल्पना रामानी जी 

पाखण्ड विषय से पूर्णतः न्याय करती बहुत सुन्दर ग़ज़ल कही है आपने 

मन चढ़ी कालिख, वसन तन धर धवल बगुले भगत,

मंदिरों में राम धुन के गीत गाने आ गए।

चंद सिक्कों के लिए, बेचा किए अपना ज़मीर,

चंद सिक्के भीख दे, दानी कहाने आ गए।

ये दो शेर ख़ास तौर पर बहुत पसंद आये 

बहुत बहुत बधाई इस सुन्दर प्रस्तुति पर 

सादर.

 

प्रोत्साहन के लिए हार्दिक धन्यवाद आदरणीया प्राची जी

अव्वल दर्जे के अश'आर लिए हुए निहायती खूब सूरत गजल

लूटकर धन धान्य घट, भरते रहे ताज़िन्दगी,

गंग तीरे धर्म का, लंगर चलाने आ गए।

 

 ....पाखंड पर जोरदार दंश करती हुयी गजल पर अनंत शुभकामनाये आदरणीय कल्पना जी!

नमन आपकी विचार धारा को 

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