For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

जागो भारत माँ के जवान |

जागो भारत माँ  के जवान , सीमा पर बैरी आया |
और अधिक पाने की चाहत ,  बढ़ने का राह दिखाया |  
दोस्त का दिखावा करके ही , अपना वो जाल बिछाया | 
सखा की ही नियत बिगड़ी जब , भाई को भी  भूलाया | 
लूट पाट करने वालों  का  , सदा बिगड़ा ईमान है |
दूसरों के घर घूस जाये , वो दोस्त या  सैतान है | 
मीठी मीठी बातें करके , लूटे यहीं पहचान है |
छुप छुप छुरी चलाता जाये , देख  कैसा इंसान है |
गज़नी गोरी लूट मचाये , बाबर का पूरा सपना |
गोरों ने कर फूट जमाया , भारत पर गौरव अपना |
कितने लोग  शहीद हुए जब, जिनका अपना था सपना | 
जागो देखो आँखें खोलो , फिर ना आये वो सपना |
मौन  बैठ जब सोचोगे ही , बेडी कौन बचाएगा |
किस्मत पर जब पछताओगे , वो  चीज उठा  ले जाएगा |
सोकर ही जब शोर करोगे , कौन बचाने आयेगा |
वर्मा देर का वक़्त ना  है , देख  लूट पछतायेगा |
श्याम नारायण वर्मा 

Views: 456

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by PRADEEP KUMAR SINGH KUSHWAHA on May 1, 2013 at 5:20pm

jaago nahi pachtaoge 

bahut hi badhiya bhav. badhai, sir ji 

Comment by Ashok Kumar Raktale on April 30, 2013 at 8:39pm
गज़नी गोरी लूट मचाये , बाबर का पूरा सपना |
गोरों ने कर फूट जमाया , भारत पर गौरव अपना |
कितने लोग  शहीद हुए जब, जिनका अपना था सपना | 

जागो देखो आँखें खोलो , फिर ना आये वो सपना |............बहुत खूब.

आदरणीय श्याम नारायण जी सादर सुन्दर रचना बधाई स्वीकारें.

Comment by Shyam Narain Verma on April 30, 2013 at 4:57pm
रचना भाव पसंद करने हेतु आपका हार्दिक आभार , कृपया स्नेह बनाए रखे | सादर 
Comment by राजेश 'मृदु' on April 30, 2013 at 2:18pm

छीनता हो स्‍वत्‍व कोई और

तू त्‍याग,तप से काम ले

अधर्म है यह धर्म है

विछिन्‍न कर देना उसे

बढ़ रहा तेरी तरफ

जो हाथ है.....बहुत सही कहा गया है

यह हमारे समय ही सबसे बड़ी त्रासदी है कि ''कीचड़ भरे कदम भी देखो रम्‍य राजपथ दौड़ रहे, खु़दा साजकर नए पहरुए मंदिर मस्जिद तोड़ रहे'' फिर भी सभी निचिंत है । सीधा संवाद है कि भारत आजाद हो जाएगा तो हम भी जो जाएंगें । ऐसे समय पर युगधर्म का बोध कराने वाली ऐसी रचनाओं की बहुत जरुरत है, आपका प्रयास वंदनीय है, सादर

Comment by बसंत नेमा on April 30, 2013 at 11:09am

 ये संस्कार रहित मानव का समाज है ऐसे मानव सिर्फ दानवो की श्रेणी मे आते है ,,,,,,, बहुत खुब .. बधाई 

Comment by केवल प्रसाद 'सत्यम' on April 30, 2013 at 8:55am

आ0 श्याम नारायण जी, अति सुन्दर। ’मीठी मीठी बातें करके, लूटे यहीं पहचान है!
छुप छुप छुरी चलाता जाये, देख कैसा इंसान है।।’ बहुत-बहुत बधाई स्वीकारें। सादर,

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity


सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to मिथिलेश वामनकर's discussion ओबीओ मासिक साहित्यिक संगोष्ठी सम्पन्न: 25 मई-2024
"धन्यवाद"
18 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to मिथिलेश वामनकर's discussion ओबीओ मासिक साहित्यिक संगोष्ठी सम्पन्न: 25 मई-2024
"ऑनलाइन संगोष्ठी एक बढ़िया विचार आदरणीया। "
18 hours ago
KALPANA BHATT ('रौनक़') replied to मिथिलेश वामनकर's discussion ओबीओ मासिक साहित्यिक संगोष्ठी सम्पन्न: 25 मई-2024
"इस सफ़ल आयोजन हेतु बहुत बहुत बधाई। ओबीओ ज़िंदाबाद!"
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Dr.Prachi Singh replied to मिथिलेश वामनकर's discussion ओबीओ मासिक साहित्यिक संगोष्ठी सम्पन्न: 25 मई-2024
"बहुत सुंदर अभी मन में इच्छा जन्मी कि ओबीओ की ऑनलाइन संगोष्ठी भी कर सकते हैं मासिक ईश्वर…"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर posted a discussion

ओबीओ मासिक साहित्यिक संगोष्ठी सम्पन्न: 25 मई-2024

ओबीओ भोपाल इकाई की मासिक साहित्यिक संगोष्ठी, दुष्यन्त कुमार स्मारक पाण्डुलिपि संग्रहालय, शिवाजी…See More
Sunday
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-167
"आदरणीय जयनित जी बहुत शुक्रिया आपका ,जी ज़रूर सादर"
Saturday
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-167
"आदरणीय संजय जी बहुत शुक्रिया आपका सादर"
Saturday
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-167
"आदरणीय दिनेश जी नमस्कार अच्छी ग़ज़ल कही आपने बधाई स्वीकार कीजिये गुणीजनों की टिप्पणियों से जानकारी…"
Saturday
Aazi Tamaam replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-167
"बहुत बहुत शुक्रिया आ सुकून मिला अब जाकर सादर 🙏"
Saturday
Euphonic Amit replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-167
"ठीक है "
Saturday
Aazi Tamaam replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-167
"शुक्रिया आ सादर हम जिसे अपना लहू लख़्त-ए-जिगर कहते थे सबसे पहले तो उसी हाथ में खंज़र निकला …"
Saturday
Euphonic Amit replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-167
"लख़्त ए जिगर अपने बच्चे के लिए इस्तेमाल किया जाता है  यहाँ सनम शब्द हटा दें "
Saturday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service