For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

स्कूल 
-----------
 
विद्यालय मंदिर के जैसा, रोज वहाँ मैं जाता हूँ 

 सुबह पहुँच सबसे पहले टीचर को शीष नवाता हूँ  

 हम सब हो कर इकट्ठे  बीच मैदान में जाते हैं  

 प्रार्थना   के  पश्चात वे  हमको खेल खिलवाते  हैं  

 गुरू हमारे बड़े प्यारे प्रेम से हमें पढाते हैं  

 उज्जवल भविष्य कैसे  बने   नीति  हमें  बतलाते हैं  

 रहते हम सभी  घुले  मिले  ज्यों डाली में लगते फूल

 संग खाते लड़ते झगड़ते शाम को  जाते   सब भूल
      
                                                      
प्रदीप कुमार सिंह कुशवाहा 
१८-४-२०१३ 

Views: 1092

Replies to This Discussion

बहुत सुन्दर!

स्नेही ब्रजेश जी 

३० मात्रा पर रचना लिखने का प्रयास किया है. 

बालमन कहाँ तक पकड़ पाया ये जानना है. 

सादर आभार 

आदरणीय प्रदीप जी इस विधा को तो मैं भी अभी सीख ही रहा हूं इसलिए कोई टिप्पणी करना मेरे लिए उचित नहीं होगा क्योंकि संभव है कि मुझसे भी त्रुटि हो जाए।

फिर भी आपका आदेश था तो मैंने मात्रा गणना का प्रयास किया। इसी बहाने मैं भी सीख जाउंगा। मेरे हिसाब से पहली दो पंक्तियों में 30 मात्रायें हैं। शेष की मात्रा गणना निम्नवत है। मैं यह नहीं कह सकता कि मेरी मात्रा गणना में कोई त्रुटि नहीं है। आपको सही मार्गदर्शन गुरूजनों से ही प्राप्त हो सकेगा।

विद्यालय मंदिर के जैसा, रोज वहाँ मैं जाता हूँ 

 सुबह पहुँच सबसे पहले टीचर को शीष नवाता हूँ 

 हम(2) सब(2) इकट्ठे(5)  होकर(4)  बीच(3) मैदान(5) में(2) जाते(4) हैं(2)=29 

 प्रार्थना(6)   के(2) तुरंत(4) बाद(3) वे(2)  खेल(3) हमें(3) खिलवाते(6)  हैं(2)=31 

 गुरुजन(4) हमारे(5) बड़े(3) प्यारे(4) प्रेम(3) से(2) हमें(3) पढाते(5) हैं(2)=31 

 उज्जवल(5) भविष्य(4) हो(2) कैसे(4)  की(2)  नीती(4) हमें(3) बतलाते(6) हैं(2)=32  

 रहते(4) हम(2) सब(2) घुल(2) मिल(2) ऐसे(4) ज्यों(2) डाली(4) में(2) लगते(4) फूल(3)=31 

 संग(3) खाते(4) लड़ते(4) झगड़ते(5) शाम(3) को(2)  जाते(4) सब(2) भूल(3)=30       

                                                      

 

जी ब्रजेश जी 

सस्नेह 

कोपी जाँच जाए. क्या सुझाव मिलता है. शब्दों को कैसे बदला जाए. की जानकारी मिलेगी. या इसको ही ठीक मान लिया जायेगा. देखते हैं. यहाँ हम सब मिल कर हि सीखते सिखाते हैं. ओ बी ओ कि परिपाटी निराली है. 

जय ओ बी ओ. 

स्नेही ब्रजेश जी सादर आभार, 

आदरणीया प्राची जी 

सादर अभिवादन 

३० मात्रा पर रचना लिखने का प्रयास किया है. 

बालमन कहाँ तक पकड़ पाया ये जानना है. 

पहली बार मात्रा साधी  हैं. गणना कैसी है. 

आभार 

आदरणीय प्रदीप जी बहुत प्यारी बाल सुलभ रचना है,  ब्रजेश जी की मात्रा गणना  सही है ,मैंने इसे ३० मात्रा पर साधा है आप अवलोकन करें उचित लगे तो बताइयेगा 
विद्यालय मंदिर के जैसा, रोज वहाँ मैं जाता हूँ -------------३० 

 सुबह पहुँच सबसे पहले टीचर को शीष नवाता हूँ ------------३० 

 हम सब हो कर इकट्ठे  बीच मैदान में जाते हैं --------३०  

 प्रार्थना   के  पश्चात वे  हमको खेल खिलवाते  हैं ---३० 

 गुरू हमारे बड़े प्यारे प्रेम से हमें पढाते हैं ----३० 

 उज्जवल भविष्य कैसे  बने   नीति  हमें  बतलाते हैं  ---३० 

 रहते हम सभी  घुले  मिले  ज्यों डाली में लगते फूल --३० 

 संग खाते लड़ते झगड़ते शाम को  जाते   सब भूल----३०  

आदरणीया राजेश कुमारी जी 

सादर 

आपका असीम स्नेह सदेव मेरा मार्ग प्रशश्त करता रहा है. मात्रा का पहला प्रयास था, आपने रास्ता दिखया. रचना शुद्ध हो गयी. 

आभार. 

आगे भी प्रोत्साहन देते रहिएगा 

संशोधित रचना प्रस्तुत है, सादर 

आदरणीय़ प्रदीप जी, जिस तरह से टिप्पणियों में मात्रिकता पर संवाद बना है वह अत्यंत ही आश्वस्तिकारक है.

आप गणना की इस विधा को हृदयंगम कररचनाकर्म करें ताकि बच्चों की रचना सप्रवाह हो. सप्रवाह रचना उन्हें अधिक भाती भी है.

इसके अलावे अंतर्गेयता के लिए भी कुछ नियम हैं ताकि शब्द प्रवाहयुक्त हों.

सादर

अंतर्गेयता के लिए भी कुछ नियम हैं

आदरणीय गुरुदेव जी 

सादर अभिवादन 

अवगत करा दीजियेगा समय मिलने पर सादर 

RSS

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

बृजेश कुमार 'ब्रज' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post पहलगाम ही क्यों कहें - दोहे
"​अच्छे दोहे लगे आदरणीय धामी जी। "
1 minute ago
बृजेश कुमार 'ब्रज' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post मौत खुशियों की कहाँ पर टल रही है-लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'
"बड़ी ही अच्छी ग़ज़ल हुई आदरणीय धामी जी बहुत-बहुत धन्यवाद और बधाई...."
3 minutes ago
बृजेश कुमार 'ब्रज' commented on शिज्जु "शकूर"'s blog post ग़ज़ल: मुराद ये नहीं हमको किसी से डरना है
"आदरणीय भाई शिज्जु 'शकूर' जी इस खूबसूरत ग़ज़ल से रु-ब-रु करवाने के लिए आपका बहुत-बहुत…"
6 minutes ago
बृजेश कुमार 'ब्रज' commented on अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी's blog post ग़ज़ल (जो उठते धुएँ को ही पहचान लेते)
"आदरणीय अमीरुद्दीन जी तात्कालिक परिस्थितियों को लेकर एक बेहतरीन ग़ज़ल कही है।  उसके लिए बधाई…"
11 minutes ago
बृजेश कुमार 'ब्रज' commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - आँखों की बीनाई जैसा
"आपकी ग़ज़लों पे क्या ही कहूँ आदरणीय नीलेश जी हम तो बस पढ़ते हैं और पढ़ते ही जाते हैं।किसी जलधारा का…"
21 minutes ago
बृजेश कुमार 'ब्रज' commented on Sushil Sarna's blog post दोहा दशम -. . . . . शाश्वत सत्य
"अतिउत्तम....अतिउत्तम....जीवन सत्य की महिमा बखान करते हुए सुन्दर सरस् दोहों के लिए बधाई आदरणीय...."
31 minutes ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी commented on अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी's blog post ग़ज़ल (जो उठते धुएँ को ही पहचान लेते)
"आदरणीय गिरिराज भंडारी जी, ग़ज़ल पर आपकी आमद और हौसला अफ़ज़ाई का तह-ए-दिल से शुक्रिया... सादर।"
3 hours ago
Tilak Raj Kapoor replied to Saurabh Pandey's discussion पटल पर सदस्य-विशेष का भाषायी एवं पारस्परिक व्यवहार चिंतनीय
"आदरणीय समर साहब,  इस बात को आप से अच्छा और कौन समझ सकता है कि ग़ज़ल एक ऐसी विधा है जिसकी…"
6 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - आँखों की बीनाई जैसा
"वाह, हर शेर क्या ही कमाल का कथ्य शाब्दिक कर रहा है, आदरणीय नीलेश भाई. ंअतले ने ही मन मोह…"
11 hours ago
Sushil Sarna posted blog posts
12 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . लक्ष्य
"कैसे क्यों को  छोड़  कर, करते रहो  प्रयास ।  .. क्या-क्यों-कैसे सोच कर, यदि हो…"
12 hours ago
Ashok Kumar Raktale commented on Ashok Kumar Raktale's blog post मनहरण घनाक्षरी
"  आदरणीय गिरिराज जी सादर, प्रस्तुत छंद की सराहना के लिए आपका हृदय से आभार. सादर "
13 hours ago

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service