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1

ऋतु बसंत

उत्सव व उल्लास

मन अनंत।

 

2

अबीर मला

क्लेष की आहुति हो

गुलाल उड़ा।

 

3

कहां कोयल

बुलबुल खोयी है

फीके से गीत।

 

4

लाल किरन

सूरज अब जागा

नई सुबह।

 

5

शिव अरूप

पार्वती का श्रंगार

शुभ विवाह।

        - बृजेश नीरज

 

 

 

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Comment

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Comment by बृजेश नीरज on March 24, 2013 at 7:47pm

वंदना जी आपका आभार!

Comment by Vindu Babu on March 23, 2013 at 11:21pm
हायकू के रूप मे सुन्दर भाव रचना आदरणी सर जी।
सादर बधाई आपको।
Comment by बृजेश नीरज on March 22, 2013 at 6:40pm

आदरणीय राम शिरोमणि जी आपका आभार!

Comment by बृजेश नीरज on March 22, 2013 at 6:39pm

आदरणीया प्राची बहन, आपका बहुत आभार! आपका सुझाव उपयुक्त है।

आप जैसे लोगों से यहां बहुत कुछ सीखने को मिलता है इसलिए मैं उसे आदेश की तरह ही लेता हूं क्योंकि आदेश में ‘न मानने’ की गुंजाइश नहीं रहती। यदि ऐसा नहीं करता तो आज जो कुछ सुधार मेरे लेखन में हो पाया है वह न हो पाता।

आभार!

Comment by ram shiromani pathak on March 22, 2013 at 2:31pm

आदरणीय  श्री बृजेश कुमार सिहं जी आपकी हाइकू बहुत  प्यारी और सुन्दर लगी,

अबीर मला

क्लेष की आहुति हो

गुलाल उड़ा।

 

3

कहां कोयल

बुलबुल खोयी है

फीके से गीत।

 

बहुत-बहुत बधाई।


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on March 22, 2013 at 2:14pm

आ. बृजेश जी 

उक्त हायकू में आप 'मन अनंत' की जगह रंग अनंत भी कर सकते हैं, यदि आपको रुचिकर लगे तो..

मेरे कहे को आदेश की तरह ना लें आदरणीय, यहाँ हम सब मिलकर ही सीखते हैं.

सादर.

Comment by बृजेश नीरज on March 22, 2013 at 11:24am

आदरणीया प्राची बहन,
आपने सत्य कहा है। ध्यान न देने की वजह से यह त्रुटि हो गयी। आगे से आपके आदेश का पालन सुनिश्चित करूंगा।
सादर!


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on March 22, 2013 at 10:44am

 सभी हायकू बहुत बढ़िया है बृजेश जी
बहुत बहुत बधाई
पर पहले हायकू में तीनों पंक्तिया पूर्ण व स्वतंत्र नहीं हैं

ऋतु बसंत

उत्सव व उल्लास

रहे अनंत ....... इस  पंक्ति का पूर्ण अर्थ  नहीं है , इसलिए यह दूसरी पंक्ति पर निर्भर लग रही है 

इससे बचना चाहिए

सादर शुभ कामनाएं

Comment by बृजेश नीरज on March 21, 2013 at 11:47pm

केवल भाई आपका बहुत बहुत धन्यवाद!

Comment by केवल प्रसाद 'सत्यम' on March 21, 2013 at 9:22pm

आदरणीय  श्री बृजेश कुमार सिहं जी आपकी हाइकू बहुत  प्यारी और सुन्दर लगी, बहुत-बहुत बधाई।

कृपया ध्यान दे...

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