For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

पाधारो म्हारा देश

पाधारो म्हारा देश, पलक पावणा  बिछा देंगे
तुम जवानों के सिर काट लो, हम चुप नहीं बैठेंगे,कहकर सो जायेंगे

आतंक का नंगा नाच दिखाओ ,भेदिये  जुटा  देंगे  
कोई हमारे सब्र कि परीक्षा ना ले, और हम एक बार फिर फेल हो जायेंगे

खूब रेल जलाओ ,अपहरण करो ,आतंकी रिहा करा देंगे
शोर शराबा किया तो, सम्प्रदाइकता का  आरोप लगा ,ध्यान बटा देंगे

विदेशी व्यापारियों को बुलाओ ,बिचोलियों का बाजार लगा देंगे
अपने उद्योगों का गला घोंटकर ,प्रतिस्पर्धा के फायदे गिना देंगे

दहशतगर्दों को पनाह दो ,आँख पर पट्टी लगा लेंगे
कमीशन के हथियारों से सेना को सजा देंगे

पाधारो म्हारा देश, पलक पावणा  बिछा देंगे

Views: 601

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by केवल प्रसाद 'सत्यम' on March 31, 2013 at 1:11pm

आदरणीय, दिलीप मित्तल जी, आपको सपरिवार प्रेम-सद्भावना के प्रतीक होली के पावन त्योहार पर बहुत बहुत शुभकामनाएं एवं धन्यवाद।

Comment by Dr Dilip Mittal on March 30, 2013 at 9:03pm


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on March 16, 2013 at 8:01am

अपनी चुनी हुई सरकार की अटपटी नीतियों से बौखलाया जनमानस आपके कहे में स्वर पा रहा है, भाई दिलीप मित्तलजी.  यह कम बड़ी बात नहीं कि आपकी संवेदना वैयक्तिक न हो कर सामाजिक हुई है. 

लेकिन आप यह भी अवश्य अपने संज्ञान में रखें, भाईजी, कि यह एक साहित्य-मंच है. इस मंच पर परस्पर सीखना व सिखाना उद्येश्य है. अतः सुझावों को हृदयंगम करियेगा.       इसकी गरिमा बनाये रखियेगा.

शुभ-शुभ

Comment by Dr. Swaran J. Omcawr on March 15, 2013 at 1:13pm

बहुत बढ़िया व्यंग्पुरण आलेख 


sharing  के लिए आभार 
Comment by Yogi Saraswat on March 14, 2013 at 12:10pm

आतंक का नंगा नाच दिखाओ ,भेदिये  जुटा  देंगे  
कोई हमारे सब्र कि परीक्षा ना ले, और हम एक बार फिर फेल हो जायेंगे

खूब रेल जलाओ ,अपहरण करो ,आतंकी रिहा करा देंगे
शोर शराबा किया तो, सम्प्रदाइकता का  आरोप लगा ,ध्यान बटा देंगे

कुटिल और कुत्सित नीतियों पर बहुत सुन्दर और सार्थक व्यंग्य


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on March 14, 2013 at 10:40am

कुटिल नीतियों पर सार्थक व्यंग डॉ० दिलीप मित्तल जी 

Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on March 14, 2013 at 10:34am

अच्छा व्यंग है, सरकार की नाकामियों का,और भोली भाली जनता के लिए साम्प्रदायिकता जैसे शब्द जाल से 

ध्यान बटा अपनी रोटी सकते रहने के कारनामे पर, बधाई डॉ दिलीप मित्तल जी 

Comment by सतवीर वर्मा 'बिरकाळी' on March 13, 2013 at 10:58pm
आ॰ डॉ॰ दलीप मित्तल जी, भारत की वर्तमान नाकारा सरकार की हकीकत खोलकर एक अच्छा व्यंग्य किया है आपने।
बहुत अच्छी रचना के लिए बधाई स्वीकारें।
Comment by केवल प्रसाद 'सत्यम' on March 13, 2013 at 9:47pm

आदरणीय श्री दिलीप मित्तल जी "शोर शराबा किया तो, सम्प्रदाइकता का आरोप लगा ,ध्यान बटा देंगे" सटीक व्यंग और यथार्थ, बहुत अच्छे--बधाई हो!

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity


सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey posted a blog post

कौन क्या कहता नहीं हम कान देते // सौरभ

२१२२ २१२२ २१२२जब जिये हैं दर्द.. थपकी-तान देते कौन क्या कहता नहीं हम कान देते आपके निर्देश हैं…See More
5 hours ago
Profile IconDr. VASUDEV VENKATRAMAN, Sarita baghela and Abhilash Pandey joined Open Books Online
yesterday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"आदाब। रचना पटल पर नियमित उपस्थिति और समीक्षात्मक टिप्पणी सहित अमूल्य मार्गदर्शन प्रदान करने हेतु…"
yesterday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"सादर नमस्कार। रचना पटल पर अपना अमूल्य समय देकर अमूल्य सहभागिता और रचना पर समीक्षात्मक टिप्पणी हेतु…"
yesterday
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा सप्तक. . . सागर प्रेम

दोहा सप्तक. . . सागर प्रेमजाने कितनी वेदना, बिखरी सागर तीर । पीते - पीते हो गया, खारा उसका नीर…See More
yesterday
pratibha pande replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"आदरणीय उस्मानी जी एक गंभीर विमर्श को रोचक बनाते हुए आपने लघुकथा का अच्छा ताना बाना बुना है।…"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: मिथिलेश वामनकर
"आदरणीय सौरभ सर, आपको मेरा प्रयास पसंद आया, जानकार मुग्ध हूँ. आपकी सराहना सदैव लेखन के लिए प्रेरित…"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: मिथिलेश वामनकर
"आदरणीय  लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर जी, मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार. बहुत…"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"आदरणीय शेख शहजाद उस्मानी जी, आपने बहुत बढ़िया लघुकथा लिखी है। यह लघुकथा एक कुशल रूपक है, जहाँ…"
yesterday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"असमंजस (लघुकथा): हुआ यूॅं कि नयी सदी में 'सत्य' के साथ लिव-इन रिलेशनशिप के कड़वे अनुभव…"
yesterday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"आदाब साथियो। त्योहारों की बेला की व्यस्तता के बाद अब है इंतज़ार लघुकथा गोष्ठी में विषय मुक्त सार्थक…"
Thursday
Jaihind Raipuri commented on Admin's group आंचलिक साहित्य
"गीत (छत्तीसगढ़ी ) जय छत्तीसगढ़ जय-जय छत्तीसगढ़ माटी म ओ तोर मंईया मया हे अब्बड़ जय छत्तीसगढ़ जय-जय…"
Thursday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service