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दिल का मेरे घर जलने वाले...

फरियाद करती हूँ तुझे गमे ए दिल न मिले 

जख्म ए जिगर मुझको दिलाने वाले...
कल तुझको भी कहीं रोना न पड़ जाये 
ऐ  मुझ पे  आज  मुस्कराने  वाले... 
दिल का तेरे चैन  बर्बाद हो न  जाये 
रातों की  नीद  मेरी  उड़ने  वाले... 
जग में अपना नाम तो बचाए रखना 
जग को  मुझ पे यूँ  हंसाने  वाले...
फिर कभी किसी से इश्क न करना 
इश्क का आइना मुझको दिखाने वाले... 
ख्वावों की  आग न लगाना फिर ऐसी 
दिल का मेरे  घर जलाने  वाले... 
खता क्या थी मेरी इतना तो बता दे 
दस्तूर इसे दुनियां का बताने वाले.......... 

Views: 349

Comment

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Comment by Yogi Saraswat on May 31, 2012 at 4:53pm

सुन्दर शब्द , और बढ़िया अभिव्यक्ति ! अजय सिंह जी

Comment by SANDEEP KUMAR PATEL on May 31, 2012 at 3:13pm

badhiya hai ..............


प्रधान संपादक
Comment by योगराज प्रभाकर on May 31, 2012 at 11:52am

बहुत खूब अजय सिंह जी

कृपया ध्यान दे...

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