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अस्तित्व की तलाश

 

मेरी मित्र ने एक दिन कहा 
में" सेल्फ्मेड " हूँ 
में असमंजस में पड़ी रही ,
सोचती रही ,
क्या ये सच है ? 
भावो  की धारा ने झकझोरा 
एक नवजात शिशु की किलकारी ने 
अनायास ही मेरा ध्यान बटोरा
इस शिशु को बनाने वाले बीज 
कह रहे थे ,माते | हमें धारण करो
हमारा पोषण करो ,
हमें अपने रक्त से सींचो 
तभी हम अपना अस्तित्व बनाये रख सकेंगे .
जैसे  बीज बोने के बाद 
धरती उसे धारण करती है  
आकाश से पिता तुल्य सूर्य 
अपनी ऊष्मा देते हैं  ,उर्जा देते  हैं 
बदली अमृत तुल्य जल बरसाकर 
अपना प्यार लुटाती है   .
माली उसे सींचता है  अपने दुलार से 
धरती का कण -कण 
या कहें पूरी कायनात 
उस बीज की सुरक्षा में लग जाती है 
उसका अस्तित्व बचाती है  
और एक दिन बीज पेड़ बनता है  ,
मधुर पेड़ ,जिसमें 
सुंदर -सुंदर फूल खिलते हैं 
प्रकृति की अभिव्यक्ति का सबसे सुन्दर रूप 
उस दिन देखने को मिलता है .
शिशु को भी एक पुरुष ,
योग्यतम पुरुष बनाने में ,
कई अनजान शक्तियां 
अपनी ताकत लगा देती हैं   
तब जाकर प्रकृति की  श्रेष्ठतम  रचना सामने आती  है 
और यदि वह कहे की में "सेल्फमेड" हूँ  तो 
यह उसकी नादानी हे ,उसका अहंकार है 
जो एक दिन उसे वापस 
पहुंचा देगा वहीँ   ,उसी निचले धरातल पर 
जहाँ उसका अस्तित्व 
फिर-फिर अभिव्यक्ति की तलाश में होगा |
मोहिनी चोरडिया 

 

 

Views: 411

Comment

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Comment by fauzan on September 6, 2011 at 1:54pm

Waaaah..........bahut khoob..........sunder anubhuti  se  abhivyakti  tak.......sunder varnan........mubarakbad


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on September 4, 2011 at 7:30pm

//शिशु को भी एक पुरुष

योग्यतम पुरुष बनाने में

कई अनजान शक्तियां

अपनी ताकत लगा देती हैं

तब जाकर प्रकृति की श्रेष्ठतम रचना सामने आती है//

 

इस रचना में जो सनातनता अभिव्यक्त हुयी है, उसे सादर स्वीकर कर सभी लोग नम्र बनें. कितनों से किस स्तर तक लाभान्वित होना और स्वयं को आत्मनिर्भर और आत्मगठित समझना व्यक्तित्व का कैसा हल्कापन दिखाता है !

आपकी रचना में अंतर्निहित स्पष्टता को मेरी हार्दिक बधाई.

 


मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on September 4, 2011 at 5:42pm

मोहिनी जी, बहुत ही उच्च भावों को आपने इस रचना में उकेरा है, खुबसूरत रचना हेतु आभार आपका |

Comment by mohinichordia on September 3, 2011 at 3:23pm

 thank u one&all for ur appreciations कुछ  कमी भी रहे तो कृपया बताएं  

Comment by monika on September 1, 2011 at 5:07pm

जितनी तारीफ़ करू कम हे बहुत ही सरल शब्दो मे कितनी महत्वपूर्ण बात कही हे आपने हमारा अस्तित्व यही तो हे इसे कभी भूलना नही चाहिए.

कृपया ध्यान दे...

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