मिट्टी के लोंदे सभी, अनगढ़ था बर्ताव 
 हमें सिखा कर ककहरा, शिक्षित किया स्वभाव 
 शिक्षित किया स्वभाव, सभी का योगदान था 
 निर्मल नेह-दुलार, परस्पर भाव-मान था 
 कड़क किंतु व्यवहार, सटकती सिट्टी-पिट्टी 
 शिक्षक थे सब योग्य, सभी ने गढ़ दी मिट्टी 
 ***
 सौरभ
(मौलिक और अप्रकाशित)
Comment
आदरणीय श्याम नारायण जी, आपकी शुभकामनाओं के लिए हार्दिक धन्यवाद.
शुभ-शुभ
आदरणीय विजय शंकर जी, आपकी शुभकामनाओं के लिए हार्दिक धन्यवाद
जय-जय
आदरणीय लक्ष्मण धामी जी, आपकी उपस्थिति और बधाइयों के लिए हार्दिक धन्यवाद.
शुभ-शुभ
आदरणीय सुशील सरना जी, छंद-रचना आपको भायी यह मेरे लिए भी आश्वस्तिकारी है.
आपकी मुखर बधाइयों और शुभकामनाओं के लिए हार्दिक धन्यवाद.
बहुत सुन्दर , बधाई , आदरणीय सौरभ जी , सादर.
आ. भाई सौरभ जी, सादर अभिवादन। शिक्षक दिवस पर उत्तम छन्द हुए हैं। हार्दिक बधाई।
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