For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

नया सवेरा - -दीपक मेनारिया

सुनील बीती रात से करवट पर करवट ले रहा था, उसे किसी भी तरह सुबह होने का इंतज़ार था, आँखों से नींद कोसों दूर जा चुकी थी। उसे उम्मीद थी कि कल का सूरज उसके जीवन में नया सवेरा लायेगा क्यूंकि कल सुबह उसका आईआईटी का परिणाम आने वाला था किन्तु किस्मत को कुछ और ही मंजूर था।
सुबह होने पर सुनील का मुंह लटक गया था। परिणाम आया और वह क्वालीफाई नहीं कर सका था। बड़े भाई ने उसकी मनोदशा देख कर प्यार से कहा, तुम परीक्षा में असफल हो गए, इस बात पर इतना अधिक दुख क्यों?
भैया, मैंने दिन-रात मेहनत की और आपका कितना पैसा खर्च हो गया और ये परिणाम आया ? मैं बहुत शर्मिंदा हूं भैया, सुबकते हुए सुनील ने कहा। बचपन में पापा के गुजरने के बाद आज तक आपने मुझे पापा की कमी महसूस नहीं होने दी और मैंने आज आपको यह परिणाम दिया । मेरा जीवन अब अंधकार से भर गया हैं, मैं कुछ नहीं कर सकता । मैं किसी काम का नहीं । लेकिन मुझे बिलकुल भी दुख नहीं है। बल्कि मैं तो खुश हूं, भैया ने अपने चेहरे पर मुस्कराहट लाते हुए कहा। सुनील को बहुत आश्चर्य हो रहा था।
तुम्हें मालूम है सुनील, आज देश में बेरोजगार इंजीनियरों की संख्या लाखों में है। मुझे भी अंदर ही अंदर चिंता सताये जा रही थी कि तुम भी उस सूची में शामिल न हो जाओ। मेरी वह चिंता अब खत्म हो गई इस परीक्षा से तुम्हारा दाखिला बड़े इंजीनियरिंग कॉलेज में होता । सोचो, कितना खर्च कर तुम बेरोजगार इंजीनियर बनते तो मुझे कितना दुःख होता। दाखिले के बाद मेरी दिन-रात मेहनत का पैसा लगता है और फिर तुम बेरोजगार होकर नौकरी के लिए यहाँ से वहां भटकते रहते ।
भैया, सुनील को बहुत ही प्रेम, स्नेह एवं गंभीरता से समझा रहे थे और सुनील के सामने से जैसे एक-एक कर किताब के सारे पन्ने पलट रहे थे। अच्छा हुआ जो तुम्हारा उस परीक्षा में दाखिला नहीं हुआ । तुम्हारे पास अब मौका है कि तुम अपना बिजनेस करो एवं एक बड़े और अच्छे बिज़नेसमैन बनो । आज सभी नौजवान बिज़नेस करके ही आगे बढ़ रहे हैं एवं अपना एवं औरो का भविष्य सुरक्षित करो । एक नया सवेरा तुम्हारा इंतज़ार कर रहा हैं । संघर्ष करो और जीत अपनी मुट्ठी में कर लो ।
सुनील को अंधकार में नया सवेरा खिलता दिखा और वह पहले से ज्यादा मजबूत लगा ।
मौलिक/अप्रकाशित -दीपक मेनारिया

Views: 609

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by DEEPAK MENARIA on July 10, 2019 at 8:24pm
शुक्रिया ! धन्यवाद !

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-161
"आ. प्रतिभा बहन अभिवादन व हार्दिक आभार।"
yesterday
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-161
"आदरणीया प्रतिभा पाण्डे जी सादर, प्रस्तुत ग़ज़ल की सराहना के लिए आपका हार्दिक आभार. सादर "
yesterday
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-161
"हार्दिक आभार आदरणीय भाई लक्षमण धामी जी. सादर "
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-161
"आ. भाई अशोक जी, सादर अभिवादन। दोहों पर उपस्थिति और प्रशंसा के लिए आभार।"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-161
"आ. प्रतिभा बहन, सादर अभिवादन। सुन्दर गीत हुआ है। हार्दिक बधाई।"
yesterday
pratibha pande replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-161
" आदरणीय अशोक जी उत्साहवर्धन के लिए आपका हार्दिक आभार "
yesterday
pratibha pande replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-161
"  कोई  बे-रंग  रह नहीं सकता होता  ऐसा कमाल  होली का...वाह.. इस सुन्दर…"
yesterday
pratibha pande replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-161
"बहुत सुन्दर दोहावली.. हार्दिक बधाई आदरणीय "
yesterday
pratibha pande replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-161
"बहुत सुन्दर दोहावली..हार्दिक बधाई आदरणीय भाई लक्ष्मण धामी जी"
yesterday
pratibha pande replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-161
"सुन्दर होली गीत के लिये हार्दिक बधाई आदरणीय "
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-161
"आ. भाई अशोक जी, सादर अभिवादन। बहुत अच्छी गजल हुई है। हार्दिक बधाई।"
yesterday
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-161
"आदरणीय भाई लक्षमण धामी जी सादर, उत्तम दोहावली रच दी है आपने. हार्दिक बधाई स्वीकारें. सादर "
yesterday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service