For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

अमानत (लघुकथा)

जमींदार रामलोचन की आर्थिक स्थिति उस स्तर पर पहुंच गई थी जहाँ कहा जाता है कि हाथी बिक गया जंजीर ढ़ो रहे हैं।
उधर गाँव के टेलर का लड़का हाथी खरीदने को आतुर था। तीनों पहर के भोजन की निश्चिंतता न थी, लेकिन बंगलौर के किसी फैशन संस्थान में नामांकन के लिए इंटरव्यू दे आया था । वहाँ फीस की रकम सुनकर ही समझ गया था ये रकम सीधे तरीके से वह हफ्ते भर में नहीं जुटा सकता ।
घर लौटने के रास्ते में उसने हर सीधे टेढ़े तरीके से सोचा तब उसे लगा जमींदार के घर में ही उसकी मंशा पूरी हो सकती है, वरना गाँव में और कौन है जिसके घर महीने भर का राशन हो।

रात्रि के दूसरे पहर में स्टेशन से उतर कर जाते हुए ही उसने जमींदार के घर में सेंध मार दी।
चोरी की खबर जब लगी तो जमींदार चिंतित हो गये ,घर में चोरी होने लायक तो कुछ न था और कुछ गायब भी नहीं हुआ" हे भगवान ! अब वह चोर गाँव में बात फैला देगा कि जमींदार कंगला है। "
तभी पत्नी ने सूचना दी बेटी ने सास से छुपाकर कुछ गहने और पैसे उसके पास रखे थे चोर वह सारा ले गये।
उन्होंने राहत की साँस ली, चलो इज्जत बची। प्रत्यक्षतः मुस्कुराये " कुछ भी कहो चोर था कलाकार, कितने कलात्मक ढंग से सेंध काटी है । " (मौलिक और अप्रकाशित)

Views: 504

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by babitagupta on July 9, 2018 at 5:55am
  1. रस्सी जल गई, पर ऐठ नहीं गई, कहावत को चरितार्थ करती लघुकथा, झूठी शान में, फिर चाहे बेटी का माल ही क्यों ना चला गया हो, बेहतरीन रचना,बधाई स्वीकार कीजिएगा आदरणीय सर जी. 
Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on July 7, 2018 at 1:27pm

आ. कुमार गौरव जी, नमस्कार । अच्छी कथा हुई है । हार्दिक बधाई ।

Comment by Neelam Upadhyaya on July 6, 2018 at 4:07pm

आदरणीय कुमार गौरव जी, नमस्कार।  अच्छी लघु कथा हुई है।  बधाई स्वीकार करें। 

Comment by Samar kabeer on July 6, 2018 at 12:00pm

जनाब कुमार गौरव जी आदाब,लघुकथा का अच्छा प्रयास हुआ है,इस प्रस्तुति पर बधाई स्वीकार करें ।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-109 (सियासत)
"यूॅं छू ले आसमाॅं (लघुकथा): "तुम हर रोज़ रिश्तेदार और रिश्ते-नातों का रोना रोते हो? कितनी बार…"
Apr 30
Admin replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-109 (सियासत)
"स्वागतम"
Apr 29
Vikram Motegi is now a member of Open Books Online
Apr 28
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा पंचक. . . . .पुष्प - अलि

दोहा पंचक. . . . पुष्प -अलिगंध चुराने आ गए, कलियों के चितचोर । कली -कली से प्रेम की, अलिकुल बाँधे…See More
Apr 28
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय दयाराम मेठानी जी आदाब, ग़ज़ल पर आपकी आमद और हौसला अफ़ज़ाई का तह-ए-दिल से शुक्रिया।"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई दयाराम जी, सादर आभार।"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई संजय जी हार्दिक आभार।"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए आभार।"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. रिचा जी, हार्दिक धन्यवाद"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई दिनेश जी, सादर आभार।"
Apr 27
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय रिचा यादव जी, पोस्ट पर कमेंट के लिए हार्दिक आभार।"
Apr 27
Shyam Narain Verma commented on Aazi Tamaam's blog post ग़ज़ल: ग़मज़दा आँखों का पानी
"नमस्ते जी, बहुत ही सुंदर प्रस्तुति, हार्दिक बधाई l सादर"
Apr 27

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service