For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

ग़ज़ल --- कठिन, सरल का कोई मसअला नहीं होता // दिनेश कुमार

1212---1122--1212--22
.
कठिन, सरल का कोई मसअला नहीं होता

अगर तू ठान ले दिल में तो क्या नहीं होता
.
अगर हो अज़्म तो पत्थर में छेद होता है
हुनर मगर ये सभी को अता नहीं होता
.
हमारे कर्म से प्रारब्ध भी बदलता है
नसीब अपना कभी तयशुदा नहीं होता
.

ये तज्रिबा है हमारा मुशाहिदा भी है

अमीर-ए-शह्र किसी का सगा नहीं होता

.
सितमगरों के इशारों पे खेल होता है
अदालतों में कोई फ़ैसला नहीं होता
.
जुड़ा ही रहता है ममता की गर्भनाल से वो
वजूद बेटे का माँ से जुदा नहीं होता
.

दिनेश' वक़्त की शतरंज का मैं पैदल हूँ

मैं कब पिटूँगा मुझे ख़ुद पता नहीं होता

.
मौलिक व अप्रकाशित

Views: 542

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Ravi Shukla on May 7, 2018 at 6:04pm

आदरणीय दिनेश जी अच्छी ग़ज़ल कही आपने शेर दर शेर मुबारकबाद पेश करता हूं

Comment by TEJ VEER SINGH on May 7, 2018 at 11:58am

हार्दिक बधाई आदरणीय दिनेश जी। बेहतरीन गज़ल।

सितमगरों के इशारों पे खेल होता है
अदालतों में कोई फ़ैसला नहीं होता
.
जुड़ा ही रहता है ममता की गर्भनाल से वो
वजूद बेटे का माँ से जुदा नहीं होता

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on May 6, 2018 at 7:22pm

आ. भाई दिनेश जी, अच्छी गजल हुई है , हार्दिक बधाई ।

Comment by Samar kabeer on May 6, 2018 at 4:54pm

जी,मुझे याद है,इसी लिये लिख देता हूँ  ।

Comment by दिनेश कुमार on May 6, 2018 at 3:49pm

हौसला अफ़ज़ाई के लिये आभार आदरणीय निलेश सर जी। बहुत शुक्रिया। अगर कहीं चूक लगे, अवश्य point out किया करें। सादर। 

Comment by दिनेश कुमार on May 6, 2018 at 3:47pm

बहुत बहुत शुक्रिया आ. समर साहब, हौसला अफ़ज़ाई और सुधार , दोनों के लिए तहे दिल से आभार, सर। बिना झिझक निशान देही किया करें, सर। मैंने एक बार बहुत पहले भी कहा था, , कुछ भर्ती का लगे, तो अवश्य point out  करें, सर। सादर।

Comment by Nilesh Shevgaonkar on May 6, 2018 at 12:17pm

अच्छी ग़ज़ल है आ. दिनेश भाई,
बधाई 

Comment by Samar kabeer on May 6, 2018 at 11:39am

जनाब दिनेश कुमार जी आदाब,ग़ज़ल अच्छी हुई है,बधाई स्वीकार करें ।

मतले का सानी यूँ भी कह सकते हैं :-

"अगर तू ठान ले दिल में तो क्या नहीं होता'

4था शैर यूँ भी कह सकते हैं :;

"ये तज्रिबा है हमारा मुशाहिदा भी है

अमीर-ए-शह्र किसी का सगा नहीं होता'

आख़री  शैर में क़ाफ़िया सहीह नहीं,सहीह शब्द है "बादशाह"

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Sushil Sarna posted a blog post

दोहा पंचक. . . . .इसरार

दोहा पंचक. . . .  इसरारलब से लब का फासला, दिल को नहीं कबूल ।उल्फत में चलते नहीं, अश्कों भरे उसूल…See More
3 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय सौरभ सर, मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार। आयोजन में सहभागिता को प्राथमिकता देते…"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय सुशील सरना जी इस भावपूर्ण प्रस्तुति हेतु हार्दिक बधाई। प्रदत्त विषय को सार्थक करती बहुत…"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी, प्रदत्त विषय अनुरूप इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक बधाई। सादर।"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार। बहुत बहुत धन्यवाद। गीत के स्थायी…"
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय सुशील सरनाजी, आपकी भाव-विह्वल करती प्रस्तुति ने नम कर दिया. यह सच है, संततियों की अस्मिता…"
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आधुनिक जीवन के परिप्रेक्ष्य में माता के दायित्व और उसके ममत्व का बखान प्रस्तुत रचना में ऊभर करा…"
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय मिथिलेश भाई, पटल के आयोजनों में आपकी शारद सहभागिता सदा ही प्रभावी हुआ करती…"
yesterday
Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"माँ   .... बताओ नतुम कहाँ होमाँ दीवारों मेंस्याह रातों मेंअकेली बातों मेंआंसूओं…"
yesterday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"माँ की नहीं धरा कोई तुलना है  माँ तो माँ है, देवी होती है ! माँ जननी है सब कुछ देती…"
yesterday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय विमलेश वामनकर साहब,  आपके गीत का मुखड़ा या कहूँ, स्थायी मुझे स्पष्ट नहीं हो सका,…"
yesterday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय, दयावान मेठानी , गीत,  आपकी रचना नहीं हो पाई, किन्तु माँ के प्रति आपके सुन्दर भाव जरूर…"
yesterday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service